Data Protection: लोन ऑफर वाले फोन कॉल्स से आप भी दुखी हैं! इन पर 250 करोड़ के जुर्माने का डंडा चलेगा – personal data protection bill 2023 leaking consumer detail fine 250 crore

नई दिल्ली: हैलो सर, आपके लिए कार लोन पर स्कीम है… अगर आप भी इस तरह के फोन कॉल से परेशान हो गए हैं तो अच्छी खबर है। सरकार आपकी सूचनाएं लीक करने को लेकर सख्त कानून बनाने जा रही है। जी हां, ग्राहक की सूचनाएं जैसे फोन नंबर, नाम और दूसरी जानकारियां अगर कोई इंडस्ट्री या कंपनी अपने फायदे के लिए थर्ड पार्टी को देती है तो 250 करोड़ रुपये का फाइन देना पड़ सकता है। प्रस्तावित डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन लॉ के दायरे में बैंक, बीमा कंपनियां, रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल कंपनियां, होटल, रेस्तरां और ई-कॉमर्स जैसी कंपनियां आएंगी। खासबात यह है कि सोशल मीडिया कंपनियां भी अपनी मर्जी नहीं चला पाएंगी। अगर ये कंपनियां ग्राहकों के डेटा के साथ खिलवाड़ करती हैं, उसे लीक या तीसरी पार्टी को बेचती हैं तो अब कड़ी कार्रवाई की जाएगी।मतलब Use एंड Deleteनए कानून को तैयार करने वाली टीम में शामिल एक सीनियर अधिकारी ने TOI को बताया कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जो भी कंपनियां ग्राहकों से सबसे पहले जानकारियां लेती हैं, वे किसी भी लीक के लिए जिम्मेदार होंगी। गौर करने वाली बात यह है कि सिंगल लीक पर 250 करोड़ रुपये और उससे भी ज्यादा बड़ा जुर्माना लग सकता है। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कितनी कंपनियों से डेटा शेयर किया गया। आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने पिछले हफ्ते लोकसभा में इस बिल को पेश किया। इसमें साफ कहा गया है कि कंपनियां जिस काम के लिए ग्राहकों का डेटा लेंगी उसके पूरा होने के बाद जानकारी डिलीट करनी होगी। इसे आप ‘यूज एंड डिलीट’ समझिए।कैसे होता है खेल, समझिएजैसे आप कार लोन के लिए किसी बैंक के पास जाते हैं। कोई बैंक अधिकारी आपकी डीटेल कार निर्माता कंपनी को बेच देता है, जो इसे बीमा कंपनी तक भेजता है। इस केस में नए कानून के तहत गैरकानूनी तरीके से डेटा शेयरिंग के लिए बैंक पर दंड लगाया जाएगा।क्यों जरूरी है यह बिलडेटा सुरक्षा के लिए जिस बिल को मोदी सरकार लाई है, उसे डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023 नाम दिया गया है। इसका मकसद इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों के अधिकारों और डेटा प्राइवेसी की सुरक्षा की जा सके। भारत में डिजिटल क्रांति जितनी तेजी से आई है, रोजमर्रा की जरूरत के लिए ऐप्स पर निर्भरता बढ़ी है और उससे पूरे सिस्टम पर एक चेक जरूरी बन गया था। भारतीयों के निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने का मतलब यह होगा कि आपका डेटा लेने, स्टोर करने या प्रॉसेस करने से पहले आपसे परमिशन ली जाएगी। इंटरनेट कंपनियों, मोबाइल ऐप और बाकी कारोबारी संस्थाओं को डेटा के इस्तेमाल को लेकर ज्यादा जवाबदेह और जिम्मेदार बनाया जाएगा।