नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) प्रोजेक्ट के लिए दो महीने के भीतर 415 करोड़ रुपये देने का निर्देश दिया है। सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने कहा- आपका एक साल का विज्ञापन का बजट प्रोजेक्ट के पैसे से ज्यादा है, जो आप दे रहे हैं। बेंच ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार पिछले 3 साल में विज्ञापनों पर 1100 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है, तो निश्चित रूप से इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को भी फंड दिया जा सकता है।पिछली सुनवाई में जब दिल्ली सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए फंड देने में असमर्थता व्यक्त की थी तो सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को पिछले तीन वर्षों में विज्ञापनों पर खर्च किए गए फंड को रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया था। दरअसल दिल्ली को आसपास के शहरों से जोड़ने के लिए रैपिड रेल परियोजना शुरू की गई है। इसके लिए केंद्र सरकार के अलावा उन राज्यों को भी फंड देना है जहां से यह ट्रेन गुजरेगी। इस प्रोजेक्ट का दिल्ली-अलवर ट्रांजिट सिस्टम दिल्ली से शुरू होकर हरियाणा के गुरुग्राम होते हुए राजस्थान के अलवर तक जाना है।सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में परियोजना के लिए अपने हिस्से के फंड में देरी को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी। इसके बाद उसने दिल्ली सरकार को पिछले तीन वित्तीय वर्षों में विज्ञापनों पर अपने खर्च का विस्तृत ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया था। ऐसा तब हुआ जब दिल्ली सरकार ने कहा कि उसके पास इस परियोजना के लिए फंड नहीं है। आज जब मामला सुनवाई के लिए आया तो दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि धन आवंटित किया जाएगा।