delhi-ncr covid data 5th april, ‘इसे कोविड स्मॉल वेव कह सकते हैं, लेकिन बीमारी गंभीर नहीं…’ कोरोना के नए मामलों पर एक्सपर्ट की राय जान लें… – covid small wave in delhi but not like serious disease

नई दिल्ली: दिल्ली सहित पूरे देश में कोरोना संक्रमण बढ़ता जा रहा है। संक्रमण दर भी बढ़ती जा रही है और दिल्ली में यह 15% से ऊपर पहुंच चुकी है। लेकिन, अच्छी बात यह है कि सीवियरिटी नहीं है। दिल्ली में अभी 99 मरीज इलाज के लिए एडमिट हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना बढ़ने के पीछे कई वजहें हैं, जिसमें वायरस का बार-बार म्यूटेशन, नया वेरिएंट XBB.1.16 का संक्रमण है। यह तेजी से फैलता है, लेकिन बीमारी गंभीर नहीं करता है। ऊपर से लोगों का बिहेवियर बदल गया है और यह मौसम भी संक्रमण को फैलने में मदद करता है। जैसे ही गर्मी आएगी, संक्रमण का असर कम होगा।कहीं गया नहीं है कोरोनाइस बारे में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की कम्युनिटी मेडिसिन की प्रोफेसर सुनीला गर्ग ने कहा कि सबसे पहले तो यह जान लें कि कोरोना कहीं गया नहीं है और न ही जाने वाला है। केस आते रहेंगे, क्योंकि वायरस का म्यूटेशन हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि अब स्थिति महामारी के अंत की ओर है, पहले की तरह खतरनाक नहीं है। लेकिन लोगों ने इसे हल्के में लेना शुरू कर दिया है। यह सही नहीं है। लोगों को कोविड बिहेवियर का पालन करना चाहिए, भीड़ या अस्पताल में जाने पर मास्क पहनना चाहिए, जो लोग 60 साल से ऊपर के हैं, उन्हें बूस्टर डोज लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कई सेंटरों में बूस्टर डोज उपलब्ध नहीं हैं, सरकार को वहां पर वैक्सीन की डोज उपलब्ध करानी चाहिए।हाय-तौबा की जरूरत नहींपब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया ने कहा कि अभी जो जांच हो रही है, वह रैंडम टेस्ट नहीं हो रहा है। जिन्हें बुखार, सर्दी-खांसी है तो ही लोग जांच के लिए जा रहे हैं, इसलिए संक्रमण दर ज्यादा मिल रहा है। इसलिए कोरोना के मामलों की संख्या भी बढ़ती नजर आ रही है। मेरी राय है कि जांच करने की जरूरत ही नहीं है और न ही इस पर ध्यान देना चाहिए। इसे गिनना भी बंद कर देना चाहिए। जब इसकी वजह से बीमारी नहीं हो रही है तो हाय-तौबा की जरूरत नहीं है। जरूरत है कि जो लोग बीमार हैं, उन पर ध्यान दिया जाए। उनका ख्याल रखा जाए। ऐसे लोग कोविड बिहेवियर का पालन करते रहें।कोविड की स्मॉल वेवमेदांता हॉस्पिटल के इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन एंड रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन के चेयरमैन डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि इसे ‘स्मॉल वेव’ तो कहा ही जा सकता है, लेकिन यह डेल्टा वेरिएंट की तरह गंभीर बीमार नहीं कर रहा है। हां, इतना जरूर है कि संक्रमण बढ़ रहे हैं। इसकी एक वजह मौसम भी है। जब भी इस तरह का मौसम होता है तो वायरस को फैलने में मदद करता है। जब भी उमस होती है तो वायरस हवा में ज्यादा समय तक जिंदा रहता है और संक्रमण भी ज्यादा करता है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, संक्रमण कम होगा। तापमान 40 डिग्री से ऊपर जाते ही वायरस टिक नहीं पाएगा। डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि अगले दो हफ्ते में मामले कम होने की संभावना है।