नई दिल्लीकोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट के बाद अब डेल्टा प्लस का संक्रमण भी दिखने लगा है। पूरे देश में डेल्टा प्लस के 40 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 21 केस अकेले महाराष्ट्र में हैं। हालांकि, एक्सपर्ट का कहना है कि डेल्टा और डेल्टा प्लस वैरिएंट में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। अभी तक की स्टडी में ऐसा कोई फैक्ट सामने नहीं आया है जिससे यह कहा जा सके कि डेल्टा की तुलना में डेल्टा प्लस ज्यादा खतरनाक हो। एक्सपर्ट का कहना है कि डेल्टा प्लस की वजह से तीसरी लहर आएगी, ऐसा नहीं लग रहा।अभी डेल्टा प्लस के दो वैरिएंटइंस्टिट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट में भी अब नया बदलाव देखा जा रहा है, जिसे डेल्टा प्लस कहा जा रहा है। अभी दो डेल्टा प्लस वैरिएंट नजर आ रहे हैं, जिसे डेल्टा वैरिएंट की तरह AY.1 और AY.2 का नाम दिया गया है। इन दोनों में एक और नई म्यूटेशन नजर आई है जिसे AK417N नाम दिया गया है।डेल्टा प्लस से क्या होगा…इस पर है नजरऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में बायोटेक्नॉलजी डिपार्टमेंट में असोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर शुभ्रदीप कर्माकर के मुताबिक, डेल्टा प्लस वेरिएंट किस तरह का रंग दिखाएगा, अभी इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा, ‘हर वेरिएंट अलग तरह के क्लिनिकल रिस्पॉन्स के साथ आता है। पिछले वेरिएंट में ऑक्सिजन लेवल घट रहा था लेकिन हम नहीं जानते कि डेल्टा प्लस वेरिएंट के कैसे नतीजे होंगे।’ मध्य प्रदेश में मिला था पहला केसडेल्टा प्लस वेरिएंट से संक्रमण का पहला मामला मध्य प्रदेश में मिला। भोपाल में एक 64 साल की महिला में इस नए वेरिएंट से संक्रमण का पहला मामला सामने आया। राहत की बात यह रही कि महिला होम आइसोलेशन में ही रहते हुए पूरी तरह स्वस्थ हो गई। यह बात उम्मीद जगाने वाली है। ज्यादातर एक्सपर्ट और वैज्ञानिकों का यही मानना है कि भारत में डेल्टा प्लस वेरिएंट अभी बहुत धीरे-धीरे ही फैल रहा है।महाराष्ट्र में आ चुके हैं 21 केसअब तक महाराष्ट्र में डेल्टा वेरिएंट के 21 केस सामने आ चुके हैं। इसमें मुंबई के 2 लोग शामिल हैं। इन 21 मामलों में सबसे अधिक 9 मामले डेल्टा प्लस वैरिएंट के रत्नागिरी में मिले हैं। जलगांव में 7, मुंबई में 2, पालघर में एक, ठाणे में एक और सिंधुदुर्ग जिले में डेल्टा प्लस वैरिएंट के एक मामले मिले हैं। केरल में एक 4 साल का मासूम भी इसकी चपेट में है। सरकार डेल्टा प्लस के मामलों पर करीबी नजर रख रही है ताकि इसे फैलने से रोकने के लिए समय पर और उचित कदम उठाए जा सकें। वैज्ञानिक भी लगातार जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए इसकी निगरानी कर रहे हैं।केरल में 4 साल का बच्चा आया चपेट मेंकेरल के 2 जिलों में डेल्टा प्लस वैरिएंट मिला है। पलक्कड़, पथनमथिट्टा में तीन लोगों में इस नए वैरियंट की पुष्टि हुई है। तीन लोगों में एक 4 साल का बच्चा भी शामिल है।मैसूर के एक युवक में डेल्टा प्लस इंफेक्शनमैसूर का एक युवक डेल्टा प्लस वैरिएंट से संक्रमित पाया गया है। यह युवक 2 जून को कोविड पॉजिटिव आया था। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने कहा कि 22 जून तक बेंगलुरु में नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज में डेल्टा-प्लस वैरिएंट के दो मामले मिले हैं। इनमें से एक सैंपल तमिलनाडु और दूसरा कर्नाटक का है।डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी है दोनों वैक्सीनहेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा है कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों ही वैक्सीन डेल्टा वेरियंट के खिलाफ प्रभावी हैं। वहीं, एम्स के डॉक्टर शुभ्रदीप कहते हैं, ‘डेल्टा प्लस का एक अतिरिक्त म्यूटेंट है K417N जो डेल्टा (B.1.617.2)में तब्दील हुआ और अब डेल्टा प्लस में। ऐसी अटकलें हैं कि यह म्यूटेंट और ज्यादा संक्रामक है और यह अल्फा वेरिएंट के मुकाबले 35-60 प्रतिशत ज्यादा तेजी से फैलने वाला है।’ हालांकि, वह इस वेरिएंट को चिंता बढ़ाने वाला नहीं मानते। डॉक्टर शुभ्रदीप ने कहा, ‘भारत में इसके केस अब भी बहुत ही कम हैं। अभी भी यह वेरिएंट चिंता वाला नहीं बल्कि इंट्रेस्ट जगाने वाला है कि यह कैसा है क्योंकि इससे संक्रमित लोगों की संख्या कम है।’80 देशों में मिला डेल्टा प्लस वैरिएंटकेंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि भारत उन नौ देशों में से एक है जहां अब तक डेल्टा प्लस स्वरूप मिला है। उन्होंने बताया कि किया कि अभी डेल्टा प्लस वेरियंट को ‘वेरियंट ऑफ कंसर्न’ की श्रेणी में नहीं रखा गया है लेकिन यह वेरियंट ऑफ इंटरेस्ट है । उन्होंने कहा कि 80 देशों में डेल्टा स्वरूप का पता चला है। कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस स्वरूप भारत के अलावा, अमेरिका, ब्रिटेन, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, जापान, पोलैंड, नेपाल, चीन और रूस में मिला है।ऐसे समझें वायरस के बदलते रूप कोवायरस के जेनेटिक कोड में जब बदलाव आता है तो उसे म्यूटेशन कहते हैं। जिस वायरस के अंदर म्यूटेशन आए, उसे म्यूटेंट कहा जाता है। और जब किसी म्यूटेशन वाले वायरस का कई सारा क्लस्टर बन जाए तो उसे वैरिएंट कहते हैं। यानी जब एक ही वायरस के रूप बार-बार मिलने लगें तो यह समझा जाता है कि उस वाले वायरस का नया वैरिएंट फैलने लगा है। हर वायरस के कई सारे वैरिएंट होते हैं, लेकिन जब यह बार-बार मिलने लगता है तो इसे वैरिएंट का फैलाव मान लिया जाता है।संक्रमण के लक्षण का होता है इलाजकोरोना वायरस के खिलाफ कोई दवा नहीं है। अभी इससे होने वाले संक्रमण के बाद उभरते लक्षण का इलाज होता है। इसलिए नए वैरिएंट में भी वही इलाज है, जो पहले हो रहा था। इलाज के तरीके में कोई बदलाव नहीं है। सबसे ज्यादा जरूरी है कि मास्क पहनें। मास्क पहनने से संक्रमण से बचाव होगा और वायरस के फैलाव को रोकने में मदद मिलेगी। इसके अलावा सबसे ज्यादा अहम चीज है कि जब भी मौका मिले, वैक्सीनेशन जरूर कराएं।