नई दिल्ली: मणिपुर के हालात से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार कहा कि वहां पर कानून-व्यवस्था व संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर राज्य पुलिस की ओर से हिंसा के मामलों की जांच को सुस्त और बहुत ही लचर करार दिया। मणिपुर में बेलगाम जातीय हिंसा से निपटने में सुरक्षा एजेंसियों के तौर तरीके की आलोचना करते हुए कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने कानून व्यवस्था पर से नियंत्रण खो दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि सोमवार 7 अगस्त को मणिपुर से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के वक्त वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों।चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने चार मई को दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने वाले वीडियो को बहुत परेशान करने वाला करार दिया। इसके साथ ही पीठ ने सरकार से घटना, मामले में जीरो एफआईआर और नियमित एफआईआर दर्ज करने की तारीख बताने को कहा। 4 मई का यह वीडियो पिछले महीने सामने आया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह जानना चाहा कि अबतक दर्ज करीब 6000 FIR में कितने लोगों को नामजद किया गया है और उनकी गिरफ्तारी के लिए क्या कदम उठाए गए।जांच बहुत ही स्लो है, FIR बहुत देरी से दर्ज की गई और अरेस्ट भी नहीं किया गया, बयान दर्ज नहीं किये गए …राज्य में कानून व्यवस्था और संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। एक चीज बहुत स्पष्ट है कि वीडियो मामले में एफआईआर दर्ज करने में काफी देरी हुई।सुप्रीम कोर्टसुनवाई शुरू होने पर मणिपुर सरकार ने पीठ को बताया कि उसने मई में जातीय हिंसा भड़कने के बाद 6,523 प्राथमिकियां दर्ज कीं। केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले में राज्य पुलिस ने जीरो एफआईआर दर्ज की थी। जीरो एफआईआर न्यायाधिकार क्षेत्र से परे कहीं पर भी दर्ज कराई जा सकती है और उसे बाद में उस पुलिस थाने में जांच के लिए स्थानांतरित कर दिया जाता है जहां पर अपराध घटित हुआ था।’और वक्त नहीं मिलेगा,सबूत गायब हो जाएंगे..’ मणिपुर वीडियो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकारमेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मणिपुर पुलिस ने वीडियो मामले में एक नाबालिग समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है। मेहता ने पीठ को बताया कि प्रतीत होता है कि राज्य पुलिस ने वीडियो सामने आने के बाद महिलाओं के बयान दर्ज किये। इससे पहले, आज सुप्रीम कोर्ट ने (CBI) को मणिपुर में पीड़ित महिलाओं के बयान दर्ज न करने का निर्देश देते हुए कहा कि वह इस मामले से जुड़ी कई याचिकाओं पर दो बजे सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने महिलाओं की ओर से पेश वकील निजाम पाशा की दलीलों पर संज्ञान लिया। सीबीआई ने इन महिलाओं को आज अपने समक्ष पेश होने तथा बयान दर्ज कराने को कहा था।