El Nino Effect On Food Inflation,प्रशांत महासागर के खौलते पानी से लोकसभा चुनाव में हो सकता है खेल! एलनीनो का कनेक्शन समझिए – will el nino have an effect lok sabha election 2023 know the full detail of weather impact on indian election

नई दिल्ली: तूफान अल नीनो के कारण देश में बारिश बहुत कम हुई है जिसका सीधा असर खेती-किसानी पर पड़ा है। बारिश के अभाव में फसलों का पैदावार प्रभावित होना तय है, जिसका असर अनाज की कीमतों पर पड़ेगा। बड़ी बात है कि अगले वर्ष की पहली छमाही में ही लोकसभा चुनाव भी होने वाले हैं। ऐसे में अगर अनाज, सब्जियां, दालें जैसी खाने-पीने की चीजें महंगी हुईं तो मतदाताओं का मिजाज बदल सकता है। इसलिए प्रशांत महासागर के पानी के गर्म होने से भारत में वोटरों में कुलबुलाहट होने लगे तो आश्चर्य की बात नहीं। ध्यान रहे कि प्रशांत महासागर का जल गर्म होने के कारण ही भारत में अल नीनो का असर देखा जाता है।इस बार अगस्त में भी बहुत कम हुई है बारिशदेश में अगस्त महीने तक औसत से 30.7% कम बारिश हुई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुमान के अनुसार, इस महीने के बचे तीन दिनों में भी भारी बारिश होने की संभावना नहीं है, इसलिए यह अगस्‍त अब तक का सबसे शुष्‍क महीना हो सकता है। औसत समुद्र की सतह के तापमान में बदलाव को मापने वाले ओश‍यानिक नीनो सूचकांक (ओएनआई) ने जुलाई में 1 डिग्री सेल्सियस को छू लिया, जो कि एलनीनो की सीमा से दोगुना है।अमेरिका के राष्ट्रीय समुद्र और वायुमंडलीय प्रशासन के पूर्वानुमान बताते हैं कि अक्टूबर से दिसंबर तक ओएनआई के मान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकते हैं और मार्च 2024 तक 1 डिग्री सेल्सियस से अधिक रह सकते हैं। इससे संकेत मिलता है कि एलनीनो और अधिक तीव्र हो सकता है, जिससे शुष्‍कता की स्थिति लंबे समय तक बनी रह सकती है और मॉनसून पूर्व और सर्दियों में बारिश कम हो सकती है।दक्षिण-पश्‍चिम मॉनसून बांधों, जलाशयों और भूजल को भरने के लिए अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण हैं। इसी पर खरीफ सीजन में बोए गए फसलों की पैदावार निर्भर करती है। ये जल स्रोत रबी सीजन की फसलों के लिए आवश्‍यक हैं, जिनमें गेहूं, सरसों, चना, मसूर, आलू, प्याज, जीरा और अन्‍य शामिल हैं। 24 अगस्‍त तक 146 प्रमुख जलाशयों में पानी का स्‍तर पिछले साल की तुलना में 21.4% कम और इस समय के दशक के औसत से 6.1% कम है। वहीं, अगस्‍त की शुष्‍कता खरीफ फसलों की पैदावार को प्रभावित कर सकती है, लेकिन प्राथमिक चिंता रबी फसलों के लिए है जो भूजल और जलाशयों पर निर्भर हैं और एलनीनो के प्रभावों का सबसे अधिक सामना कर सकते हैं।कर्नाटक, महाराष्‍ट्र और दक्षिणी और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में जलाशय का स्‍तर चिंताजनक है। जुलाई महीने में खाद्य मुद्रास्‍फीति 11.5% वार्षिक दर से बढ़ी है। लगातार बढ़ती मुद्रास्‍फीति नीति-निर्माताओं के लिए बड़ी चिंता का विषय है, खासकर जब चावल और गेहूं के भंडार बहुत ज्यादा नहीं हैं। उदाहरण के लिए, चना की थोक कीमतें पिछले एक महीने में लगभग 20% बढ़ी हैं।Banda News: धोखा दे गया मॉनसून… चित्रकूट मंडल के 12 बांध खाली, रबी की फसल की चिंता सताने लगीलोकसभा चुनावों के वक्त कैसा होगा हाल?चुनाव के समय खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी राजनीतिक रूप से महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है। पिछले चुनावों के आंकड़ों से महंगाई दर में भारी अंतर का पता चलता है। उदाहरण के लिए, 2014 के चुनाव से पहले एक साल में मुद्रास्‍फीति दर 11.1% थी और 2019 के चुनाव से पहले केवल 0.4% थी। इस असमानताओं ने दोनों वर्षों में बिल्कुल अलग-अलग राजनीतिक परिणाम लाए। मोदी सरकार ने इसके महत्व को समझा है और मई 2022 से खाद्य मुद्रास्‍फीति को कम करने के लिए सप्लाई साइड से संबंधित कई कदम उठाए हैं। इनमें शामिल हैं:➤ गेहूं, चीनी और चावल जैसे आवश्यक वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना।➤ चावल और प्याज के निर्यात पर शुल्क लगाना।➤ अरहर, उड़द और गेहूं जैसे वस्तुओं पर स्टॉक सीमा लगाना।➤ कुछ दालों पर आयात शुल्क को शून्य करना।उम्मीद है कि मोदी सरकार 2024 के चुनावों के करीब आने और एलनीनो के प्रभावों के बढ़ने के साथ देश में अनाज से लेकर खाने-पीने की और भी चीजों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करगी और महंगाई को कम करने के लिए और अधिक कदम उठाएगी। सरकार कभी नहीं चाहेगी कि खाद्य वस्तुओं का अभाव और महंगाई जैसे मुद्दे चुनावों के केंद्रीय बहस में हों।