कोरोना के खिलाफ फार्मा कंपनी जायडस कैडिला ने ड्रग कंट्रोलर से अपनी वैक्सीन जायकोव डी (Zycov D) के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांगी है। भारत में अब तक मंजूर किए गए टीकों में से यह कई मायनों में अलग है। इस वैक्सीन का देश में 28 हजार लोगों पर ट्रायल किया गया। कंपनी के मुताबिक इस वैक्सीन का 12 से 18 साल के करीब एक हजार टीनएजर्स पर भी ट्रायल किया गया और इसे पूरी तरह सुरक्षित पाया गया। बता दें कि भारत में कोविड वैक्सीन का यह सबसे बड़ा क्लिनिकल ट्रायल है। इस वैक्सीन की खास बात यह है कि यह तीन डोज वाली है और इसके लिए सुई नहीं दी जाएगी। जानें इस वैक्सीन के बारे में सब कुछ…
किस तरह बनी है जायकोव डी वैक्सीन?यह दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन है। यह कोविड 19 वायरस के जिनेटिक कोड (डीएनए या आरएनए) के एक हिस्से का इस्तेमाल करके शरीर के भीतर कोविड के स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ इम्यून रेस्पॉन्स तैयार करती है।
क्या पहले भी कभी डीएनए वैक्सीन का इस्तेमाल हुआ है?अब तक जानवरों पर वायरस, पैरासाइट, कैंसर सेल के खिलाफ डीएनए वैक्सीन के असर की जांच की गई है जो असरदार साबित हुई है।
बिना सुई के कैसे लगेगी वैक्सीन?इसे जिस फार्मा जेट से लगाया जाएगा वह बिना सुई वाला इंजेक्शन जैसा है। उसमें वैक्सीन भरी जाती है और उसे बांह पर लगाते हैं। मशीन पर लगे बटन को दबाते ही वैक्सीन बांह के भीतर पहुंच जाती है।
बाकी वैक्सीन से किस तरह अलग है?मॉडर्ना, फाइजर की एमआरएनए तकनीक पर बनी है जबकि कोविशील्ड, स्पूतनिक एडिनोवायरस के इस्तेमाल से बनी हैं। कोवैक्सिन में कोविड के असक्रिय वायरस का ही इस्तेमाल किया गया है।
दो डोज क्या कम थीं जो तीन डोज लेनी होंगी?कंपनी का कहना है कि जायकोव डी के दो डोज का भी वही असर देखा गया है जो तीन डोज का देखा गया। ऐसे में भविष्य में कंपनी इसे दो डोज वाली वैक्सीन ही रख सकती है।
किस आयु वर्ग के लिए है वैक्सीन?12+ वालों के लिए पहली वैक्सीन है यह। इस वैक्सीन का देश में 28 हजार लोगों पर ट्रायल किया गया। कंपनी के मुताबिक इस वैक्सीन का 12 से 18 साल के करीब एक हजार टीनएजर्स पर भी ट्रायल किया गया और इसे पूरी तरह सुरक्षित पाया गया। लक्षण वाले मरीजों में इसके 66.6% कारगर होने की बात कही गई है। बता दें कि भारत में कोविड वैक्सीन का यह सबसे बड़ा क्लिनिकल ट्रायल है।
3 डोज के बीच कितना गैप रहेगा?जायकोव डी वैक्सीन तीन डोज में आती है जिन्हें 4-4 हफ्तों के गैप पर दिया जा सकता है। इस वैक्सीन को 2-8 डिग्री तापमान पर स्टोर किया जा सकता है। साथ ही 25 डिग्री तापमान पर तीन महीने तक रखा जा सकता है। वैक्सीन के ट्रायल में देखा गया कि तीसरी डोज के बाद इसने मध्यम दर्जे की बीमारी से सौ फीसदी सुरक्षा की। वहीं दूसरी डोज के बाद किसी भी वॉलिंटियर में कोविड का गंभीर मामला या मौत नहीं देखी गई।
निडल फ्री वैक्सीन का क्या मतलब?कंपनी का कहना है कि इस वैक्सीन को लगाने में इंजेक्शन का इस्तेमाल नहीं होता बल्कि ये वैक्सीन निडल फ्री है। इसे जेट इंजेक्टर के जरिए दिया जाएगा। इसे फार्माजेट कहा जाता है।
ट्रायल कब और कैसे हुआ?खास बात यह है कि इस वैक्सीन के ट्रायल देश में 50 जगहों पर उस वक्त हो रहे थे जब देश में कोविड की दूसर लहर अपने चरम पर थी। यानी इसका डेल्टा जैसे नए और तेजी से फैलने वाले वेरिएंट पर भी असरदार होने की उम्मीद है।
कब और कितनी उपलब्ध होगी वैक्सीन?ड्रग रेग्युलेटर से मंजूरी मांगने के साथ ही जायडस कैडिला के एमडी शर्विल पटेल ने कहा है कि हम अगस्त से हर महीने एक करोड़ डोज बना लेने की उम्मीद कर रहे हैं। हमारा टारगेट एक साल में 10 करोड़ वैक्सीन डोज बनाने का है।