flu infection symptoms, फ्लू से फिजूल मे डरें नहीं, जानें लक्षण, इलाज से लेकर परहेज तक सब कुछ – what is h3n2 virus know h3n2 symptoms treatments all about flu infection medicine

नई दिल्ली : देश में फ्लू संक्रमण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। लोगों में खांसी के साथ ही कई अन्य गंभीर लक्षण देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि नए वायरस जितनी जल्दी बनते हैं, उनमें से ज्यादातर उतनी ही जल्दी खत्म भी हो जाते हैं। हां, उनमें से कुछ ऐसे होते हैं जो खुद को बचा लेते हैं और कई बार ज्यादा मजबूत बनकर आते हैं। ये खुद में उन वायरस की कुछ खासियतों को भी शामिल कर लेते हैं जिन वायरस के संपर्क में वे पहले आ चुके हैं। कई बार ये खासियतें इन्हें फायदा भी पहुंचाती हैं और नुकसान भी। H3N2 वायरस भी ऐसा ही है। यह इन्फ्लूएंजा A वायरस का ही एक सब-टाइप है। यह भी फ्लू फैमिली का ही वायरस है, लेकिन पिछले फ्लू वायरस (इन्फ्लूएंजा 1) की तुलना में ज्यादा मजबूत है। दरअसल, H3N2 वायरस ने खुद में कुछ बदलाव किए हैं। इसने कोरोना वायरस की कुछ खासियतों को शामिल कर लिया है। सच तो यह है कि इस तरह की फितरत ज्यादातर वायरस की होती है। यही कारण है कि आजकल होने वाली खांसी कई लोगों को बहुत ज्यादा परेशान कर रही है। वहीं कुछ की तो स्मेल यानी गंध सूंघने की क्षमता भी गायब हो चुकी है। इसका मतलब यह नहीं कि यह कोरोना वायरस है। यह उससे बिलकुल अलग है, लेकिन पहले के फ्लू से ज्यादा मजबूत।H3N2 वायरस कितना खतरनाक है? क्या यह कोरोना के जैसा है?यह पुराने फ्लू वायरस से ज्यादा खतरनाक है, लेकिन कोरोना की तुलना में बहुत कम। इसमें जान का खतरा बहुत कम रहता है। हां, यह परेशान काफी कर रहा है। बच्चों को गर्दन में दर्द की परेशनी काफी देखी जा रही है।हाल के दिनों में अगर 8-10 लोगों की जान इस वायरस की वजह से गई है। इसकी वजह उनके शरीर का कमजोर होना (इम्यूनिटी काफी कम हो) और दूसरी गंभीर बीमारियों की मौजूदगी भी है।इन लोगों को परेशान कर सकता है यह वायरस:जिन्हें डायबीटीज की गंभीर परेशानी हो। शुगर का बहुत ही पुराना मरीज हो। शुगर के साथ दूसरी बीमारियां भी हों, खासकर सांसों से जुड़ी परेशानी। जिनके HbA1C ब्लड टेस्ट (इस टेस्ट से पिछले 3 महीने की शुगर की औसत स्थिति के बारे में पता चलता है) का रिजल्ट 8 से ज्यादा रहा होबीपी की गंभीर परेशानी हो यानी बीपी 170/105 से लगातार ऊपर रहता होकैंसर का मरीज हो, कीमो चल रही होदमे की परेशानी हो, फेफड़ा खराब होकोई शख्स बीमार हो और साथ में सिगरेट व अल्कोहल का लगातार सेवन करता होकिडनी का मरीज होलंबे समय से लिवर खराब हो या फिर लिवर सोरोसिस जैसी गंभीर परेशानी होउम्र 65 साल से ज्यादा हो, इम्यूनिटी कमजोर हो, साथ में ऊपर बताई हुई बीमारियां भी। ऐसे में यह वायरस चपेट में ले ले तो होने वाली खांसी गंभीर निमोनिया में बदल सकती है। वैसे ज्यादातर लोगों की जान के लिए यह हरगिज़ खतरनाक नहीं होता।सभी तरह की खांसी में ऐसे राहतहर दिन 2 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए। शरीर में पानी की कमी न होने दें। ठंडी चीजें खाने से बचें और ठंडी हवाओं से शरीर को बचाएं। अभी एसी का प्रयोग न करें। अगर पंखा चलाना जरूरी हो, तभी चलाएं।गर्मी में सामान्य या गुनगुना पानी पिएं, ठंडी चीजें को खाने से बचें।ज्यादा घी या तेल में तली हुई और मसाले वाली चीजों से परहेज रखें। इंच अदरक, 2 लौंग, 2 काली मिर्च, हल्दी, मुलैठी आदि को मिलाकर काढ़ा बनाकर दिन में 1 से 2 बार 10 से 20 एमएल घूंट-घूंट करके पिएं।इस वायरस से बचे कैसे?इससे बचने का तरीका है मास्क लगाकर रहें, जैसा कोरोना के वक्त में रहते थे। भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। अगर घर में किसी को लक्षण आ गए हैं तो उसे घर पर भी मास्क लगाकर रहने के लिए कहें और उससे कुछ दूरी बनाकर रखें। कपड़े का मास्क हो या फिर दूसरा सामान्य मास्क, काम कर जाएगा। दरअसल, मास्क लगाकर रखने से अगर कोई संक्रमित शख्स नजदीक भी आ जाता है तो इन्फेक्शन होने के बाद भी वायरस की मात्रा यानी वायरल लोड ज्यादा नहीं होता। इससे अमूमन लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं होते। इसके अलावा वैक्सीनेशन भी एक उपाय है।किस तरह के लक्षण उभरते है?इसके इन्फेक्शन में भी मात्रा यानी वायरल लोड से काफी फर्क पड़ता है।खांसी: यह दो दिन से लेकर 20-21 दिन तक रह सकती है। बहुत तेज खांसी आती है। कई बार खांसते-खांसते पेट में दर्द भी होने लगता है। यह बलगम वाली भी हो सकती है या फिर सूखी भी। बुखार: 99 से लेकर 104 डिग्री फारेनहाइट तक जा सकता है।सिर दर्द और बदन दर्दलूज मोशंस: यह लक्षण सभी में हो, जरूरी नहीं, लेकिन कुछ लोगों में देखा जा रहा है।टेस्ट और स्मेल में कमी: यह लक्षण भी सभी में नहीं देखा गया है, लेकिन कुछ लोगों ने अनुभव किया है। इसलिए कई लोग इसे कोरोना समझ रहे हैं जबकि यह कोरोना नहीं है।गले में तेज दर्दबच्चों को चक्कर आनाक्या अभी वैक्सीन लगवाना सही है?फ्लू वायरस हर साल अपने में कुछ नए बदलाव लेकर आता है। इससे वैक्सीन पूरी तरह कारगर नहीं होती, लेकिन वैक्सीन लगवाने से कुछ फायदा तो जरूर होता है। यही कारण है कि फ्लू की वैक्सीन लगवाने की जरूरत हर साल होती है। इस बार फ्लू H3N2 के रूप में आया है। इस फ्लू वायरस ने खुद को ज्यादा मजबूत किया है। वहीं अभी जो फ्लू वैक्सीन उपलब्ध है, वह पुराने फ्लू वायरस से तैयार की गई है। इसलिए अभी इस वैक्सीन को लगवाने से उतना फायदा नहीं होगा, जितना मिलना चाहिए। हां, कुछ फर्क जरूर पड़ेगा। फ्लू वैक्सीन लगवाने का बेहतरीन समय है नवंबर से दिसंबर के बीच। उम्मीद है इस समय तक H3N2 वायरस की मदद से वैक्सीन तैयार कर लिया जाएगा।कब बदलती है निमोनिया में खांसी?खांसी बहुत ही कम मामलों में जान को जोखिम में डाल रही है। ऐसे लोग जिन्हें इन्फेक्शन हो चुका है और खांसी बढ़ने से उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगे या दमा जैसी स्थिति बन जाए, बुखार भी कम न हो। ऐसी स्थिति अमूमन गंभीर निमोनिया में बनती है और गंभीर निमोनिया को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए।1. ऑक्सिमीटर में ऑक्सिजन का स्तर कम हो जाए और यह 92 से नीचे दिखने लगे।2. दम फूलने की स्थिति हो।डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए और टेस्ट कब कराना चाहिए?वैसे तो लक्षण आने के फौरन बाद ही डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए। फिर भी 1-2 दिन देख सकते हैं। इस दौरान घरेलू उपाय जैसे: दिन में 2 से 3 बार एक गिलास गुनगुने पानी में आधा से एक चम्मच सेंधा या सामान्य नमक या फिर 2 से 4 बूंद बीटाडीन डालकर गरारे करने, काढ़ा पीने से फायदा न हो, जब बुखार 100 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा हो और पैरासिटामॉल लेने से भी कम न हो तो डॉक्टर के पास जरूर जाएं। अगर ऐसी स्थिति बने तो डॉक्टर की सलाह से RT–PCR टेस्ट करा सकते हैं। इसकी रिपोर्ट अमूमन उसी दिन आ जाती है। कीमत: 3000 से 5000 रुपयेक्या CRP भी बढ़ा हुआ आ सकता है?CRP यानी सी-रीऐक्टिव प्रोटीन टेस्ट से यह पता चलता है कि शरीर में आंतरिक सूजन है या नहीं। अगर किसी को वायरल इन्फेक्शन हुआ है तो इसका सीधा-सा मतलब है कि उसे आंतरिक सूजन जरूर हुई होगी। सूजन कितनी होगी, यह उस शख्स की इम्यूनिटी और इन्फेक्शन के स्तर पर निर्भर करता है। H3N2 के इन्फेक्शन के मामले में भी ऐसा ही है। जितनी मात्रा में वायरस शरीर में पहुंचेगा यानी वायरल लोड जैसा होगा, वैसा ही CRP टेस्ट का रिजल्ट भी होगा। डॉक्टर की सलाह से इसका टेस्ट करवा सकते हैं।क्या एक्सरे, सीटी-स्कैन जरूरी है?H3N2 वायरस के सामान्य इन्फेक्शन के बाद चेस्ट का एक्सरे कराने पर फेफड़ों में खास फर्क दिखाई नहीं पड़ता क्योंकि इन्फेक्शन से फेफड़ों में ज्यादा बदलाव नहीं आता। हां, थोड़े-बहुत बलगम जमा होने के बाद सीटी स्कैन कराने से ही वे दिखते हैं। डॉक्टर की सलाह के बिना एक्सरे कराने की जरूरत है और न सीटी स्कैन। वैसे सीटी स्कैन की जरूरत उन्हीं लोगों को ज्यादा है जिन्हें इन्फेक्शन की वजह से ज्यादा गंभीर परेशानी हुई हो। मसलन: सांस लेने में परेशानी, निमोनिया की गंभीर स्थिति आदि।कोरोना के मामले बढ़ते दिख रहे हैं?इसकी बड़ी वजह भी H3N2 वायरस ही है। दरअसल, गुजरते वक्त के साथ कोरोना कमजोर होता जा रहा है। हमारे शरीर में इसके लिए इम्यूनिटी काफी हद तक विकसित हो चुकी है। बीते दिनों जब H3N2 वायरस तेजी से फैलना शुरू किया और इसके कुछ लक्षण जल्दी ठीक नहीं हो रहे थे, मसलन: बहुत तेज खांसी, टेस्ट/स्मेल आदि का चला जाना, तो लोगों को लगा कि शायद यह कोरोना हो सकता है। ऐसे में लोगों ने ज्यादा संख्या में टेस्ट कराने शुरू किए। जब टेस्ट के रिजल्ट आए तो कोरोना मरीजों की संख्या पहले की तुलना में बढ़ी हुई दिखी क्योंकि इस वायरस के इन्फेक्शन से पहले बुखार, खांसी आदि होने पर ज्यादातर लोग टेस्ट नहीं करवाते थे। वैसे आजकल कोरोना के नए सब वैरिएंट XBB 1.16 से संक्रमित मरीजों की संख्या कुछ बढ़ी है। लक्षणों के हिसाब से यह फैलने में तेज है, लेकिन खतरनाक नहीं। सिर्फ कोरोना के रिजल्ट पॉजिटिव होने से कुछ नहीं होता जब तक कि लोगों को गंभीर रूप से बीमार न करने लगे।बच्चों को 10-15 दिनों के अंतराल पर बुखार आ रहा है। ऐसा क्यों?जब भी किसी बच्चे के साथ ऐसा होता है तो लोग समझते हैं कि एक ही वायरस बार-बार संक्रमित कर रहा है जबकि ऐसा नहीं है। चूंकि आजकल कई दूसरे वायरस भी इन्फेक्शन फैला रहे हैं, इसलिए अलग-अलग वायरस के इन्फेक्शन की वजह से बच्चों को बार-बार बुखार आ रहा है, न कि एक ही वायरस से। बार-बार बुखार होने का मतलब यह नहीं निकालना चाहिए कि उस बच्चे की इम्यूनिटी कम है। हां, सही खानपान दें। जंक फूड से बचाएं। एक्सपर्ट पैनलडॉ. यतीश अग्रवाल डीन मेडिकल, IP यूनिवर्सिटीडॉ. अरविंद लाल, एग्जिक्युटिव चेयरमैन, डॉ. लाल पैथ लैब्सडॉ. अंशुल वार्ष्णेय सीनियर कंसल्टेंट, फिजिशन