Full profile of Akbar Lone and controversies related to him

नई दिल्ली: उदारता और मूर्खता में एक बारीक सा अंतर होता है। भारत की छवि एक उदार देश की है, लेकिन कई मामलों में हमारी सरकारों ने मूर्खता का भी बखूबी प्रदर्शन किया है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, अमानवीय अत्याचार पीड़ित कश्मीरी पंडितों के सवाल और वहां के छुपे रुस्तम नेताओं पर हमारी सरकारों की गलतियों का पहाड़ सा खड़ा हो गया है। कई नेता यूं तो मुख्य धारा की राजनीति करते हैं, लेकिन उन्हें भारत विरोधी और पाकिस्तान परस्त भावनाएं जाहिर करने में भी कभी कोई हिचक नहीं होती है। हैरत की बात देखिए, जम्मू-कश्मीर में ऐसे कई नेता हैं जिन्होंने वक्त-वक्त पर भारत विरोधी काम किए, लेकिन उनका ओहदा दिन-ब-दिन बढ़ता गया।पाकिस्तान परस्ती का आरोपमोहम्मद अकबर लोन को ही ले लीजिए। वो कहने को तो मुख्य धारा की पार्टी नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता हैं, लेकिन उन पर अलगाववाद को हवा देने के आरोप लगते रहे हैं। हैरत की बात है कि विधायक के तौर पर उन्होंने जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगा दिए। अब सुप्रीम कोर्ट ने उनसे भारत के प्रति अपनी निष्ठा साबित करने के लिए हलफनामा देने को कहा है। दरअसल, अकबर लोन ने भी संविधान के अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर पर वापस लागू करने की मांग की एक याचिका डाल रखी है। उनकी तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में बहस कर रहे हैं। इस बीच कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ‘रूट्स इन कश्मीर’ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर अकबर लोन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया।आर्टिकल 370: भारत के संविधान में पूरी निष्ठा, ऐसा हलफनामा दें अकबर लोन… सुप्रीम कोर्ट ने कहादेश ने इतना दिया, लेकिन…अकबर लोन वर्ष 2002 में पहली बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए चुने गए। वो वर्ष 2018 तक तीन बार विधायक बने। 2002 से 2008 और फिर 2009 से 2013 तक वो दो बार विधानसभा अध्यक्ष भी रहे। 2013-14 में उन्होंने जम्मू-कश्मीर के शिक्षा मंत्री का पद संभाला। फिर मई 2019 में जीतकर लोकसभा पहुंच गए। वो अभी उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में खाद्य एवं जनवितरण विभाग की सलाहकार समिति के सदस्य हैं। इससे पहले वो दो संसदीय समितियों के रह चुके हैं। उनको इतना सबकुछ मिला, तब जब वो समय-समय पर भारत विरोधी राग अलापते रहे हैं। उन्होंने तब हद पार कर दी थी जब फरवरी 2018 में जम्मू के सुंजुवां आर्मी कैंप पर जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकियों ने हमला कर दिया। अगले ही दिन जम्मू-कश्मीर विधानसभा में इसकी चर्चा के दौरान अकबर लोन ने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए। इतना ही नहीं, उन्होंने बाद में भी अपनी हरकत को सही बताया।पाकिस्तान की बुराई सुन नहीं सकते अकबर लोनअकबर लोन ने अपनी पाकिस्तान परस्ती का एक और उदाहरण 2019 में लोकसभा चुनावों के बीच दिया। उन्होंने 23 मार्च, 2019 को कुपवाड़ा की एक रैली में कहा, ‘पाकिस्तान को एक गाली देने वालों को 10 गाली दूंगा।’ उन्होंने कहा हमारा पड़ोसी पाकिस्तान एक मुस्लिम मुल्क है। वो खुश रहे, आबाद करे, कामयाब रहे। जो पाकिस्तान को गाली देगा, कोई एक गाली देगा तो मैं उसे 10 गाली दूंगा। इस देश की व्यवस्था देखिए, खुलेआम पाकिस्तान परस्ती का मुजाहिरा करने वाला अगले ही कुछ ही दिनों बाद संसद पहुंच जाता है। अकबर लोन 2019 में बारामुला से लोकसभा चुनाव जीत गए और अब नैशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हैं।…मैं भी इससे सहमत नहीं, आर्टिकल 370 पर सुनवाई में जब अपने ही क्लाइंट अकबर लोन के खिलाफ हो गए कपिल सिब्बलबेहद संवेदनशील इलाके से हैं सांसदध्यान रहे कि बारामुला वही जिला है जहां उड़ी का आर्मी कैंप स्थित है जहां आतंकियों के हमले के जवाब में भारत को पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करनी पड़ी। उत्तरी कश्मीर का यह जिला आज भी आतंकी गतिविधियों के कारण सुर्खियों में बना रहता है। पिछले महीने की 19 तारीख को भी उड़ी में पाकिस्तान पोषित खूंखार आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के आठ आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था। उन आतंकियों के पास से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद मिले थे। बारामुला एसपी आमोद नागपुरे ने तब कहा था कि इन गिरफ्तारियों से आतंकवाद की बड़ी घटना टल गई है।देश की सर्वोच्च पंचायत में इतने संवेदनशील इलाके का प्रतिनिधित्व करने वाले अकबर लोन से निश्चित तौर पर बहुत सधे और गंभीर बयानों की उम्मीद की जाती है। खासकर तब जब वो खुद प्रफेशन के वकील हैं। उन्होंने कश्मीर यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बीए और एलएलबी की डिग्री ली है। इसलिए एक विधायक या सांसद के तौर पर उन्हें जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को दमन और शांति की बहाली में योगदान देना चाहिए, लेकिन स्थिति उलट है। उनका बड़े बेटे हिलाल लोन तो गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार हो चुके हैं। हिलाल भी नैशनल कॉन्फ्रेंस के लीडर हैं।पाकिस्तानपरस्त, अलगवावादी…आर्टिकल 370 पर कपिल सिब्बल जिसके वकील, SC में उन पर उठे सवाल!चीफ जस्टिस अड़ गए और फंस गए सिब्बलसंभवतः इन्हीं वजहों से सुप्रीम कोर्ट भी अकबर लोन से भारत के प्रति निष्ठा का हलफनामा देने पर अड़ गया। देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अकबर लोन के वकील कपिल सिब्बल से कहा कि वो अपने मुवक्किल से हलफनामा दिलवाएं। हालांकि, खुद को बुरी तरह फंसते देख वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि अकबर लोन का बयान पांच साल पुराना है और वो आर्टिकल 370 पर उनकी याचिका पर बहस के लिए सुप्रीम कोर्ट में मौजूद हैं। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप प्रतिनिधित्व तो अकबर लोन का ही कर रहे हैं, भले ही मामला उनके बयान का नहीं है।दरअसल, एनजीओ ‘रूट्स इन कश्मीर’ की याचिका पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि अकबर लोन से हलफनामा लिया जाए। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन का प्रतिनिधित्व करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सांसद को एक हलफनामा दायर करना चाहिए जिसमें कहा गया जाए कि ‘मैं (अकबर लोन) भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखता हूं’ और ‘पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर या अन्य जगहों पर आतंकवाद और किसी भी अलगाववादी गतिविधि का विरोध करता हूं और करता रहूंगा।’मेहता ने एनजीओ की याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि लोन अपने सभी सार्वजनिक भाषणों में अलगाववादियों और अन्य भारत विरोधी तत्वों का समर्थन करते हैं। इसलिए लोन को यह स्पष्ट करना होगा कि वो अलगाववाद और आतंकवाद का समर्थन नहीं करते हैं। इस देश के किसी भी नागरिक को ऐसा हलफनामा देने में कोई आपत्ति नहीं होगी।आर्टिकल 370 पर मोदी सरकार के वकील ने ऐसा क्या कह दिया कि सुप्रीम कोर्ट में ही तमतमा गए कपिल सिब्बल?सिब्बल का विरोध दरकिनारलोन के वकील कपिल सिब्बल ने सॉलिसिटर जनरल के इस तर्क का विरोध किया और कहा कि लोन ने जो कुछ भी कहा था वह ‘रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं था। इसे वापस ले लिया गया है। इसे रिकॉर्ड से हटा दिया गया है। यह विधानसभा में कहा गया था, भाजपा के स्पीकर मौजूद थे और उनसे कुछ ऐसा कहा गया था जो लोग इस देश की सड़कों पर दूसरों से कहते हैं। हम इसमें क्यों जाना चाहते हैं?’ तब मेहता ने जोर देकर कहा कि ‘हमें इसमें जाना ही होगा।’फिर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हम लोन पर आपके विचार जानना चाहते हैं। इसमें कोई कठिनाई नहीं है। वह अदालत में आए हैं और हमारा कर्तव्य है कि उन्हें सुनें। हम बस इतना कहना चाहते हैं कि क्योंकि यहां जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक क्षेत्र के सभी लोग यहां हैं, जिनकी अलग-अलग राय दिए जो स्वागत योग्य है। हम भी उन मुद्दों को हल करने के लिए यहां हैं। लेकिन उन सभी ने एक ही भावना व्यक्त की है, वो ये कि भारत की अखंडता सर्वोपरि है।’इस पर सिब्बल ने कहा, ‘कोई संविधान का पालन किए बिना लोकसभा सदस्य नहीं हो सकता… शपथ पत्र (कहता है) कि वह भारत के संविधान का पालन करेगा। उसे लोकसभा में प्रवेश करने से पहले वह यह शपथ लेना होगा।’ फिर सीजेआई ने कहा, ‘कल, बस उन्हें (लोन को) एक पन्ने का हलफनामा दायर करने के लिए कहें। बस इतना ही आवश्यक है।’ फिर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमन ने कहा कि लोन को संविधान से मिला मौलिक अधिकार तो चाहिए, लेकिन वो संविधान को मानने को तैयार नहीं हैं। तब सिब्बल ने जवाब दिया, ‘इस देश में हर किसी के मौलिक अधिकार हैं, उन लोगों को भी जिनकी आप सड़कों पर निंदा करते हैं।’