दिल्ली में G20 की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इस बीच अब वैश्विक शक्तियों का समीकरण पर फोकस किया जा रहा है। समिट के इतर भारत और अमेरिकी के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी। वहीं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बैठक में नहीं आ रहे। जहां एक तरफ नई दिल्ली में G-20 शिखर बैठक की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर वैश्विक शक्तियों का समीकरण भी ठोस रूप लेता दिख रहा है। इस लिहाज से पिछले कुछ दिनों का घटनाक्रम अहम माना जा रहा है। पिछले महीने दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में हुए ब्रिक्स देशों की शिखर बैठक के बाद कुछ संकेत ज्यादा स्पष्ट हुए हैं। उस शिखर बैठक से पहले भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने के लिए सहमति तलाशने की कोशिशें तेज होती नजर आई थीं। मकसद यह माना जा रहा था कि दोनों देशों के सर्वोच्च नेताओं की मुलाकात को ज्यादा से ज्यादा अर्थपूर्ण बनाया जाए। उन वार्ताओं के नाकाम होने के बाद जोहानिसबर्ग में दोनों नेता मिले जरूर, लेकिन उसे द्विपक्षीय बातचीत का दर्जा नहीं मिल सका। खैर, उम्मीद थी कि उसके बाद सितंबर में पहले जकार्ता में होने वाली आसियान देशों की शिखर बैठक में और फिर नई दिल्ली की G-20 शिखर बैठक में जब दोनों नेता मिलेंगे तो वार्ता आगे बढ़ेगी। दिलचस्प है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो अपनी तमाम व्यस्तताओं के बीच भी इंडोनेशिया की आसियान शिखर बैठक में भागीदारी सुनिश्चित बनाए रखी, वह 6 सितंबर को जकार्ता रवाना होने वाले हैं, लेकिन चीन ने स्पष्ट कर दिया है कि शी चिनफिंग न तो जकार्ता जाएंगे और न ही नई दिल्ली के G-20 शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे।उधर, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर हुई बातचीत में अफसोस जता चुके हैं कि वह G-20 बैठक के लिए नई दिल्ली नहीं आ पाएंगे। इसके बाद पूतिन ने टीवी पर प्रसारित एक भाषण में कहा कि वह जल्दी ही पेइचिंग जाने की सोच रहे हैं। उसी भाषण में उन्होंने कहा कि शी उन्हें अपना दोस्त कहते हैं और वह भी उन्हें अपना दोस्त बताने में खुशी महसूस करते हैं। इस वक्तव्य की अहमियत का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि पूतिन का यह भाषण प्रसारित होने के कुछ घंटों के अंदर ही वाइट हाउस ने बयान जारी कर बताया कि राष्ट्रपति बाइडेन 7 सितंबर को ही दिल्ली पहुंचेंगे और 8 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक में शिरकत करेंगे। G-20 शिखर बैठक से ठीक पहले दिए जा रहे इन स्पष्ट कूटनीतिक संकेतों के दरअसल क्या अर्थ हैं यह तो आने वाले समय में धीरे-धीरे खुलेगा, लेकिन फिलहाल यह बात ध्यान में रखी जा सकती है कि यूक्रेन युद्ध को लेकर चीन, रूस के सबसे करीब खड़ा रहा है। G-20 सम्मेलन में अपने देश की नुमाइंदगी करने जा रहे रूसी विदेशमंत्री सर्गेई लावरोव का यह बयान भी बहुत कुछ कहता है कि अगर G-20 सम्मेलन के संयुक्त बयान में यूक्रेन युद्ध और अन्य मुद्दों पर रूस के पक्ष की झलक नहीं मिली तो वह इसे रोक देगा।एनबीटी डेस्क के बारे मेंNavbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐपलेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें