नई दिल्ली: 100 घंटों में दुनिया का सबसे बड़ा डिप्लोमैटिक इवेंट पूरा होने वाला है। इस आखिरी समय में दुनिया के इस सबसे ताकतवर देशों के समूह G20 में संतुलन बनाने की कोशिश जरूर हो रही है, लेकिन नई वैश्विक व्यवस्था में दो दिन का यह सम्मेलन G17 बनाम G2 बन गया है। एक तरफ समूह के दो देशों चीन और रूस की जुगलबंदी हो रही है। वहीं, दूसरी तरफ अमेरिका और यूरोपीय देश हैं। इनके बीच कूटनीतिक संतुलन बिठाने की कोशिश में भारत पुरजोर तरीके से लगा हुआ है।जी-17 बनाम जी-2 में बदल गया गुटजी20 समूह में ब्राजील, सऊदी अरब और साउथ अफ्रीका जैसे देश भी हैं जो किसी गुट के साथ पूरी तरह नहीं दिखना चाहते हैं, लेकिन आम सहमति को ब्लॉक करने के पक्ष में भी नहीं हैं। ऐसे में पूरा सम्मेलन G17 बनाम G2 बनकर रह गया है। दिलचस्प बात है कि रूस और चीन दोनों के राष्ट्राध्यक्ष नहीं आ रहे हैं। ज्यादातर देश मान रहे हैं कि अगर भारत की जगह दूसरा देश होता तो इस बार G-20 में और दिक्कत हो सकती थी। लेकिन जिस तरह समूह के अंदर ही ग्लोबल कोल्ड वार 2.0 का क्लाइमेक्स दिख रहा है, उससे दो दिनों के सम्मेलन के दौरान भारत के सामने चिंता भी है।जयशंकर का लेख: भारत ने जी20 को संभ्रांतों के सम्मेलन से आमजन के समारोह में बदल दियाजहां तक आम सहमति की बात है तो यह इस पर निर्भर करेगा कि समूह यूक्रेन के पक्ष में अजेंडा तय करने की हरकत से कितना बाज आता है। हम पश्चिम के अजेंडे का हिस्सा नहीं बन सकते हैं। हम उनकी बंदिशों को स्वीकार नहीं कर सकते हैं।रोमन बाबुश्किन, भारत में रूसी मिशन के डिप्टीएक-दूसरे के खिलाफ लामबंदीपहली बार ऐसा हो रहा है जब दोनों गुट के नेता खुलकर एक-दूसरे के खिलाफ बोल रहे हैं। साथ ही, एक-दूसरे की मंशा पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। रूस के विदेश मंत्री ने सम्मेलन से पहले ही कह दिया कि अगर अमेरिका यूक्रेन का अजेंडा थोपने की कोशिश करेगा, तो रूस आम सहमति की संभावना को ब्लॉक कर देगा। बाकी देश रूस की धमकी से किसी तरह से अपने रुख में बदलाव न करने के मूड में हैं। भारत ने अब तक हालात को और न बिगड़ने से रोकने में लगातार सफलता पाई है। याद करें कि पिछले साल इंडोनेशिया में सम्मेलन के बाद रूस को G20 से ही बाहर निकालने की मुहिम चली, लेकिन भारत इस समूह को एकजुट रखने में सफल रहा।G20 Summit News: दिल्ली के फाइव स्टार होटलों में क्यों रखे गए हैं हथियार! VVIP सुरक्षा का ‘प्लान-B’ समझिएभारत में रूस के डिप्टी चीफपिछले साल बाली सम्मेलन में साझा बयान जारी करने में सफलता पाई है। इस बार भी भारत पूरी कोशिश कर रहा है। लेकिन अब रूस बाली के बयान को ही खारिज कर रहा है। ऐसा कैसे हो सकता है। विश्व की सबसे गंभीर समस्या का जिक्र होना ही चाहिए।एलेक्स एलिस, भारत में ब्रिटेन के हाई कमिश्नरक्या G-20 के दौरान दिल्ली में शराब मिलेगी? बार चलेंगे? जानिए अधिकारियों ने क्या बतायाभारत ने संभाला मोर्चाएक सीनियर अधिकारी ने एनबीटी को बताया कि पूरे सम्मेलन को बस रूस-यू्क्रेन या इसके इर्द-गिर्द की कूटनीति तक ही न देखें। पर्यावरण, महंगाई, ग्लोबलाइजेशन, एजुकेशन सेक्टर जैसे तमाम मसलों पर बहुत अहम फैसले होने हैं, जो न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व को प्रभावित करेंगे। उन्होंने कहा कि शोर के बीच इन बड़े फैसलों और सहमति से ध्यान नहीं भटकना चाहिए।