G20 में यूक्रेन मुद्दा जरूर उठेगा, BRICS से तुलना ठीक नहीं… पढ़ें ब्रिटिश हाई कमिश्नर एलेक्‍स एलिस का इंटरव्‍यू – alex ellis british high commissioner to india on brics g20 russia ukraine rishi sunak nbt exclusive interview

G20 सम्मेलन से क्या उम्मीद है? क्या रूस-यूक्रेन युद्ध का साया सम्मेलन पर छाया रहेगा? जॉइंट स्टेटमेंट निकलने की उम्मीद है? भारत और इंग्लैंड के रिश्ते इस सम्मेलन के बाद किस दिशा में बढ़ेंगे? इन तमाम मुद्दों पर भारत में इंग्लैंड के राजदूत एलेक्स एलिस ने बात की एनबीटी के नरेंद्र नाथ से। पेश हैं बातचीत के अहम अंशसवाल: भारत की अध्यक्षता में होने वाली G20 सम्मेलन को आप किस तरह से देखते हैं?जवाब: भारत की अध्यक्षता ने कई चीजों को नए तरीके से करने का नजरिया दिखाया है। वह इसमें सफल भी रहे हैं। भारत इस सम्मेलन में पूरे विश्व की विविधता और एकता को सामने लाया है। साथ ही दुनिया की सबसे ही समस्याओं से निपटने का भी मकसद है। स्लो ग्रोथ से कैसे निकलें, यह भी लक्ष्य है। हालांकि भारत स्लो ग्रोथ के दौर से निकाल चुका है। भुखमरी और गरीबी जैसी दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं से निपटने के लिए भी G20 समिट में नए मानक सेट किए जाएंगे। आज भारत ऐसे मुकाम पर जहां वह इन तमाम मसलों को अपनी अध्यक्षता में एड्रेस कर सकता है। भारत अध्यक्ष पद के लिए सही समय पर सही देश है।सवाल: रूस-यूक्रेन युद्ध का साया भी G20 सम्मेलन पर दिख रहा है?जवाब: रूस का यूक्रेन पर हमला बेहद गलत है। भारत ने रूस की हरकत पर अपना फ्रस्टेशन दिखाया है। जिस अंदाज में रूस ने यह गलत हरकत की, उसने स्थिति को बेहद खराब कर दिया है। भारत सरकार भी इससे सहमत है। ग्लोबल स्तर पर इकॉनमी को गंभीर नुकसान पहुंचा है। पर्यावरण को भी हानि पहुंची है। पूरे विश्व में महंगाई बढ़ी। भुखमरी की स्थिति पैदा हुई। पिछले 18 महीने में इसके कई प्रतिकूल असर हुए। रूस की हरकत की कीमत विश्व चुका रहा है।सवाल: रूसी राष्ट्रपति पूतिन के सम्मेलन में नहीं आने का क्या असर होगा?जवाब: G20 पूरे विश्व में एक ताकत है। वह सिर्फ इन सदस्य देशों का नहीं बल्कि बाकी विकासशील और गरीब देशों के भी हितों की आवाज है। भारत वही करने की कोशिश कर रहा है। ग्लोबल संकट के बाद इंग्लैंड ने भी 2008 सम्मेलन में नई ताकत दी थी। हमें विश्व में बड़ी समस्या को संबोधित करना है। उससे निकलने का रास्ता तलाशना है। फोकस यहां है। रूस के यूक्रेन पर हमले ने हमारे सामने चुनौतियां और बढ़ाई।सवाल: BRICS की G20 से तुलना को आप कैसे देखते हैं?जवाब: दोनों संगठन पूरी तरह अलग हैं। G20 पूरे विश्व को एक तरह से प्रतिनिधित्व देता है। कम से कम 80 फीसदी विश्व की आवाज है। लिहाजा इस ग्रुप की अहमियत अपने आप उजागर होती है। हमें G20 ग्रुप को और मजबूत करने की जरूरत है। हमें आपसी सहयोग के साथ काम करने की जरूरत है। G20 का मंच सिक्योरिटी काउंसिल में भारत की दावेदारी को और मजबूत करेगा। BRICS एक सीमित दायरे का संगठन है।सवाल: G20 के बाद जॉइंट स्टेटमेंट बड़ी चुनौती है, इसपर क्या कहेंगे?जवाब: हमने पिछले साल बाली में हुए G20 सम्मेलन में जॉइंट स्टेटमेंट जारी करने में सफलता पाई। इस बार भी भारत पूरी कोशिश कर रहा है। लेकिन अब रूस बाली स्टेटमेंट को ही खारिज कर रहा है। ऐसा कैसे हो सकता है। विश्व की सबसे गंभीर समस्या का तो जिक्र होना ही चाहिए।सवाल: एक तरफ रूस अपने स्टैंड पर अड़ा है, उधर बाकी देश। बीच का रास्ता मुमकिन है?जवाब: दोनों में कोई तुलना नहीं है। रूस ने एक देश पर हमला किया है। वह उसकी सीमा में घुसा हुआ है। भारत का इस मामले में रुख शुरू से ठीक रहा है। रूस यूक्रेन पर हमला बंद करे, बस इसका हल हो जाएगा। इसमें कोई दो साइड की बात नहीं है।सवाल: G20 की तीन सबसे बड़ी चुनौती क्या है?जवाब: पहली चुनौती कठिन मुद्दों पर एक राय पर पहुंचना है। दूसरा, आर्थिक विकास जैसे बुनियादी मसलों पर विश्व को आगे का रोडमैप देना है। तीसरा, रूस को इस पर सख्त संदेश देना है कि आप किसी देश की सीमा का ऐसे ही उल्लंघन नहीं कर सकते।सवाल: बतौर ब्रिटिश PM ऋषि सुनक पहली बार आ रहे हैं। क्या अपेक्षा है?जवाब: भले वह भारत बतौर पीएम पहली बार आ रहे हैं लेकिन भारत पहले कई बार आ चुके हैं। उनकी पत्नी भारतीय मूल की हैं, लेकिन इस बार उनका मूल फोकस G20 है। इसी व्यस्तता में मुमकिन है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलें। पीएम मोदी जैसा कहते हैं कि सुनक एक पुल हैं दोनों देशों के बीच रिश्ते को नए लेवल पर ले जाने के लिए, कुछ ऐसा ही संदेश है। नए ग्लोबल आर्डर में भी दोनों देशों में संबंध बहुत मजबूती से आगे बढ़े हैं। दोनों विश्व की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी है। विश्व की अग्रणी इकॉनमी की है। हम दोनों मिलकर विश्व को नई दिशा दे सकते हैं।सवाल: दोनों देशों के बीच FTA पर गतिरोध बना हुआ है?जवाब: फ्री ट्रेड अग्रीमेंट (FTA) दोनों देशों के बीच के ट्रेड को बेहतर करेगा। इससे हम दोनों देशों के रिश्ते और आगे जा सकते हैं, इसका कब हल निकलेगा इस पर अभी बात नहीं कर सकते हैं। हालांकि अभी भी हालात अच्छे ही हैं। भारत की टाटा इंग्लैंड आ रही है। इंग्लैंड की कंपनियां भारत में आ रही हैं। ट्रेड ऊंचे स्तर पर है लेकिन FTA से इसे नई ऊंचाई मिलेगी।