नई दिल्लीथल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद पर भारत और चीन के बीच बातचीत से ‘विश्वास निर्माण’ में मदद मिली है। उन्होंने बताया कि फरवरी में पैंगोंग झील क्षेत्र से सैनिकों की वापसी होने के बाद से क्षेत्र की स्थिति सामान्य है। इसके साथ ही उन्होंने ‘बाकी मुद्दों’ के हल होने को लेकर भरोसा जताया। आर्मी चीफ जनरल नरवणे ने एक थिंक-टैंक के साथ डिजिटल संवाद सत्र में कहा कि दोनों देशों की सेनाएं तमाम स्तरों पर बातचीत कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘इस साल फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों के साथ ही कैलाश पर्वतमाला से सैनिकों की वापसी होने के बाद से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति सामान्य है।’आर्मी चीफ ने कहा, ‘तब से दोनों पक्षों ने सैनिकों की वापसी पर बनी सहमति का पूरी तरह से पालन किया है। हम राजनीतिक स्तर पर और निश्चित रूप से सैन्य स्तर पर चीन से संवाद कर रहे हैं।’ थल सेना प्रमुख से पूर्वी लद्दाख की स्थिति के बारे में सवाल किया गया था।जनरल नरवणे ने कहा, ‘हमारे बीच बातचीत चल रही है और इससे दोनों पक्षों के बीच भरोसा पैदा करने में मदद मिली है। और आगे बढ़ते हुए, हमें भरोसा है कि हम बाकी सभी मुद्दों को सुलझाने में सक्षम होंगे।’ उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में उत्तरी सीमाओं पर हुए घटनाक्रम से पता चलता है कि सशस्त्र बलों को लगातार तैयार रहना होगा।उनकी यह टिप्पणी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान के 3 दिन बाद आई है जिसमें सिंह ने कहा था कि भारत पड़ोसियों के साथ विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने में विश्वास करता है लेकिन अगर उकसाया गया या धमकी दी गई तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।भारत और चीन ने 25 जून को सीमा विवाद पर एक और दौर की राजनयिक बातचीत की। इस दौरान वे पूर्वी लद्दाख में टकराव वाली बाकी जगहों से सैनिकों की पूरी तरह वापसी का मकसद हासिल करने के लिए अगले दौर की सैन्य वार्ता जल्द से जल्द करने पर सहमत हुए।सीमा से जुड़े मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की डिजिटल बैठक में, दोनों पक्षों ने खुलकर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्षों ने राजनयिक एवं सैन्य तंत्र के माध्यम से वार्ता एवं संवाद जारी रखने पर सहमति व्यक्त की ताकि संघर्ष वाले सभी क्षेत्रों से पूरी तरह से पीछे हटने के लिए आपसी सहमति के आधार पर रास्ता निकाला जा सके।सैन्य अधिकारियों के अनुसार, संवेदनशील क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अभी दोनों ओर के करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।