नैशनल मेडिकल कमिशन (NMC) ने रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर (पेशेवर आचरण) विनियम 2023 नोटिफाई किया था। इसमें डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य बनाया गया। इसके बाद इस नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी गई है। इंडियन मेडिकल काउंसिल रेगुलेशंस 2002 में भी डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखने की सलाह दी गई थी। नई दिल्ली: पिछले 20 दिनों में नैशनल मेडिकल कमिशन (NMC) के दो नोटिफिकेशन खासे चर्चा में रहे हैं। NMC ने 2 अगस्त को रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर (पेशेवर आचरण) विनियम 2023 नोटिफाई किए, जिनमें डॉक्टरों के लिए अनिवार्य रूप से जेनेरिक दवाएं लिखने, उनके दवा कंपनियों से गिफ्ट्स स्वीकार करने या किसी दवा का प्रचार करने पर रोक लगा दी गई। कुछ ही दिनों बाद 23 अगस्त को इन नियमों पर रोक लगा दी गई।कैसे शुरू हुआ विवादइंडियन मेडिकल काउंसिल रेगुलेशंस 2002 में भी डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखने की सलाह दी गई थी। NMC रेगुलेशंस 2023 में भी कहा गया कि हर RMP को जेनरिक नामों का इस्तेमाल करके दवाएं लिखनी चाहिए। हालिया के नियमों में डॉक्टरों पर पेनल्टी का प्रावधान कर दिया गया। इसके बाद विरोध बहुत तेज होता गया। NMC ने अपने नियमों में यह भी कहा था कि डॉक्टर्स किसी ऐसे सेमिनार, वर्कशॉप या कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हो जाएंगे, जिन्हें फार्मा कंपनियों या संबंधित हेल्थ सेक्टर ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्पॉन्सर किया हो। इन नियमों के उल्लंघन पर डॉक्टरों का लाइसेंस भी सस्पेंड किया जा सकता है। NMC के नए प्रफेशनल कंडक्ट रेगुलेशंस की धारा 35 में डॉक्टरों और उनके परिवार को फार्म कंपनियों या उनके प्रतिनिधियों से कंसल्टेंसी फीस या हॉनरेरियम लेने पर भी बैन लगा दिया था। IMA और इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (IPA) ने NMC द्वारा जेनेरिक दवाओं को लिखना अनिवार्य बनाने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इन दवाओं की गुणवत्ता के बारे में अनिश्चितता होने के कारण यह संभव नहीं है।क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में हेल्थ इंश्योरेंस भी मुद्दा बनेगा?सरकार क्यों लाई ये नये नियमकेंद्र सरकार की आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से गरीबों को मुफ्त इलाज की सुविधा मिल रही है। जन औषधि केंद्रों से दवाइयां सस्ते दामों पर मिल रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि मरीज के इलाज का खर्च कम करने की योजनाओं को लागू किया जा रहा है। NMC ने इसी दिशा में जेनरिक दवाओं को लेकर नए रेगुलेशंस जारी किए क्योंकि जेनरिक दवाएं ब्रैंडेड दवाओं की तुलना में 30 से 80 प्रतिशत तक सस्ती होती है। जेनरिक दवाओं से मरीज का इलाज पर होने वाला खर्च बचता है। आम तौर पर सभी दवाओं में एक तरह का ही केमिकल सॉल्ट होता है और जेनेरिक दवाओं का कोई अपना ब्रैंड नाम नहीं होता है। सरकार जन औषधि केंद्र में बढ़ोतरी तो कर रही है लेकिन इसका ज्यादा फायदा तभी होगा, जब लोगों का भरोसा जेनरिक दवाओं में बढ़ेगा। देश में इस समय पहले से ही 10 हजार पीएम जन औषधि केंद्र चल रहे हैं, जो बढ़कर 25 हजार होंगे।डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखने के लिए मजबूर करना कितना सही? 7 बड़ी बातेंमेडिकल संस्थानों ने क्या आपत्ति उठाईIMA के प्रेसिडेंट डॉक्टर शरद कुमार अग्रवाल का कहना है कि 2002 की गाइडलाइंस पेनल्टी का प्रावधान नहीं था, जो अब कर दिया गया है। अगर कोई जेनेरिक दवा मिलने में मरीज को परेशानी होती है तो फिर क्या डॉक्टर पर पेनल्टी होगी। जेनरिक दवाओं की क्वॉलिटी को सुनिश्चित किया जाना बहुत जरूरी है। ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी और रिटेल डिस्ट्रिब्यूशन केमिस्ट अलायंस के प्रेसिडेंट संदीप नांगिया का कहना है कि देश में दो लाख करोड़ रुपये की फॉर्मेसी इंडस्ट्री है और अभी जेनरिक दवाओं का शेयर करीब 10 प्रतिशत ही है। जेनरिक दवाओं को निश्चित रूप से बढ़ावा मिलना चाहिए लेकिन केवल जेनरिक दवाएं लिखने का आदेश को लागू कैसे किया जा सकता है, क्या 90 प्रतिशत इंडस्ट्री शेयर को नजरअंदाज किया जा सकता है?New Generic Drug Rules: डॉक्टर डाल लें जेनरिक दवाएं लिखने की आदत वरना बढ़ेगी मुश्किल, क्या कहते हैं नए नियम?नियम वापस लेने से खत्म होगा विवाद?अभी नियम वापस लेने से विवाद थम तो गया है लेकिन पूरी तरह से विवाद खत्म हो जाएगा, यह अभी नहीं कहा जा सकता है। सरकार गरीबों की भलाई के लिए निश्चित रूप से जेनरिक दवाओं को बढ़ावा देगी, जन औषधि केंद्रों की बढ़ोतरी होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार, IMA, फॉर्मा कंपनियों को मिलकर बात करनी होगी। गरीबों को सस्ती दरों पर क्वॉलिटी दवाएं मिल सकें, साथ ही जो लोग ब्रैंडेड दवाएं खरीद सकते हैं, उनको भी आसानी से दवाएं मिले। दवाओं की क्वॉलिटी के साथ समझौता नहीं होना चाहिए। देश में जेनेरिक दवाओं का शेयर दो से बढ़कर 10 प्रतिशत हो गया है और इसमें बढ़ोतरी होगी।भूपेंद्र शर्मा के बारे मेंNavbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐपलेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें