govt started to noose of law tightened on corrupt bureaucrats

विक्रम सिंह

क्या आपको पता है कि केंद्र सरकार के कोयला घोटाले जैसे करप्शन में सख्त एक्शन से नौकरशाही में हड़कंप मचा है। कोयला घोटाले समेत कई मामलों में नौकरशाह जेल तक जा चुके हैं। करप्शन करने वाले बड़े-बड़े IAS और IPS अधिकारियों पर भी सरकार का शिकंजा लगातार कस रहा है। जिन राज्यों में भी नौकरशाही में भ्रष्टाचार की जड़ें पसरी हैं, वहां सरकारी एजेंसियां ताबड़तोड़ एक्शन ले रही हैं। संदेश सीधा है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है, और मामला छोटा हो या बड़ा, भ्रष्टाचारियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

भले ही भ्रष्ट नौकरशाहों के खिलाफ सरकार का एक्शन बहुत ज्यादा सुर्खियां न बटोर रहा हो, लेकिन कोशिश हर हाल में देश को खोखला करने वालों से सरकारी तंत्र को मुक्त करने की है। कुछ बड़े मामले देखें:

CBI ने कोयला घोटाले की पड़ताल की और दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता समेत तीन नौकरशाहों को तीन साल की सजा सुनाई। सजा पाने वाले दो अन्य नौकरशाह कोयला मंत्रालय के तत्कालीन संयुक्त सचिव केएस क्रोफा और तत्कालीन निदेशक केसी सामरिया भी हैं। तीनों नौकरशाहों पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगा।
अदालत ने अन्य दोषियों, विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड (VMPL) के MD विकास पाटनी और इसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता आनंद मलिक को 4 साल की सजा सुनाई। CBI ने UPA-1 और UPA-2 के शासनकाल में कोयला ब्लॉक आवंटन के 40 मामलों में आरोपपत्र दायर किया था।
मोदी सरकार को अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी कोयला माफिया के खिलाफ बड़ी कामयाबी मिली थी। 22 मई 2017 को UPA सरकार के समय मध्य प्रदेश के थेसागोड़ा-बी रुद्रपुरी कोयला ब्लॉक के आवंटन घोटाले के आरोपियों को सजा मिली।
बीती 22 जुलाई को ED ने छत्तीसगढ़ में IAS अधिकारी रानू साहू को मनी लॉन्ड्रिंग में गिरफ्तार किया। इस मामले में गिरफ्तार होने वाली रानू साहू राज्य की दूसरी IAS अधिकारी हैं। साहू को कथित कोयला लेवी मामले में गिरफ्तार किया गया है।
इसी साल 12 मई को छत्तीसगढ़ के ही एक CISF अधिकारी और ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के पूर्व निदेशक (तकनीकी) को CBI ने धर दबोचा। यह घोटाला करीब 1,358 करोड़ रुपयों का बताया जा रहा है।
पिछले साल 11 अगस्त को भी ऐसी ही एक कार्रवाई के तहत प्रवर्तन निदेशालय ने कोयला तस्करी के मामले में पश्चिम बंगाल के 8 वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया। भारतीय पुलिस सेवा के इन अधिकारियों में ज्ञानवंत सिंह (ADG, CID), कोटेश्वर राव, एस. सेल्वामुरुगन, श्याम सिंह, राजीव मिश्रा, सुकेश कुमार जैन और तथागत बासु भी शामिल हैं।
21 फरवरी को 2017 को छत्तीसगढ़ सरकार के एक वरिष्ठ IAS अधिकारी बीएल अग्रवाल को CBI ने गिरफ्तार किया। उनके खिलाफ मामलों की जांच में अनुचित लाभ लेने के आरोप लगे थे।
छत्तीसगढ़ सरकार में प्रमुख सचिव रहे अग्रवाल को CBI ने उनके बहनोई आनंद अग्रवाल के साथ गिरफ्तार किया। इस मामले में एक बिचौलिए भगवान सिंह को भी नई दिल्ली से गिरफ्तार किया गया, जिसके पास से दो किलोग्राम सोना और 39 लाख रुपये नकद बरामद हुए।

भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर नौकरशाही पर सख्ती की नीति कारगर होती नजर आ रही है। भ्रष्टाचार को रोकने की मोदी सरकार की इन कोशिशों पर भले ही लोगों का ध्यान कुछ कम गया है, लेकिन सरकारी तंत्र के काम करने के तरीके पर इसका असर दूरगामी नजर आ रहा है।
मोदी सरकार के दोनों कार्यकाल में नौकरशाहों के करप्शन पर लगातार एक्शन में भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की गारंटी बखूबी नजर आ रही है। यही वजह है कि कोयला घोटाले में बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद भ्रष्ट नौकरशाहों के मन में CBI की छवि अब ‘सरकारी तोते’ की नहीं रही। प्रवर्तन निदेशालय का तो नाम सुनते ही उनकी घिग्घी बंधने लगी है। मीडिया की सनसनीखेज खबरों के बीच भ्रष्टाचार के समूल नाश के लिए उठाए गए सरकार के कदमों और उसमें मिली बड़ी उपलब्धियों को भले ही ज्यादा सुर्खियां न मिलीं हों, लेकिन सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार पर ब्रेक तो लगा ही है।
(लेखक यूपी पुलिस के पूर्व महानिदेशक हैं)
डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं