नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में इंसानियत को कलंकित करने वाले निर्भया गैंगरेप कांड का एक दशक बीत गया, लेकिन आज भी हमारा समाज और हमारी व्यवस्था वहीं खड़ी है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट के जजों ने हाल ही में उस बुड्ढे की सजा बरकरार रखते हुए यह दुख जताया जिसने महज एक वर्ष की अपनी ही पोती के साथ दुष्कर्म किया। हालांकि, यह घिनौना मामला निर्भया कांड से एक साल पहले 2011 का है। हाई कोर्ट के जज जस्टिस संजय धर और जस्टिस राजेश सेखड़ी ने कहा कि आज भी हमारा समाज महिलाओं को उचित सम्मान नहीं देता है। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए अपनी चिंता जाहिर की कि चलती बस में निर्भया के साथ बर्बर घटना के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को जीवन, स्वतंत्रता, सम्मान और समानता का अधिकार है। उनकी गरिमा और सम्मान से कोई खिलवाड़ नहीं होनी चाहिए। अदालत ने कहा कि महिलाएं कई जिम्मेदारियां निभाती हैं, वो मनोरंजन की वस्तु नहीं हैं।हाई कोर्ट जजों ने कहा कि दुर्भाग्य से महिलाओं के खिलाफ अपराधों और विशेष रूप से बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, ‘अफसोस की बात है कि हमारे देश में महिलाओं के प्रति सम्मान तेजी से घट रहा है। छेड़छाड़, अनादर और बलात्कार की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं।’ अदालत ने कहा कि जो नैतिकता और नैतिक मूल्य हमारे भारतीय समाज ने कभी संजोए थे, वे गायब हो गए हैं। न्यायालय ने आगे कहा कि यह प्रवृत्ति समाज को कलंकित करती है और यौन अपराधों के मामलों में मानव गरिमा के उल्लंघन के विकृत उदाहरण पेश करती है। इसलिए, अदालत ने जोर देकर कहा कि बलात्कार के आरोपी व्यक्तियों पर मुकदमा चलाते समय अदालतों की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। हाई कोर्ट ने कहा, ‘इसकी कल्पना भी भयावह है कि कोई दादा अपनी घृणित इच्छाओं की पूर्ति के लिए अपनी एक साल की पोती को शिकार बनाया।’जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने दोषी बुजुर्ग की अपील पर सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं। दोषी ने रणबीर दंड संहिता की धारा 376 (2) (एफ) के तहत 2013 की सजा को चुनौती दी थी, जिसमें 12 साल से कम उम्र की बच्ची के बलात्कार को लेकर सजा का प्रावधान है। बुजुर्ग, अपनी दुधमुंही पोती के साथ अमानवीय कार्य करके भाग गया था जबकि बच्ची रो रही थी और उसके शरीर से खून निकल रहा था। डॉक्टर ने जांच में पाया कि बच्ची का हाइमेन फटा हुआ है और उसके जननांग के आसपास चोट हैं। डॉक्टर ने बच्ची से बलात्कार की आशंका जताई।कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर कभी इसकी गारंटी नहीं दे सकते कि हाइमेन फटने या जननांग पर चोट का कारण बलात्कार ही है। जजों ने कहा, ‘एक बलात्कार पीड़िता का इलाज करने वाला डॉक्टर केवल हाल की यौन गतिविधियों के संकेतों की पुष्टि कर सकता है। यह निर्धारित करना कि क्या बलात्कार हुआ, उनके दायरे से बाहर है। यह न्यायपालिका का फैसला है। वहीं, बुजुर्ग ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि शिकायतकर्ता के साथ उसकी लंबे समय से दुश्मनी चली आ रही है जिस कारण उसे गलत तरीके से फंसाया गया था।हाई कोर्ट ने दोषी की दलीलों को खारिज कर दिया, खासकर इसलिए क्योंकि मामले में प्रमुख गवाह ने घटना का बेहद विश्वसनीय विवरण दिया। अदालत ने कहा कि अगर कोई घटना का प्रत्यक्षदर्शी है और वह अदालत में गवाह देता है तो फिर घटना के वक्त आरोपी की भावना क्या थी, इसका बहुत महत्व नहीं रह जाता है। अदालत ने कहा कि यौन संतुष्टि की विकृत इच्छा और विचलित मानसिकता के कारण इंसान इस तरह के जघन्य कृत्यों को अंजाम देता है। उसने कहा कि एक बुड्ढा इस तरह की अमानवीय भावनाओं के आगोश में आकर एक साल की पोती को भी नहीं बख्सता है, यह बेहद भयावह है।