आज ‘फादर्स डे’ है, जिंदगी में पिता की मौजूदगी को सेलिब्रेट करने का दिन। एक पिता की चिंताएं बच्‍चे के बड़े होने के बाद नहीं शुरू होती, वो शुरू हो जाती हैं तभी से जब खबर मिलती है कि कोई नन्‍हा-मुन्‍ना आने वाला है। जो अभी इस दुनिया में आया तक नहीं है, उसके भविष्‍य को संवारने की तैयारियां होने लगती हैं। पिता संघर्ष करता है ताकि उसके बच्‍चे को किसी तरह की आर्थिक, सामाजिक परेशानी न झेलनी पड़े। बच्‍चों के आगे अपने सुख का उसे ध्‍यान नहीं रहता। हमारे आसपास ऐसे बहुत सारे पिता हैं। उनमें से कुछ की कहानियां सोशल मीडिया के जरिए हम-आप तक पहुंची हैं।पिता ने पकड़ा छाता तब ले पाई ऑनलाइन क्लासभारी बारिश में छाता पकड़े एक पिता और ऑनलाइन क्लास अटेंड करती उनकी बेटी की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। तस्वीर कर्नाटक के मलनाड इलाके के सुलिया तालुक की है। मॉनसून के कारण यहां के ग्रामीण इलाकों में बच्चों को ऑनलाइन क्लास लेने में परेशानी हो रही है क्योंकि इंटरनेट कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है। कहीं छाते के नीचे तो कहीं टेंट लगाकर स्टूडेंट्स किसी तरह ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं।तस्वीर लेने वाले फोटोजर्नलिस्ट महेश पुच्चापडी ने बताया कि यह बच्ची हर रोज शाम 4 बजे अपनी SSLC क्लास के लिए इसी जगह पर आती है। सुलिया तालुक में रहने वाले हर स्टूडेंट को ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान नेटवर्क के लिए टीलों पर चढ़ाई करनी होती है या फिर किसी दूर इलाके में जाना पड़ता है। सुलिया तालुक कर्नाटक के मतस्यपालन मंत्री एस अंगारा का कस्बा है।खराब नेटवर्क के चलते स्टूडेंट्स ऑनलाइन क्लास के लिए दूरदराज के स्थानों में जा रहे हैं। कुछ स्टूडेंट्स ने कुछ सहूलियत वाली जगहों पर जहां नेटवर्क पकड़ रहा है वहां टेंट लगा लिया है। बच्चों का कहना है कि गर्मियों के मौसम में पेड़ के नीचे क्लास लेने में कोई दिक्कत नहीं होती लेकिन मॉनसून की बारिश में परेशानी ज्यादा बढ़ गई है।बेटी खेलना चाहती थी, बाप ने गहने तक बेच डालेताइक्वांडो खिलाड़ी अरुणा तंवर के पिता की स्थिति समझिए। बेटी ताइक्वांडो में तेज थी, आगे बढ़ना चाहती थी मगर पैसों की कमी थी। मगर पिता तो बच्‍चों की खुशियों के लिए कुछ भी कर सकता है। अरुणा के पिता ने भी किया। गहने बेचे, दूसरों से पैसे उधार लिए, किसी तरह अरुणा की ट्रेनिंग चलती रही। इसी महीने ऐलान हुआ कि अरुणा को तोक्यो पैरालिंपिक में वाइल्ड कार्ड के जरिए एंट्री मिल गई है। वह भारत की पहली ताइक्‍वांडो प्‍लेयर होंगे जो वहां जाएंगी। पिता को अब सरकार से उम्‍मीद है कि वह उनकी तरह अरुणा का साथ देगी और उसके सपनों को पूरा करने में मदद करेगी। अरुणा की जुबानी पढ़ें पूरी कहानीपिता ने यूं तराशा कि उन्‍हीं की बॉस बन गई बेटीयह तस्‍वीर आपने शायद किसी सोशल मीडिया पोस्‍ट में देखी हो। इसी साल की है। आंध्र प्रदेश पुलिस की ‘फर्स्‍ट ड्यूटी मीट’ थी। तस्‍वीर में सर्कल इंस्पेक्टर श्याम सुंदर अपनी बेटी जेसी प्रशांती को सलाम कर रहे हैं जो डीएसपी पद पर तैनात हैं। पिता को सल्‍यूट करता देख बेटी मुस्‍कुरा उठी मानों इशारों में ‘थैंक्‍यू पापा’ कह रही हो। पिता कॉन्‍स्‍टेबल मगर बेटा बन गया एसपीलखनऊ उत्तर के एसपी अनूप सिंह और उनके पिता इलाके के एक थाने में कॉन्स्टेबल हैं। गोमतीनगर क्षेत्र के थाने विभूतिखंड में एसपी अनूप सिंह के पिता जनार्दन सिंह सिपाही के पद पर तैनात हैं। थाना बेटे के नियंत्रण में है इसलिए बेटा पिता का बॉस बन गया। पिता की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने कहा कि जिंदगी भर का सपना पूरा हो गया। पिता ने कहा कि घर के अंदर हम बाप-बेटे हैं और थाने में एसपी-सिपाही।गर्व से भरा पिता का चेहरा देखा है आपने?बच्‍चों की सफलता पापा को ऐसी खुशी देती है जिसे शब्‍दों में बयां करना मुश्किल हैं। ऐसे पल यादों का हिस्‍सा बन जाते हैं। मणिपुर पुलिस में ऐडिशनल एसपी रत्‍तना नगसेप्‍पम की यह तस्‍वीर खूब वायरल हुई। तस्‍वीर पिछले साल वायरल हुई थी मगर है 2019 की। तब रत्‍तना को डीएसपी से ऐडिशनल एसपी रैंक पर प्रमोट किया गया था। पिता ने अपने हाथों से बेटी के कंधों पर स्‍टार लगाए थे।पिता का चले जाना मतलब एक सहारा छिन जानातस्‍वीर भारतीय क्रिकेटर मोहम्‍मद सिराज की है। ऑटो चलाकर परिवार संभालने वाले सिराज के पिता ने बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की। यह सिराज का ही नहीं, उनके पिता का भी सपना था कि वह भारत के लिए खेले। जब ऑस्‍ट्रेलिया दौरे के लिए टीम में मोहम्‍मद सिराज को चयन हुआ तो पिता फूले नहीं समाए थे। मगर शरीर ने साथ छोड़ दिया। सिराज तब ऑस्‍ट्रेलिया में थे और उन्‍होंने पिता की बात ध्‍यान में रखते हुए रुकने का फैसला क‍िया।पिता के लिए सिराज का बेशुमार प्‍यार मैदान पर खूबसूरत गेंदबाजी के रूप में दिखा। सिराज ने सीरीज में टेस्ट डेब्यू किया और 3 मैच खेले। उन्होंने कुल 13 विकेट झटके। ब्रिसबेन के गाबा में खेले गए सीरीज के अंतिम टेस्ट मैच की दूसरी पारी में उन्होंने 5 विकेट लिए। लौटकर सिराज जब भारत आए तो एयरपोर्ट से सीधे खैरताबाद के कब्रिस्तान पहुंचे और अपने पिता की कब्र पर फूल चढ़ाए।