क्या है हीट स्ट्रोक?लू यानी हीट स्ट्रोक का खतरा तब होता है, जब शरीर का टेंपरेचर रेग्युलेशन मेकेनिज्म ज्यादा गर्मी का सामना करने में सक्षम नहीं होता है। ज्यादा गर्मी के कारण हमारी बॉडी डिहाइड्रेट हो जाती है, जिसके चलते ये मेकेनिज्म ठीक से काम नहीं करता। ऐसी कंडीशन में शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है, शरीर के अंग डिस्फंकशन होना शुरू हो जाते हैं। कई बार जान पर खतरा बन जाता है।गर्मी शरीर को कैसे प्रभावित करती है?दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर सुरनजीत चटर्जी बताते हैं कि बेहद गर्म दिन में बाहर निकलने के बाद हम सभी थके हुए महसूस करते हैं। इसे हीट थकावट कहा जाता है, जो तब होता है जब शरीर अत्यधिक पसीना बहाता है। उन्होंने कहा, ‘यही कारण है कि हम लोगों को गर्म दिनों में अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहने की सलाह देते हैं। हालांकि, गर्मी की थकावट वाले लोगों के मरने की संभावना नहीं होती है। हालांकि हीट स्ट्रोक से पीड़ित लोगों की कंडीशन चिंताजनक होती है।हीट स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं?हीट स्ट्रोक के कुछ लक्षण होते हैं, अगर किसी में ये लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे तुंरत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हीट स्ट्रोक का सबसे कॉमन लक्षण है शरीर का तापमान 40 डिग्री से ज्यादा होना। इसके अलावा बार-बार चक्कर आना और चिड़चिड़ापन महसूस होना। दिल की धड़कन बढ़ना और सांस लेने में दिक्कत महसूस होना। हड्डियों में दर्द और कमजोरी महसूस होना।हीट स्ट्रोक से बचने के लिए क्या करें?हीट स्ट्रोक से बचने के लिए बेहतर होगा कि सीधे धूप में न निकलें, खासकर दोपहर से 3 बजे के बीच। अगर आपको बाहर निकलना है, तो सुनिश्चित करें कि प्यास न लगने पर भी आप पानी पीते रहें। लस्सी, नींबू पानी, छाछ या ओआरएस जैसे अन्य हाइड्रेटिंग तरल पदार्थों का सेवन करें जो इलेक्ट्रोलाइट स्तर को बनाए रख सकते हैं। शराब, चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड शीतल पेय का सेवन न करें। हल्के रंग के सूती कपड़े पहनें और चश्मे, छाते और जूतों का इस्तेमाल करें। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की एक एडवाइजरी में कहा गया है कि लोगों को पर्दे या शेड का उपयोग करके अपने घरों को ठंडा रखने की कोशिश करनी चाहिए और नम कपड़े का उपयोग करके या बार-बार ठंडे पानी से शरीर का तापमान कम रखना चाहिए।