नई दिल्ली: अभी कुछ महीने पहले ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि उन्हें नहीं पता कि भारत में चुनाव शुरू हो गया है या नहीं, लेकिन न्यूयॉर्क और लंदन में तो इसकी तैयारियां जरूर हो रही हैं। अब देखिए खबर आ गई कि ‘हिंडेनबर्ग रिपोर्ट 2.0’ जारी होने वाली है। भारत के मून मिशन चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर उतरने की ऐतिहासिक उपलब्धि के जश्न के बीच यह खबर सामने आई कि विदेशों में बैठे कुछ लोग भारत और मोदी सरकार को निशाना बनाने के लिए एक और रिपोर्ट लाने की योजना बना रहे हैं। यह समूह जॉर्ज सोरोस द्वारा समर्थित है, जो एक हंगेरियन-अमेरिकी अरबपति हैं और जो 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत के हर तिकड़म भिड़ा रहे हैं। सोरोस समर्थित ओसीसीआरपी ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें आरोप लगाया गया था कि भारतीय अरबपति गौतम अडानी की ग्रुप कंपनियां अवैध गतिविधियों में लिप्त हैं। इस रिपोर्ट ने भारत में सियासी तूफान ला दिया था, लेकिन बाद में इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।जी-20 सम्मेलन पर साजिशों का साया!न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अब यह समूह एक और रिपोर्ट जारी करने की योजना बना रहा है जिसे ‘हिंडनबर्ग 2.0’ कहा जा रहा है। इस रिपोर्ट में मोदी सरकार और उसके सहयोगियों को निशाना बनाने की आशंका है। रिपोर्ट की टाइमिंग बेहद महत्वपूर्ण है। यह प्रधानमंत्री मोदी के नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने से कुछ दिन पहले आ रही है। यह शिखर सम्मेलन एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसमें मोदी सरकार भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा को प्रदर्शित करने को तत्पर है। वरिष्ठ पत्रकार संजय सिंह ने एनडीटीवी के लिए लिखे एक लेख में कहा है कि हिंडनबर्ग 2.0 निश्चित रूप से साजिश की ही अगली कड़ी होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त में अगर विदेशी रिपोर्ट आती है तो इसमें कोई राय नहीं कि राजनीतिक हो-हंगामा या अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार को लेकर नया बखेड़ा खड़ा करके जी-20 की चमक फीकी करने की साजिश हो रही है।Hindenburg 2.0 : बड़े कॉरपोरेट घरानों पर संकट! OCCRP ला रहा इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट्स, मोदी के कट्टर विरोधी देते हैं फंडहिंडनबर्ग रिपोर्ट पर खुल चुकी है पोलउम्मीद है कि सेबी 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दे। मई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त छह सदस्यीय विशेष समिति ने कहा था कि अडानी ग्रुप के शेयरों पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के जारी होने से संदिग्ध ट्रेडिंग हुई थी। ऐसा करने वाली छह इकाइयों में से चार एफपीआई हैं, एक कॉरपोरेट है और एक कोई व्यक्ति है। कुछ समाचार रिपोर्टों से पता चलता है कि आगे की जांच में ऐसी इकाइयों की संख्या बढ़ गई है। यह सुझाव दिया गया है कि बाजार नियामक सेबी को ऐसे कार्यों की जांच प्रतिभूति कानूनों (Securities Laws) के तहत करनी चाहिए।विपक्षी गठबंधन में जोश भरने की कवायद?इससे पहले, विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A (इंडिया) 31 अगस्त को मुंबई में बैठक कर रहा है। लेख में कहा गया है कि विपक्ष मोदी सरकार को निशाना बनाने के अपने प्रयास में कुछ भी करने से बाज नहीं आता है, चाहे वह पूरा झूठ हो या आधा सच। हालांकि, विपक्षी गठबंधन ठीक से खड़ा होने से पहले ही लड़खड़ाता दिख रहा है। इसके कई घटक दलों के बीच खींचतान जारी है। ऐसे में सोरोस ओपन सोसाइटी से फंडेड हिंडनबर्ग 2.0 उनमें जोश भर सकता है। दरअसल, सोरोस या अन्य मोदी विरोधी ताकतें सीधे-सीधे तो मोदी सरकार का नुकसान करने में अब तक बुरी तरह असफल रही हैं लेकिन उनसे विपक्ष को हथियार जरूर मिल जाता है। ये विपक्ष के लिए सरकार पर हमला करने के अवसर पैदा करती हैं।Adani-Hindenburg Row: सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट, 29 अगस्त को अगली सुनवाईलोकसभा चुनाव पर दुनियाभर की नजरकुछ महीने बाद ही वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत भी होगी। अगले वर्ष का आम चुनाव जीतकर मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में आना चाहती है। ऐसे में सोरोस समेत तमाम मोदी और भारत विरोधी गुट एकजुट होकर दम दिखाने की कोशिश में है। एंटी-मोदी समूहों का पिछले नौ सालों से जोर है कि किसी भी तरह नरेंद्र मोदी और बीजेपी की सरकार को सत्ता से बाहर फेंका जाए।झूठी रिपोर्टों से खलबली मचाने की साजिशसोरोस समर्थित ओसीसीआरपी का इतिहास है कि वह झूठी और भ्रामक जानकारियां प्रकाशित करता है। अडानी समूह पर इसकी पिछली रिपोर्ट भी निराधार ही निकली थी। हालांकि, हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने अडानी समूह को बड़ा झटका दिया और विपक्षी दलों ने पूरे सत्र में संसद को नहीं चलने दिया। इससे मोदी सरकार की सेहत पर तो कोई असर नहीं पड़ा, लेकिन भारत में राजनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर बवाल तो खूब मचा। बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और वहां यह ढाक के तीन पात ही साबित हुआ।