हाइलाइट्स:इंडियन आर्मी बड़ी तादाद में हाड़कंपाऊ ठंड में पहने जाने वाले खास कपड़े समेत 17 तरह के उपकरण चाहती हैइनमें एक्सट्रीम कोल्ड वेदर क्लॉदिंग सिस्टम, स्लीपिंग बैग्स और पहाड़ों पर चढ़ाई में इस्तेमाल होने वाले उपकरण शामिलद प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेना इन उपकरणों के लिए देसी कंपनी को तरजीगह देगी, फिलहाल इनमें से ज्यादातर का आयात होता हैनई दिल्लीपूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत और चीन के बीच पिछले एक साल से ज्यादा वक्त से चले आ रहे सैन्य तनाव के खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे। यह सैन्य गतिरोध अभी और लंबा चल सकता है। यह संकेत इस बात से मिल रहा है कि इंडियन आर्मी अपने जवानों के लिए हाड़कंपाऊ सर्दियों में पहने जाने वाले स्पेशल कपड़ों समेत 17 तरह के उपकरणों की इच्छा जताई है। यानी इस साल भी सर्दियों में एलएसी पर ऊंचाई वाले इलाकों में डटे रहने की पूरी तैयारी अभी से चल रही है। ‘द प्रिंट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेना इसके लिए ‘मेक इन इंडिया’ के तहत देसी कंपनियों को तरजीह देगी।आर्मी 17 तरह के स्पेशल क्लोदिंग और पहाड़ों पर चढ़ाई वाले उपकरणों को चाहती है। रिपोर्ट में रक्षा सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि आर्मी इन खास कपड़ों और उपकरणों के लिए ‘मेक इन इंडिया’ भावना के अनुरूप देसी कंपनियों को तरजीह देगी। फिलहाल इनमें से ज्यादातर आइटम दूसरे देशों से आयात किए जाते हैं। आर्मी की तरफ से जारी हालिया सूची के मुताबिक, उसे सालाना 50 हजार से 90 हजार तक एक्सट्रीम कोल्ड वेदर क्लॉदिंग सिस्टम (शून्य से काफी नीचे तापमान में कड़ाके की ठंड में पहने जाने वाले खास कपड़े) की जरूरत है। इतनी ही तादाद में स्लीपिंग बैग्स, रकसैक्स, बहुत ही ज्यादा ऊंचाई वाली जगहों पर पहने जाने वाले समर सूट, मल्टीपर्पज बूट और स्नो गॉगल्स की जरूरत है।इसके अलावा आर्मी को 12000 खास ऊनी मोजे, दो और तीन लेयर वाले करीब 3 लाख जोड़े दस्ताने, बहुत ही ज्यादा ठंड और ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात सैनिकों को इमर्जेंसी इलाज देने में इस्तेमाल होने वाले खास तरह के 500 चैम्बरों की जरूरत है। सेना को सालाना 3000 से 5000 एवलॉन्च एयरबैग्स और एवलॉन्ट विक्टिम डिटेक्टर्स की भी जरूरत है। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा कि इन उपकरणों का सियाचिन और दूसरे ऊंचाई वाले इलाकों में इस्तेमाल किया जाएगा।