नई दिल्ली : भारतीय सेना के टी-72 टैंक को रिप्लेस करने के लिए फ्यूचर रेडी कॉम्बेट वीइकल (FRCV) पर काम हो रहा है। स्वदेशी इंडस्ट्री इसके डिवेलपमेंट पर काम कर रही है। करीब चार साल में स्वदेशी फ्यूचर रेडी कॉम्बेट वीइकल डिवेलप हो जाएंगे। तब तक टी-72 टैंक को रिटायर करने का टाइम भी आ जाएगा।इस प्रोजेक्ट के तहत सेना को 1770 से ज्यादा फ्यूचर रेडी कॉम्बेट वीइकल मिलेंगे। लेकिन यह फेज वाइज मिलेंगे ताकि बदलते वक्त के हिसाब से नई टेक्नॉलजी इसमें समाहित की जा सके। पहले फेज में करीब 600 टैंक तैयार किए जाएंगे। यह मौजूदा तकनीक के हिसाब से होंगे। इसके लिए भारतीय सेना ने एक्सेपटेंस इन प्रिसिंपल (AIP) स्वदेशी कंपनियों के लिए जारी किया था और बताया था कि सेना को अपने मेन बैटल टैंक में क्या क्या खूबी चाहिए। स्वदेशी इंडस्ट्री का इसमें अच्छा रिस्पॉन्स मिला है।सूत्रों के मुताबिक अब फिजिबिलिटी स्टडी की जा रही है। अगले कुछ महीनों में फिजिबिलिटी स्टडी पूरी हो जाएगी, जिसके आधार पर प्रोजेक्ट को फिर आगे बढ़ाया जाएगा। करीब चार साल में इन नए टैंक का डिवेलपमेंट पूरा हो जाएगा और फिर उसका निर्माण शुरू होगा। दूसरे फेज में भी करीब 600 टैंक चाहिए होंगे। ये उस वक्त की तकनीक के हिसाब से बनेंगे। तीसरे चरण तक तकनीक और बदल जाएगी तो बाकी टैंक नई तकनीक को शामिल करते हुए बनेंगे। यह मेक वन प्रोजेक्ट है यानी इसके लिए सरकार फंड कर रही है।70 के दशक में भारतीय सेना ने सोवियत संघ से टी-72 टैंक लेने का फैसला किया था। 1978 में T-72 के तीन वेरियंट T-72 , T-72M और T-72 M1 की खरीद सोवियत संघ से की गई और 1980 में इनका निर्माण चेन्नई में शुरु किया गया। यह टैंक अब पुराने हो गए हैं। हालांकि इन्हें अपग्रेड किया गया है। कुछ साल पहले ही इन्हें स्वदेशी इंजन से अपग्रेड किया गया और इसकी ताकत 786 हॉर्स पावर से बढ़ाकर 1000 हॉर्स पावर की गई।