India Lands on Moon: मामा श्री के घर जैसे भांजे पहुंचे हों… अब चंदा मामा दूर के नहीं रहे, अपना चंद्रयान उतर चुका है – india landed on moon chandrayaan 3 vikram lander made history proud moment

वो गीत बदल दो, अब चंदा मामा दूर नहींजो चांद पर पहुंचे उनके सामने दुनिया ने सर झुकाया है… जब पूरब और पश्चिम फिल्म में यह डायलॉग मनोज कुमार बोलते हैं तो प्राण का जवाब होता है- है कोई ऐसी बात तुम्हारे देश की, जिस पर कि सर ऊंचा कर सको। इसके बाद मनोज कुमार पर फिल्माया गीत दशकों से भारतीयों की जुबान पर रहा है। उसी गीत में एक लाइन आती है- तारों की भाषा भारत ने दुनिया को पहले सिखलाई, देता न दशमलव भारत तो यूं चांद पे जाना मुश्किल था। धरती और चांद की दूरी का अंदाजा लगाना मुश्किल था। आगे जब फिल्में बनेंगी तो उसकी लाइन जरूर आगे बढ़ाई जाएगी। भारत के चांद पर पहुंचने की गौरवगाथा जरूर दोहराई जाएगी। हमारा सौभाग्य है कि हम ऐसे समय में जन्मे जब देश चांद पर पहुंचा है। आज हमारे पुरखे जहां भी होंगे, गर्व महसूस कर रहे होंगे। विक्रम साराभाई से लेकर अब्दुल कलाम को आज पूरा देश याद कर रहा है।हम गौरवशाली हैं…आज कुछ लोगों को रामधारी सिंह दिनकर की वो कविता भी याद आ रही होगी जो आपने प्राइमरी स्कूल में पढ़ी होगी।हठ कर बैठा चांद एक दिनमाता से यह बोला,सिलवा दो मां, मुझे ऊन कामोटा एक झिंगोला।जी हां, भारत की यह उपलब्धि कितनी बड़ी है, इसे हर भारतीय को समझना जरूरी है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत पहला देश बन गया है। रूस का लूना 25 भी दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतर सका। जितने बजट में भारत में फिल्म बनती है, इसरो ने चांद पर अपना चंद्रयान उतार दिया। अपना चंद्रयान-2 भले ही चांद पर नहीं उतरा लेकिन उसका ऑर्बिटर अब भी काम कर रहा है।आज हम ऐतिहासिक घटना के गवाह बने हैं। पहली बार 14 सितंबर 1959 को मानव निर्मित यान चांद पर उतरा था। वह रूस का लूना-2 था। अगर आप 40 साल की उम्र के आसपास हैं तो आपके पिता की उम्र उस समय साल दो साल ही रही होगी। ऐसे में समझिए कि आज का दिन कितना ऐतिहासिक है। खास बात यह है कि जब भारत ने मून मिशन शुरू किया तो उसने मुश्किल लक्ष्य चुना। चंद्रमा के उजले हिस्से में उपकरणों को धूप से रोशनी मिलती रहती है। ऐसे में अब तक किसी भी देश ने अपने यान को अंधेरे वाले हिस्से में उतरने की हिम्मत नहीं की थी।जिस इलाके में अपना विक्रम लैंडर उतरा है वहां आसपास कई किलोमीटर लंबे-चौड़े गड्ढे हैं। यहां बहुत ज्यादा तापमान और -200 डिग्री तापमान भी हो जाता है। यहां की मिट्टी के बारे में किसी को कुछ नहीं पता है। कहते हैं कि लाखों साल से ये वैसी ही है। अपना रोवर अब 14 दिनों तक चांद की सतह पर घूमकर मिट्टी की जांच करेगा, पानी की संभावना तलाशेगा। इससे धरती और चांद के ही नहीं सौर मंडल के रहस्य सामने आ सकते हैं।​स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हुआ भारत का नाम​जैसे रूस चांद पर पहला यान भेजने वाला देश था और अमेरिका कदम रखने वाला पहला देश बना। इसी तरह से आज भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है। हम रहें न रहें, आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी कि 23 अगस्त 2023 को भारत का यान चांद पर उतरा था।