India Vs Pakistan Economy,Opinion : भारत vs पाकिस्तान, ये सपनों की उड़ान और दुश्मनी के गर्त में गिरने की गाथा है – how india and pakistan did for itself in last 77 years full detail of economic, social and political situations

नई दिल्ली: कहते हैं इंसानों की तरह समाज और राष्ट्र का भी निश्चित चरित्र होता है। चरित्र ही कर्मों के चयन का आधार बनता है। और कर्म का फल तो भुगतना ही होता है। जिस किसी को इस पर यकीन नहीं हो, उसे पाकिस्तान और भारत के हालात पर गौर कर लेना चाहिए। अंग्रेजों ने हमें आजाद किया तो हमारे देश का टुकड़ा करके एक और देश बना दिया- पाकिस्तान। वो पाकिस्तान हर वर्ष हमसे एक दिन पहले ही अपनी आजादी का दिन मनाता है- 14 अगस्त को। अभी तीन दिन पहले ही हम दोनों देशों को यह मौका मिला था। लेकिन बात आज स्वतंत्रता दिवस की नहीं, बात करते हैं पाकिस्तान के हालात की। उस पाकिस्तान के हालात की, जो शुरुआती दिनों में भारत के मुकाबले ज्यादा प्रगति करता दिख रहा था, जिसे खुद पर खुदा की नेमत होने का दंभ था। अकड़ इतनी कि अपना नाम ही ‘पवित्र जमीन’ रखा। लेकिन विडंबना देखिए, पाकिस्तान का एक-एक बंदा, खुदा की बंदगी में इतना ज्यादा मशगूल हो गया कि प्रगति के सारे पैमानों से उसकी नजर हट गई और आज हालात ये हैं कि पाकिस्तान हकीकत में खुदा की मेहरबानियों के भरोसे ही है।भारत की प्राथमिकताओं का दिख रहा है असरफर्स्टफोस्ट.कॉम पर प्रकाशित एक लेख में श्रीमॉय तालुकदार कहते हैं कि आजाद भारत और नए देश पाकिस्तान के बीते 77 वर्षों का सफर हमें बहुत बड़ी शिक्षा देता है। एक दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो सभ्यता के मूल्यों को आत्मसात रखते हुए भी आसमान की ऊंचाइयां छूने को बेचैन है; दूसरा एक असफल राज्य है, जो राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और धार्मिक कट्टरपंथ की भंवर में फंसकर रोज-रोज पतन की गहराई में धंसता जा रहा है। आशा और निराशा के इस द्वंद्व से एक कठोर सच्चाई सामने आती है। स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की तरफ से जारी एक रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि कैसे भारत में बड़े पैमाने पर मध्यम वर्ग का उदय हो रहा है। रिपोर्ट वित्तीय वर्ष (FY) 2011 से 2022 तक दायर आयकर रिटर्न (ITR) पर आधारित है।Foreign Exchange: इस सावन खूब बरस रही है विदेशी मुद्रा, भारत और पाकिस्तान दोनों देशों मेंहर आंकड़ा भारत की प्रगति का गवाहआयकर डैशबोर्ड से जुटाए गए आंकड़े बताते हैं कि मध्यम वर्ग के भारतीयों की औसत आय वित्त वर्ष 2013 में 4.4 लाख रुपये से वित्त वर्ष 2022 में बढ़कर तीन गुना हो गई है। एसबीआई की यह रिपोर्ट, पिछले 10 वर्षों में निम्न आय समूहों के ऊपरी आय वर्ग में पहुंचने की पुष्टि करती है। इस कारण आयकर सीमा से बाहर रहने वालों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि बड़े-बड़े सपने देखने की हिम्मत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में उम्मीद जताई कि विदेशी शासन से मुक्ति की 100वीं वर्षगांठ पर वर्ष 2047 तक भार एक विकसित देश होगा। उनका भाषण केवल महत्वाकांक्षा का प्रदर्शन मात्र नहीं, बल्कि उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं का एक विस्तृत विवरण और एक रोडमैप भी है।हम सपना संजोते ही नहीं, पूरा भी करते हैंडेढ़ अरब आबादी के प्रतिनिधि के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से जो कहा, उसका समर्थन आंकड़े भी करते हैं। एसबीआई की रिपोर्ट में अनुमान है कि वित्त वर्ष 2047 तक आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 85.3 प्रतिशत बढ़कर 48.2 करोड़ हो जाएगी और भारत मध्यम रूप से समृद्ध देशों में शामिल हो जाएगा। तब भारतियों की प्रति व्यक्ति अनुमानित आय वित्त वर्ष 2023 में 2 लाख रुपये के मुकाबले वित्त वर्ष 47 में 14.9 लाख रुपये तक हो सकती है। ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश और दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में इस तरह की वृद्धि के अनुमान मिलते हैं, तो भारत के लिए सुपरपावरों की लीग में आने का रास्ता खुल सकता है।पाकिस्‍तान 76 साल बाद बदलेगा भारत नीति! मुस्लिम देश दोस्‍ती को करेंगे मजबूर, क्‍यों कह रहे पाक व‍िशेषज्ञआज यूरोप से दोस्ती को यूरोप भी लालायितआज कोई सट्टेबाज की हिम्मत नहीं कि वो भारत के उदय के दावों के खिलाफ दांव लगा ले। भारत राजनीतिक रूप से स्थिर है और केंद्र में एक मजबूत सरकार है जिसे भारी बहुमत प्राप्त है; प्रधानमंत्री दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं; राज्य विदेशी निवेश के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और बाधाओं को दूर करने में सुविधा प्रदान कर रहे हैं; दुनिया भारत को वैश्विक आर्थिक पुनरुत्थान के लिए ‘एकमात्र उज्ज्वल बिंदु’ के रूप में देख रही है। भारत के कूटनीतिक प्रयासों से ऐसा हुआ है कि यूरोप में युद्धरत गुट भारत से नजदीकियां बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।पाकिस्तान का हाल भी तो देख लेंबढ़ते जियो-इकॉनमिक्स और जियो-पॉलिटिकल प्रोफाइल वाले भारत की तुलना पाकिस्तान से करें। हमारा पड़ोसी देश अपने एक शीर्ष बैंकर के अनुसार, ‘आईएमएफ का सबसे वफादार ग्राहक’ है, जिसे पिछले 75 वर्षों में वैश्विक मौद्रिक कोष की मदद 25 बार लेनी पड़ी है, जो बेहद खराब रिकॉर्ड है। पाकिस्तान अब गरीबी की चरम अवस्था में है, जिसकी दिवालिया अर्थव्यवस्था कर्ज के ऐसे जाल में फंस गई है कि उसे पुराने कर्जों को चुकाने के लिए और ज्यादा उधार लेना पड़ता है।Forex Reserves: लगातार तीसरे हफ्ते गिरा विदेशी मुद्रा भंडार, पाकिस्तान की हालत भी खस्ता हुईकर्ज चुकाने के लिए कर्ज! गजब है पाकिस्तानइस्लामाबाद ने यूरो में युद्ध के कारण बढ़ती कमोडिटी कीमतों, भयावह बाढ़, आत्मघाती नीतियों और आर्थिक कुप्रबंधन से तबाह हो चुके अपनी नाजुक अर्थव्यवस्था को टालने के लिए आईएमएफ से 3 अरब डॉलर का एक और लोन एग्रीमेंट किया है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार अभी इतना खतरनाक स्तर पर जा गिरा है कि मुश्किल से तीन हफ्तों के आयात को कवर किया जा सकता है। इतिहास में भी उसका मुद्रा भंडार कभी 21 अरब डॉलर के ऊपर नहीं जा सका है। वहां महंगाई अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर है। फरवरी में बेहाल शाहबाज शरीफ सरकार ने माल और सेवा कर (जीएसटी) को 18 प्रतिशत तक बढ़ा दिया और आर्थिक संकट से निपटने के लिए मजबूरी में ईंधन की कीमतें भी बढ़ाई गईं।लगातार कमजोर हो रहा है पाकिस्तानी रुपयापाकिस्तान का रुपया, डॉलर के मुकाबले 3.30.50 के स्तर पर चला गया है। कारोबारी दुनिया पर नजर रखने वाली वैश्विक न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग ने बुधवार को बताया कि सुजुकी वाहनों और टोयोटा कारों के असेंबलर और निर्माता स्टॉक और किट की कमी के कारण शोरूम और कारखानों बंद कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हजारों कंपनियों को मैन्युफैक्चरिंग के लिए इंपोर्ट परमिट प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है और माल बंदरगाहों में फंसे हुए हैं क्योंकि सरकार देश के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी को रोकने के लिए डॉलर दे नहीं रही है।’पाकिस्‍तान के दुश्‍मन टीटीपी ने जमकर की भारत की तारीफ, मुल्‍क की हालत पर जताया अफसोसपाकिस्तान के लिए रोशनी की कोई उम्मीद नहींविदेशी मामलों के जानकार सुशांत सरीन ने लिखते हैं, ‘अगले वित्तीय वर्ष यानी FY2024 के लिए उपलब्ध अनुमानों से पाकिस्तान सरकार पर कर्ज चुकाने का बोझ कमाई से लगभग 1 खरब रुपया ज्यादा होगा। दूसरे शब्दों में, पाकिस्तान न केवल रक्षा व्यय, विकास व्यय, सब्सिडी और सिविल सरकार के संचालन के लिए, बल्कि अपने कर्ज चुकाने के लिए भी उधार लेगा। चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ रेट केवल 0.29 प्रतिशत रहा है। उधर, सामाजिक-राजनीतिक उथल-पुथल और गृह युद्ध जैसे हालात से भविष्य में और अस्थिरता का जोखिम बढ़ा रहा है। जनरल सैयद असीम मुनीर के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना 9 मई के दंगों के बाद सत्ता और देश की राजनीति में वर्चस्व बनाए रखने पर आमदा है। कार्यवाहक प्रधानमंत्री की नियुक्ति के बीच आ रही खबरों से लगता है कि वहां संसदीय चुनाव फिलहाल नहीं होने वाले। इस कारण पाकिस्तान को तुरंत स्थिर सरकार मिलने की कोई उम्मीद नहीं है।भारत बनाम पाकिस्तान की युवा आबादीपाकिस्तान भी एक युवा जनसांख्यिकी का दावा करता है, लेकिन इसके युवा बेहतर अवसरों की तलाश में देश छोड़ रहे हैं। पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, इस साल जून तक 8.32 लाख पाकिस्तानी देश छोड़ चुके हैं, जिनमें से 4 लाख शिक्षित और योग्य पेशेवर हैं। इनमें डॉक्टर, नर्स, इंजीनियर, आईटी प्रफेशनल्स शामिल हैं। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ही पाकिस्तान में 67 प्रतिशत युवा देश छोड़ना चाहते हैं, जबकि 31 प्रतिशत शिक्षित युवा बेरोजगार हैं। हालात कितने भयावह हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तानी युवा अपनी जान जोखिम में डालकर भी यूरोप में घुसपैठ कर रहे हैं।Biporjoy in Pakistan: ‘कराची 5 मिनट में तबाह हो जाएगा, क्या होगा जब पाकिस्तान को हिट करेगा ‘बिपरजॉय’?पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून में स्तंभकार शाएजल नवेद चीमा लिखते हैं, ‘इस युवा पलायन का प्रभाव पाकिस्तान तक ही सीमित नहीं है, हमारे पड़ोसी देश भारत में भी एक विशाल प्रवासी आबादी है। हालांकि, भले ही कई युवा भारतीयों ने अवसरों की तलाश के लिए विदेशों का रुख किया हो, लेकिन भारत की युवा आबादी राष्ट्र की प्रगति का एक प्रेरक शक्ति बनी हुई है। भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से अपने युवाओं की उद्यमी भावना के कारण फलती-फूलती है, जो टेक्नॉलजी से लेकर इनोवेशन और उद्यमिता तक, विभिन्न क्षेत्रों में योगदान करते हैं। लेकिन हमारे राज्य की प्राथमिकताएं भारत जैसे सफल पड़ोसी देशों से बहुत अलग हैं। हम 1950 के दशक में खड़े हैं जबकि हमारे आसपास की दुनिया विकसित हो रही है और बढ़ रही है।’स्‍वतंत्रता दिवस पर इंतजार करता रहा पाकिस्‍तान, भारत से नहीं आई पीएम मोदी की बधाई, शांतिकाल में पहली बार हुआ ऐसानायपॉल का वो लेख आज भी प्रासंगिक1997 में एक निबंध में, वीएस नायपॉल ने लिखा था, ‘भारत के दृष्टिकोण से विभाजन अत्यंत सौभाग्यशाली था। वरना, धार्मिक प्रश्न राज्य को पंगु बना देता और नष्ट कर देता। क्रूर विडंबना से यही सीमा पार पाकिस्तान में हुआ है। भारत में मानवीय संभावना पर जोर दिया जाता है। पाकिस्तान निरंतर सिर्फ और सिर्फ पीछे भाग रहा है।’ तालुकदार लिखते हैं, ‘हर गुजरता दिन यह दिखाता है कि नायपॉल कितने दूरदर्शी थे। पाकिस्तान के बदलने की अब भी बहुत कम उम्मीद है, क्योंकि उसका भ्रम बहुत गहरा है और उसका भारत-विरोध भीतर तक समाया हुआ है। लेकिन अगर भविष्य में किसी समय वह भारत द्वारा क्षेत्र में बुनी जा रही विकास गाथा का हिस्सा बनना चाहता है, तो उसे बिना शर्त के आना होगा। अगर वह व्यापार संबंधों के फिर से शुरू होने की इच्छा रखता है, तो वह भारत की शर्तों पर होगा, जिसमें भारत के मूल मुद्दों को ध्यान में रखा जाएगा। पाकिस्तान के अभिजात्य वर्ग को भले ही समता का भ्रम हो, वह ट्रेन बहुत पहले ही स्टेशन से निकल चुकी है।’