ISRO: चांद के अब सूरज की बारी… क्या है इसरो का मिशन आदित्य एल-1 जिसका जिक्र पीएम मोदी ने किया – chandrayaan 3 successful isro eye on sun know all about aditya l1

नई दिल्ली: भारत ने इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 मिशन पूरी तरह सफल हुआ है और भारत ने कुछ ऐसा कर दिया है जो अब तक कोई देश नहीं कर पाया है। चांद के साउथ पोल पर लैंड करना काफी चुनौतीपूर्ण था और इसको लेकर कई देश आशंका जाहिर कर रहे थे। लेकिन इसरो ने इन तमाम आशंकाओं को दूर करते हुए बड़ी कामयाबी हासिल की है। भारत की स्पेस एजेंसी इसरो की वाहवाही आज देश में ही नहीं पूरी दुनिया में हो रही है। चंद्रयान-3 मिशन के सफल होते ही एक नए मिशन की चर्चा जोरों से शुरू हो गई। इसका जिक्र आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किया। सूरज की स्टडी करने वाले स्पेसक्राफ्ट आदित्य-एल 1 भी जल्द मिशन पर होगा।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने के बाद देशवासियों, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत भारत अब चांद पर है और अब चंद्र पथ पर चलने का समय है। उन्होंने कहा नई पीढ़ी के लिए कहावतें भी बदल जाएंगी। कभी कहा जाता था- चंदा मामा बहुत दूर के हैं, अब एक दिन वो भी आएगा जब बच्चे कहा करेंगे, चंदा मामा बस एक टूर के हैं। मोदी ने कहा कि हमने भविष्य के लिए कई बड़े और महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं। जल्द ही सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिए इसरो आदित्य एल-1 मिशन लांच करने जा रहा है।इसरो का आदित्य एल-1 मिशन, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी का अब तक का सबसे जटिल मिशन है। यह अगस्त के अंत या सितंबर की शुरुआत में लॉन्च होने वाला है। यह मिशन कई मायनों में खास और अलग होने वाला है। अंतरिक्ष यान हर वक्त सूर्य की ओर देखेगा और 24.7 नजर रखेगा। भारतीय सूर्ययान आदित्य एल-1 स्पेसक्राफ्ट को धरती और सूरज के बीच एल-1 ऑर्बिट में रखा जाएगा।धरती और सूरज के सिस्टम के बीच मौजूदा पहला लैरेंजियन पॉइंट। इसी पॉइंट पर आदित्य-एल 1 को रखा जाएगा। लैरेंजियन पॉइंट को अंतरिक्ष का पार्किंग स्पेस भी कहा जाता है। यहां पहले से कई उपग्रह तैनात किए गए है। इस जगह से आदित्य एल-1 सूरज का अध्ययन करेगा। इसरो का यह मिशन अब तक का सबसे जटिल मिशन होने वाला है। इस मिशन के जरिए भारत पहली बार सौरमंडल में स्पेस ऑब्जर्वेटरी तैनात करेगा। आदित्य एल-1 का काम सूरज पर 24 घंटे नजर रखना होगा।भारत ने रचा इतिहास, चंद्रयान 3 की चांद पर सफल लैंडिंगइसरो के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आदित्य एल -1 से अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कण और क्षेत्रों के प्रसार आदि की समस्या को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी। साथ ही पेलोड के सूट कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और उनकी विशेषताओं को समझने में आसानी होगी।