श्रेयांश त्रिपाठी, श्रीनगरजम्मू-कश्मीर के मसले पर पीएम नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक खत्म हो गई है। दिल्ली के 7, लोक कल्याण मार्ग पर करीब साढ़े तीन घंटे तक चली बैठक के बाद प्रधानमंत्री आवास से निकले हर नेता ने इस बात पर खासा जोर दिया कि बातचीत का मुख्य मजमून लोकतंत्र बहाली और जल्द चुनाव ही था। बैठक में शामिल गुलाम नबी आजाद से लेकर अल्ताफ बुखारी तक चुनाव की हिमायत करते नजर आए, जिसपर पीएम ने भी उनका समर्थन किया। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव कराने की प्लानिंग शुरू हो गई है। अगर ऐसा होता है तो यह पहला मौका होगा, जब जम्मू-कश्मीर में 5 वर्ष के लिए विधानसभा बनाने के लिए वोटिंग कराई जाए। दरअसल अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के कारण जम्मू-कश्मीर में 1965 से 5 अगस्त 2019 तक 6 वर्षों के लिए विधानसभा का चुनाव कराया जाता था। विशेष दर्जे के कारण प्रदेश में 6 वर्षों के लिए विधानसभा चुनी जाती थी। हालांकि अब 370 के अंत के बाद अब प्रदेश में 5 वर्षों के लिए विधानसभा का गठन होगा। इसके लिए चुनाव प्रक्रिया इस साल के अंत या 2022 की शुरुआत में कराई जा सकती है। वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी होंगे वोटरजम्मू-कश्मीर में इस बार जो चुनाव होंगे, वो कई मायनों में पूर्व में हुए चुनाव से अलग होंगे। इस बार जहां 5 वर्ष के लिए विधानसभा चुनी जाएगी। वहीं दूसरी ओर प्रदेश में पहली बार वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी और वाल्मिकी समाज के लोग मतदाता के…तो J&K में पहली बार होंगे 5 साल की विधानसभा के लिए चुनाव, समझें इस बार कैसे अलग होगी चुनाव की तस्वीररूप में वोट डाल सकेंगे। इसके अलावा लाखों ऐसे लोग, जो अब तक डोमिसाइल ना होने के कारण वोटर नहीं बन सके थे वो इन चुनावों में मतदाता होंगे। लद्दाख का इलाका होगा अलगपहली बार लद्दाख का इलाका चुनाव में जम्मू-कश्मीर का हिस्सा नहीं होगा। हालांकि पाक अधिकृत कश्मीर के हिस्से की 24 सीटें इस बार भी जम्मू-कश्मीर के साथ होंगी। डिलिमिटेशन के बाद जम्मू-कश्मीर की सीटों में इजाफा हो सकता है, जिसमें जम्मू संभाग को ज्यादा सीटें मिल सकती हैं। 2018 में भंग हुई विधानसभा में कुल 87 सीटों पर 2014 के आखिरी महीनों में चुनाव हुए थे। इनमें 4 सीटें (जंस्कार, नुब्रा, करगिल, लेह) उस इलाके की थी, जिसे अब लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है। 2014 में आखिरी चुनाव और 2018 में भंग हुई विधानसभाजम्मू-कश्मीर में साल 2014 के आखिरी महीनों में विधानसभा के चुनाव हुए थे। इसके बाद मुफ्ती मोहम्मद सईद पीडीपी-बीजेपी विधायक दल के नेता के रूप में 1 मार्च 2015 को सीएम बने थे। 6 साल के अंतर के बाद जम्मू-कश्मीर में 2021 की मई से विधानसभा चुनाव होने वाला था, हालांकि 2018 में ही विधानसभा भंग कर पहले राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। मुफ्ती मोहम्मद सईद कुल 312 दिन सीएम रहे थे। उनके देहांत के बाद 88 दिन राज्यपाल शासन रहा और फिर 4 अप्रैल 2016 को महबूबा मुफ्ती सीएम बनीं। परिसिमन और मतदाता सूची का काम अहमजम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने से पहले परिसिमन निर्धारण और मतदाता सूची का पुनरीक्षण पहली जरूरतें होंगी, जिसके बाद चुनाव का काम कराना होगा। सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में परिसिमन आयोग लगातार डिलिमिटेशन की प्रक्रिया पर काम कर रहा है। ऐसे में चुनाव के लिए पहला स्टेप उठाया जा चुका है। अगर परिसिमन आयोग जुलाई में अपनी रिपोर्ट सौंप देता है तो इसके बाद मतदाता सूची बनाने पर काम तेज होगा। चूंकि हाल ही में परिसिमन आयोग की अध्यक्ष रंजना प्रकाश देसाई और मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने J&K के सभी उपायुक्तों से जिस तरह से मीटिंग की है, ये माना जा रहा है कि मतदाता सूची बनाने का काम भी जल्द शुरू हो जाएगा।