हाइलाइट्स:जम्मू-कश्मीर में 149 साल पुरानी दरबार मूव प्रथा खत्म हो गई हैइस प्रथा के खत्म होने से हर साल 200 करोड़ रुपये की बचत होगीजम्मू-श्रीनगर के बीच राजधानी शिफ्टिंग को बोलते थे दरबार मूवअब जम्मू-श्रीनगर पर सामान्य रूप से सरकारी ऑफिस काम करेंगेश्रीनगरजम्मू-कश्मीर में चल रहे प्रशासनिक सुधारों की कड़ी में बुधवार को एक और अध्याय जुड़ गया। राज्य में 149 साल पुरानी दरबार मूव प्रथा (Darbar Move news) आखिरकार खत्म हो गई है। हर छह महीने पर राज्य की दोनों राजधानियों जम्मू और श्रीनगर के बीच होने वाले ‘दरबार मूव’ के खत्म होने से हर साल 200 करोड़ रुपये की बचत होगी।इस फैसले के बाद अब जम्मू और श्रीनगर दोनों जगहों पर सामान्य रूप से सरकारी ऑफिस काम करेंगे। राजभवन, सिविल सचिवालय, सभी प्रमुख विभागाध्यक्षों के कार्यालय पहले दरबार मूव के तहत जम्मू और श्रीनगर के बीच सर्दी और गर्मी के मौसम में ट्रांसफर होते रहते थे, मगर अब ऐसा नहीं हुआ करेगा। एक बार राजधानी शिफ्ट होने में करीब 110 करोड़ रुपये का खर्च आता था।क्या है ‘दरबार मूव’ प्रथा?दरअसल मौसम बदलने के साथ हर छह महीने में जम्मू-कश्मीर की राजधानी भी बदल जाती है। छह महीने राजधानी श्रीनगर में रहती है और छह महीने जम्मू में। राजधानी बदलने पर जरूरी कार्यालय, सिविल सचिवालय वगैरह का पूरा इंतजाम जम्मू से श्रीनगर और श्रीनगर से जम्मू ले जाया जाता था। इस प्रक्रिया को ‘दरबार मूव’ के नाम से जाना जाता है। राजधानी बदलने की यह परंपरा 1862 में डोगरा शासक गुलाब सिंह ने शुरू की थी। गुलाब सिंह महाराजा हरि सिंह के पूर्वज थे। हरि सिंह के समय ही जम्मू-कश्मीर भारत का अंग बना था।बेहद जटिल थी दरबार मूव की प्रक्रियाक्यों पड़ी ‘दरबार मूव’ की जरूरत?दरअसल सर्दी के मौसम में श्रीनगर में असहनीय ठंड पड़ती है तो गर्मी में जम्मू की गर्मी थोड़ी तकलीफदायक होती है। इसे देखते हुए गुलाब सिंह ने गर्मी के दिनों में श्रीनगर और ठंडी के दिनों में जम्मू को राजधानी बनाना शुरू कर दिया। राजधानी शिफ्ट करने की इस प्रक्रिया के जटिल और खर्चीला होने की वजह से इसका विरोध भी होता रहा है।Darbar Move: जम्मू-कश्मीर में खत्म हुई 149 साल पुरानी ‘दरबार मूव’ प्रथा, अफसरों को आवास खाली करने का आदेशजम्मू को स्थायी राजधानी बनाने की उठी मांगकई बार जम्मू को राज्य की स्थायी राजधानी बनाने की मांग उठी क्योंकि वहां साल भर औसत तापमान रहता है। गर्मी के दिनों में कोई खास गर्मी नहीं पड़ती है, लेकिन राजनीतिक कारणों से ऐसा संभव नहीं हो पाया। आशंका जताई गई कि जम्मू को स्थायी राजधानी बनाने से कश्मीर घाटी में गलत संदेश जाएगा।कैसे होता था ‘दरबार मूव’? दरबार मूव एक बेहद जटिल काम था। इसमें सैकड़ों ट्रकों से ऑफिसों के फर्नीचर, फाइल, कंप्यूटर और अन्य रेकॉर्ड्स को शिफ्ट किया जाता था। बसों से सरकारी कर्मचारियों को शिफ्ट किया जाता था। मगर अब यह प्रथा खत्म होने से इन तमाम तरह के फिजूल खर्चों पर लगाम लगेगी।