नई दिल्ली दिल्ली छावनी के बरार स्क्वायर अंत्येष्टि स्थल पर शुक्रवार को समाज की रवायतें टूटीं। जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी के पार्थिव शरीर को उनकी बेटियों ने मुखाग्नि दी। इसके बाद दोनों के पार्थिव शव पंचतत्व में विलीन हो गए। शोक में डूबे राष्ट्र ने नम आंखों से अपने पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) को विदाई दी। अंत्येष्टि स्थल पर मंजर हृदय विदारक था। लेकिन, इस दौरान भी सेना का वही जज्बा दिखा जिसके लिए उसे जाना जाता है। पुरानी रवायतों को तोड़ते हुए रावत की बेटियों कृतिका और तारिणी ने माता-पिता का अंतिम संस्कार किया। जब आज भी लोग बेटे-बेटियों में फर्क करते हैं, उस समय में यह निश्चित तौर पर समाज को एक मैसेज है। यही हमारी सेना है। वो आखिरी लम्हे क्या रहे होंगे…जिंदा थे दो लोग, बिपिन रावत को बचाने की आखिरी समय तक होती रही कोशिश?इन बहादुर बेटियों के जज्बे को पूरे देश ने सलाम किया। इस मुश्किल घड़ी में भी वे पूरे धैर्य और संयम के साथ खड़ी दिखीं। दुख जरूर था, लेकिन हौसले में कोई कमी नहीं दिख रही थी। जनरल रावत और उनकी पत्नी के पार्थिव शरीर एक ही चिता पर रखे गए। हिंदू रीति-रिवाजों से बेटियों ने मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ किया गया। सेना के बैंड की धुन के साथ उन्हें 17 तोपों की सलामी दी गई। अंत्येष्टि स्थल पर लोगों का हुजूम मौजूद था। लगभग 800 सैन्यकर्मियों के साथ रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री किरेन रिजिजू, भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन और भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस भी भारत के पहले सीडीएस के अंतिम संस्कार के समय उपस्थित थे।इससे पहले सीडीएस जनरल रावत की अंतिम यात्रा में उमड़े लोगों के हुजूम ने ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’ और ‘जनरल रावत अमर रहें’ जैसे नारे लगाए। अंत्येष्टि स्थल पर भी लोगों ने ऐसे ही नारे लगाए। जनरल रावत की अंतिम यात्रा यहां उनके आधिकारिक आवास से शुरू हुई। रास्ते में हजारों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। आम लोग हाथों में तिरंगा लिए फूलों से सजे उस वाहन के साथ दौड़ते नजर आए जिसमें जनरल रावत और उनकी पत्नी के पार्थिव शरीर रखे हुए थे। ‘मैं अलीगढ़ से आया हूं, मैं रोहिणी से, दौड़ते युवक…’ एक फौजी के निधन पर रो पड़ता है देशरास्ते में लोगों ने अपने वाहन रोककर भी देश के सबसे बड़े सैन्य अधिकारी को नम आंखों से विदाई दी। हेलीकॉप्टर हादसे में देश के पहले सीडीएस, उनकी पत्नी और 11 अन्य सैन्यकर्मियों के निधन के बाद पूरे देश में शोक का माहौल है। तिरंगे में लिपटे ताबूत में रखे जनरल रावत के अवशेषों को जैसे ही फूलों से सजी तोपगाड़ी में गाड़ी रखा गया, लोगों ने फूलों की पंखुड़ियों की बौछार की और ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’ और ‘जनरल रावत अमर रहें’ जैसे नारे लगाए।बुधवार को तमिलनाडु के कुन्नूर के पास एक एमआई17वी5 हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से जनरल रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य सैन्यकर्मियों का निधन हो गया था। भारत के पहले सीडीएस के रूप में, जनरल रावत को सेना के तीनों अंगों के बीच थिएटर कमान और संयुक्तता लाने का काम सौंपा गया था। जनरल रावत और उनकी पत्नी के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाए जाने से पहले उनके आधिकारिक आवास में रखा गया, ताकि लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें। देश की विभिन्न हस्तियों ने जनरल रावत के आधिकारिक आवास 3, कामराज मार्ग पहुंचकर उनके और उनकी पत्नी के अंतिम दर्शन किए। उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। कई देशों के सेना प्रमुख और बड़े सैन्य अधिकारी भी उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे।