नई दिल्ली: अपने दम पर चुनाव लड़ने का दावा करने वाली बसपा प्रमुख मायावती ने अपना रुख बदल लिया है। मायावती चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद जरूरत पड़ने पर गठबंधन को तैयार हैं। शर्त बस इतनी है कि यह समझौता सिर्फ सरकार बनाने के लिए होगा। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) नेता मायावती ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद सरकारों में शामिल होने पर विचार करेगी ताकि ‘सत्ता संतुलन’ और हाशिए पर रह रहे लोगों का उत्थान सुनिश्चित किया जा सके।मायावती दिल्ली में बसपा नेताओं की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने ‘सत्ता संतुलन’ और हाशिए पर रह रहे लोगों के उत्थान पर जोर दिया।मायावती ने मंगलवार को कहा कि बसपा राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना विधानसभा चुनावों के बाद सरकारों में शामिल होने पर विचार करेगी।उन्होंने कमजोर वर्गों और मुसलमानों की बेहतरी के लिए गठबंधन सरकार की वकालत की।बसपा नेताओं की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि चार राज्यों में कमजोर वर्गों और मुसलमानों की बेहतरी के लिए यह महत्वपूर्ण है कि एक मजबूत और अहंकारी सरकार के बजाय एक गठबंधन सरकार सत्ता में हो जो लोगों के कल्याण के लिए काम करेने के लिए बाध्य हो। पार्टी की ओर से जारी बयान में मायावती ने कहा कि अपनी उपस्थिति से बसपा ने कई राज्यों में सत्ता संतुलन स्थापित किया जिसकी वजह से दलित समुदाय का ‘राजनीतिक सम्मान’ बढ़ा। उन्होंने कहा, लेकिन स्वार्थी लोगों ने समाज के बजाय अपने हितों को प्राथमिकता दी और जातिवादी पार्टियों के साथ चले गए। इस साल अक्टूबर-नवंबर में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के साथ ही मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है।