नई दिल्ली: मुंबई में 31 जुलाई को विपक्ष के गठबंधन I.N.D.I.A. की तीसरी मीटिंग है। यह मीटिंग राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम मानी जा रही है। माना जा रहा है कि एकता की दिशा में यह मीटिंग मेक या ब्रेक मोमेंट होगी? मीटिंग को लेकर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि पटना और बेंगलुरु में हुई मीटिंग में 2024 आम चुनाव साथ लड़ने पर नीतिगत सहमति की मंशा तो व्यक्त की गई थी, लेकिन अभी तक इस दिशा में अभी तक कोई बड़ा फैसला नहीं हो सका है। ऐसे में इस मीटिंग में क्या ठोस नतीजे सामने आते हैं इससे इस गठबंधन की गंभीरता का अहसास होगा। ठीक उलट अगर I.N.D.I.A. गठबंधन को इस मीटिंग में पेंडिंग फैसले लेने में गतिरोध का सामना करना पड़ और आपसी सहमति नहीं बना सकी तो इसका नकारात्मक संदेश जाएगा। इससे आगे की राह कठिन हो जाएगी।इस बार क्या है दांवपांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में दो और लोकसभा चुनाव में सात-आठ महीने बचे है। ऐसे में अगर गठबंधन को जमीन तक अपनी बात ले जानी है और जनता के बीच सियासी केमेस्ट्री दिखानी है तो मीटिंग को पूरा आकार लेना होगा। विपक्षी दल के कुछ नेता दावा कर रहे हैं कि मुंबई मीटिंग के बाद आगे के रोडमैप का ऐलान कर दिया जाएगा। RJD सांसद मनोज झा ने कहा कि मुंबई की मीटिंग के बाद आत्ममुग्ध राजनीति के विकल्प के रूप में प्रगतिशील कार्यक्रम सामने आएगा। सीट शेयरिंग को लेकर उल्लेखनीय प्रगति होगी। रोजगार, महंगाई, सार्वजनिक संपत्ति और सामाजिक सौहार्द जैसे मुद्दों की टाइम लाइन तय करेंगे। सब कुछ सहमति से होगा। वहीं, JDU नेता के. सी. त्यागी ने कहा कि सब कुछ सही दिशा में बढ़ रहा है। विपक्षी दलों के बीच एकता के लिए सभी कदम उठाए गए हैं।शरद पवार के रुख पर सस्पेंस, नीतीश कुमार की भूमिका तय… मुंबई में टीम-11 बनाने जा रहा I.N.D.I.A एलायंसI.N.D.I.A. से ये हैं उम्मीदें1- संयोजक का चयन: सूत्रों के अनुसार, मुंबई की मीटिंग में गठबंधन के संयोजक का नाम तय किया जा सकता है। फिलहाल इस पद के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार सबसे बड़े दावेदार हैं। कांग्रेस सहित कई दल उनके नाम पर सहमत भी दिख रहे हैं। नीतीश कुमार की बाकी क्षेत्रीय दलों के साथ भी रिश्ते बेहतर हें तो उनके नाम पर किसी को दिक्कत नहीं होगी।2- समितियों का गठन: सूत्रों बताते हैं कि इस मीटिंग में आम चुनाव के लिहाज से कई दूसरी समितियों का गठन भी हो जाएगा। साथ ही बेंगलुरु की मीटिंग में I.N.D.I.A. का अलग ऑफिस खोलने की जो बात हुई थी, उसे भी अमल में लाया जा सकता है। जिन समितियों का गठन प्रस्तावित है, उसमें घोषणा पत्र के लिए अलग कमिटी, सोशल मीडिया, कम्युनिकेशन, राजनीतिक मामलों आदि से जुड़े मसले शामिल होंगे।3- मुद्दों पर सहमति: इसके अलावा विपक्षी दलों के अजेंडे में मुद्दों पर सहमति बनाने की कोशिश है। इनकी मंशा है कि वे ऐसे मुद्दे लेकर नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी के सामने आएंगे जो पूरे देश में कॉमन हों। रोजगार, महिलाओं और कल्याणकारी योजनाएं जैसे मुद्दे इनमें शामिल होंगे। लेकिन इन मुद्दों पर सहमत होने से पहले I.N.D.I.A. गठबंधन को चुनौतियों के बीच से गुजरना होगा।Nitish Kumar होंगे I.N.D.I.A के संयोजक? लालू यादव का चौंकाने वाला जवाब, पीएम कैंडिडेट पर भी तोड़ी चुप्पीचुनौतियां भी कम नहीं हैं1- सीट शेयरिंग: मुंबई की मीटिंग में I.N.D.I.A. गठबंधन के बीच लोकसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग का मसला भी सामने आएगा। सबसे बड़ी चुनौती यही है। इसे लेकर कितने राजनीतिक दल सहमत होंगे, होंगे भी या नहीं, इसी कशमकश को देखना सबसे दिलचस्प होगा। गठबंधन ने कम से कम 450 लोकसभा सीटों पर NDA के खिलाफ एक साझा उम्मीदवार देने का ऐलान किया है।2- आपसी बयानबाजी: I.N.D.I.A. गठबंधन के नेता एक दिन आपसी समझौते की बात करते हैं और अगले दिन एक दूसरे के धुर विरोधी दिखते हैं। यह विरोधाभास गठबंधन की सबसे बड़ी चुनौती है। चाहे ममता बनर्जी बनाम कांग्रेस हो या अरविंद केजरीवाल बनाम कांग्रेस, ऐसे कई मिसालें आ रही हैं।3- विधानसभा चुनाव की बाधा: आम चुनाव से पहले इसी साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं। क्या यहां I.N.D.I.A. एकजुट होकर कांग्रेस का साथ देगी? क्या केजरीवाल इन राज्यों से अलग होंगे? क्या समाजवादी पार्टी सपोर्ट करेगी? इसके अलावा उत्तर प्रदेश में क्या गठबंधन में मायावती शामिल होंगी? इन सवालों से भी I.N.D.I.A. का भविष्य तराशा जाएगा।