हाइलाइट्सविवादित बयान देकर सुर्खियों में आए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझीछोटे बेटे, दामाद और बहू के लिए मांझी को चाहिए विधान परिषद की तीन सीटें नीतीश कुमार ने नहीं दिया भाव तो अब बीजेपी से प्रेशर दिलाना चाहते हैं मांझीपटनाब्राह्मणों को गाली देकर सुर्खियों में आए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करना चाहते हैं। मांझी की पूरी राजनीति परिवार के लिए है। 2018 में महागठबंधन में शामिल होने के बाद लालू यादव से अपने बेटे को एमएलसी बनवा दिए थे। अब एनडीए के कोर वोट पर हथौड़ा मारकर छोटे बेटे, दामाद और बड़ी बहू को सेट करना चाहते हैं।लालू से नीतीश तक मांझी की प्रेशर पॉलिटिक्सबिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ब्राह्मणों-पंडितों के बारे में अपशब्द कहकर सुर्खियां बटोर रहे हैं। मांझी उसी बीजेपी के साथ सरकार में शामिल हैं, जिसके पारंपरिक वोटर सवर्ण समाज (ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत, कायस्थ) को माना जाता है। नीतीश कुमार से भी ब्राह्मण समाज को बहुत आपत्ति नहीं रहती है। क्योंकि वो उटपटांग बातें नहीं करते हैं। मगर मांझी ने एक साथ नीतीश और बीजेपी दोनों को टारगेट किया है। ऐसी बात नहीं कि मांझी ने अनजाने में या गलती से ये सबकुछ किया है या कर रहे हैं। दरअसल इसके बहाने वो एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) पर प्रेशर बनाना चाहते हैं। मांझी अपने परिवार का पॉलिटिकल सेटलमेंट चाहते हैं। इससे पहले लालू यादव पर प्रेशर बनाकर अपने बड़े बेटे संतोष को एमएलसी बनवा चुके हैं। मांझी के बेटे अब बिहार की एनडीए सरकार में मंत्री पद की शोभा बढ़ा रहे हैं। Barhmin Politics in Bihar-UP : जगन्नाथ मिश्र के साथ ही खत्म हो गया दबदबा, बिहार और यूपी की राजनीति के ‘हाशिए’ पर हैं ब्राह्मणमांझी के ब्राह्मणों को गाली देने की पीछे की कहानीदरअसल बिहार में एमएलसी की 24 सीटों के लिए चुनाव होने हैं। मांझी को अपने परिवार के लोगों को सेट करने के लिए विधान परिषद की तीन सीटें चाहिए। जीतन राम मांझी खुलकर अपनी इच्छा जाहिर कर चुके हैं। नीतीश कुमार से मुलाकात भी किए थे। मगर कहा जाता है कि नीतीश ने उस मुलाकात में मांझी को बहुत भाव नहीं दिया था। चूंकि मांझी नीतीश के कोटे से एनडीए में हैं तो बीजेपी को बहुत इंट्रेस्टेड नहीं है। ऐसे में मांझी ने ब्राह्मणों के खिलाफ बयान देकर बीजेपी पर प्रेशर बनाना शुरू किया है ताकि उनकी बात को भारतीय जनता पार्टी के नेता नीतीश तक पहुंचाएं। मिथिला के ब्राह्मणों की मांझी के भोज में क्यों नहीं होगी एंट्री? घर के बाहर यज्ञ और सत्यनारायण भगवान की कथाबेटा, दामाद और बहू के लिए चाहिए MLC टिकटजीतन राम मांझी के दो बेटे और पांच बेटियां हैं। मांझी ने बड़े बेटे संतोष सुमन मांझी को 2018 में लालू यादव की मदद से विधान परिषद भेजवा दिया। संतोष सुमन मांझी की पत्नी दीपा मांझी जिला परिषद सदस्य हैं। मांझी के छोटे बेटे राजनीति में तो नहीं हैं, लेकिन अक्सर पिता के साथ देखे जाते हैं। वो बिजनेस करते हैं। इसके अलावा जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी राजनीति में हैं। विधानसभा का टिकट देकर मांझी उनको चुनाव लड़वाते रहते हैं, लेकिन अब तक जीत नहीं पाए। 2006 से लेकर 2015 तक जीतन राम मांझी ने मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री रहने तक अपने दामाद को ही निजी सहायक रखा। मांझी अपने दामाद को किसी तरह सदन भेजना चाहते हैं।’पंडित *&%# आते हैं’…कहते हैं खाएंगे नहीं’, ब्राह्मणों से लेकर देवी-देवताओं तक को गाली, बिहार के पूर्व सीएम मांझी के बिगड़े बोलबिहार का सियासी गुणा-गणित समझिएएनडीए के कोर वोटर ब्राह्मण समाज पर हमला करके मांझी अपनी राजनीतिक चाहत को पूरा करना चाहते हैं। राज्य में ब्राह्मण 5.5% और भूमिहार ब्राह्मण 6% हैं। दोनों को मिलाकर कुल आबादी 11.5 फीसदी होती है। मांझी के इस बयान से दोनों समुदायों के लोगों ने नाराजगी जाहिर की है। मंत्री से लेकर विधायक तक ने मांझी को इस तरह के बयानों से बचने की नसीहत दी। सत्तारूढ़ एनडीए के पास 127 विधायक हैं। इनमें जेडीयू के पास 45 और एक निर्दलीय का समर्थन है। मतलब कुल 46 विधायक हैं। बीजेपी के पास कुल 74 विधायक हैं। वहीं, चार विधायक हम और तीन वीआईपी के विधायक हैं। एक का निधन हो चुका है। सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत है। ऐसे में मांझी और मुकेश सहनी इधर से उधर हुए तो सरकार संकट में आ जाएगी। इधर, महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों को मिलाकर 110 विधायक हैं। पांच विधायक AIMIM के हैं। उन्होंने किसी को समर्थन नहीं दिया है। इसी बात का फायदा जीतन राम मांझी उठा रहे हैं।Manjhi on Brahmin : ‘ब्राह्मणों’ के बाद मांझी की ‘जीभ’ पर सियासी बवाल, BJP पर भड़का HAM