mike pompeo on nuclear war between india and pakistan

रंजीत कुमारअमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो के दावे पर यकीन किया जाए तो दोनों देशों के बीच फरवरी, 2019 में परमाणु युद्ध छिड़ सकता था, जिसे रुकवाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। पिछले साढ़े तीन दशकों में अमेरिकी अधिकारियों ने ऐसा दावा चौथी बार किया है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों का यह डरावना पहलू है, जिस पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा के ठेकेदारों को गंभीरता से विचार करना चाहिए। परमाणु बम की ताकत हासिल कर पाकिस्तान ने भारत के साथ पिछले तीन दशकों से कम तीव्रता (लो इंटेंसिटी) वाला युद्ध छेड़ रखा है। इसी रणनीति के तहत पाकिस्तानी सेना ने पुलवामा में CRPF के 40 जवानों को शहीद किया तो गुस्साए भारत ने पाकिस्तान के भीतर बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी शिविर पर हवाई हमला किया, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने भी भारतीय ठिकानों पर अमेरिकी लड़ाकू विमान एफ-16 से हमला किया।
दावों में दममाइक पॉम्पियो का दावा हालिया प्रकाशित उनकी आत्मकथा ‘नेवर गिव एन इंच: फाइटिंग फॉर एन अमेरिका आई लव’ में सामने आया है, जिस पर भारत और पाकिस्तान ने कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि सामरिक पर्यवेक्षक इन दावों में दम मानते हैं।

दावे के मुताबिक फरवरी, 2019 में भारतीय वायुसेना की ओर से पाकिस्तान के बालाकोट आतंकवादी शिविर पर किए गए हवाई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध छिड़ने की आशंका पैदा हो गई थी जिसे रुकवाने के लिए उन्होंने देर रात रावलपिंडी में जनरल कमर जावेद बाजवा को फोन किया था ।
ताजा दावे से साफ है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कभी भी बड़े संघर्ष में बदल सकता है जो एक-दूसरे पर परमाणु हमले में भी तब्दील हो सकता है।

अमेरिकी अधिकारी परमाणु युद्ध रुकवाने में अपनी भूमिका का गर्व से बखान करते हैं, लेकिन क्या उन्हें नहीं पता कि दक्षिण एशिया में छिड़े इस परमाणु युद्ध की आंच अमेरिका तक भी जाएगी? ध्यान रहे, परमाणु अप्रसार संधि के प्रणेता अमेरिका ने इराक के कथित परमाणु बमों को नेस्तनाबूद करने के नाम पर उसके खिलाफ जिस तरह की कार्रवाई की, उससे कुछ कम तीव्रता वाली कार्रवाई भी तब पाकिस्तान के खिलाफ की गई होती तो आज दक्षिण एशिया परमाणु युद्ध के साये में नहीं जी रहा होता।
कई बार बिगड़े हालातभारत और पाकिस्तान के बीच इसके पहले 1987, 1990 और 1999 में परमाणु युद्ध छिड़ने की नौबत आ गई थी। लेकिन अमेरिकी हस्तक्षेप से इसे रोक लिया गया।

1987 में भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्रासटैक्स नाम से एक बड़ा युद्धाभ्यास पाकिस्तान से लगी राजस्थान व पंजाब सीमा पर किया था, जिसमें मेन बैटल टैंकों और तोपों से लेकर अन्य सभी किस्मों के हथियारों के साथ 60 हजार से अधिक सैनिकों ने भाग लिया था।
जवाब में पाकिस्तानी सेना ने भी ऑपरेशन जर्ब-ए-मोमिन नाम का विशाल युद्धाभ्यास किया।
दोनों सेनाओं द्वारा इस तरह तलवारें भांजने से तनाव काफी बढ़ गया था। तब पाकिस्तान आधिकारिक तौर पर परमाणु संपन्न देश घोषित भी नहीं हुआ था, लेकिन माना जाता था कि भारत और पाकिस्तान दोनों ने परमाणु बम हासिल कर लिए हैं।
इसके तीन साल बाद 1990 में दूसरी बार भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा और दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध होने की आशंका अमेरिका ने जाहिर की। पत्रकार सेमूर हर्ष ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी के उप-निदेशक रिचर्ड केर के हवाले से कहा था, ‘दोनों देश एक दूसरे पर परमाणु बम चलाने के काफी नजदीक पहुंच गए थे। हालात काफी खतरनाक हो गए थे। इतने कि क्यूबा मिसाइल संकट से भी भयावह स्थिति लग रही थी।’
नौ साल बाद दोनों देशों के बीच फिर तनाव भड़का जब पाकिस्तानी सेना ने जिहादियों के भेष में सैकड़ों सैनिकों को भेजकर जम्मू-कश्मीर के करगिल में नियंत्रण रेखा पर स्थित पर्वतीय चोटियों पर चुपचाप डेरा जमा लिया था।
भारतीय सेना को जब इसका पता चला तो पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ जवाबी सैन्य कार्रवाई की गई। इस दौरान पाकिस्तान और भारत की ओर से एक-दूसरे पर परमाणु बम चलाने की खुलेआम धमकियां दी जाने लगीं।
4 जुलाई, 1999 को अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तानी राष्ट्रपति नवाज शरीफ को आमंत्रित किया। वाजपेयी ने तो वॉशिंग्टन जाने से इनकार कर दिया, लेकिन वाइट हाउस पहुंचे नवाज शरीफ को दो टूक कहा गया कि करगिल की चोटियों से अपनी फौज जल्द से जल्द हटा ले।
तब प्रधानमंत्री वाजपेयी ने सेना को निर्देश दिया था कि किसी भी हालत में फौज को नियंत्रण रेखा पार नहीं करना है। पाकिस्तानी सेना के खिलाफ जो भी सैन्य कार्रवाई होनी है, वह भारतीय सीमा के अंदर रहकर ही होगी। यदि भारतीय सैनिक सीमा पार करते तो दोनों देशों के बीच पूर्ण स्तर का खुला युद्ध छिड़ जाता और इसके परमाणु युद्ध में तब्दील होने की आशंका अमेरिकी अधिकारियों ने जाहिर की थी।

प्रायोजित आतंकवादपाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ प्रायोजित आतंकवाद की नीति पर चलते रहने से भारत के साथ अक्सर तनाव भड़क जाता है। भविष्य में भारत के किसी ठिकाने पर बड़ा आतंकवादी हमला भारतीय रक्षा कर्णधारों को पाकिस्तानी इलाके में जवाबी हमले के लिए उकसा सकता है। पाकिस्तान भी इसका जवाब देने को तैयार हुआ तो दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। पारंपरिक युद्ध में भारत से हार का सामना करने के बाद शर्मिंदा पाकिस्तान परमाणु हमला करने से नहीं हिचकेगा। जवाब में भारत ने भी पाकिस्तान के इलाके पर परमाणु बम गिराया तो इससे अकल्पनीय तबाही पूरी पृथ्वी पर हो सकती है।
डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं