नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच जोहान्सबर्ग में हुई बातचीत को लेकर चीन ने बड़ा दावा किया है। जी हां, बातचीत के दो दिन बाद भारत और चीन ने शुक्रवार को इस बारे में अलग-अलग राय रखी। ऐसे में किस पक्ष ने बातचीत की पहल की, इसको लेकर भ्रम पैदा हो गया है। चीन ने दावा किया है कि भारत के अनुरोध पर बातचीत हुई। हालांकि भारतीय सूत्रों ने साफ कहा कि द्विपक्षीय बैठक के लिए चीन का अनुरोध लंबित था। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी ने जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर बुधवार को बातचीत की थी। यह बातचीत एक व्यवस्थित द्विपक्षीय बैठक नहीं थी, बल्कि अनौपचारिक थी।भारत ने कहा, चीन का अनुरोध लंबित थामोदी-शी की बातचीत पर चीनी विदेश मंत्रालय के बयान के कुछ घंटे बाद भारतीय पक्ष के सूत्रों ने कहा कि द्विपक्षीय बैठक के लिए चीनी पक्ष की ओर से एक अनुरोध लंबित था। चीन के बयान में कहा गया था कि यह भारतीय पक्ष के अनुरोध पर आयोजित की गई थी। इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, ‘ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं ने ‘लीडर्स लाउंज’ में अनौपचारिक बातचीत की थी।’ चीन की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 23 अगस्त को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुरोध पर उनसे बात की।’ इसमें कहा गया है कि मोदी के साथ बातचीत में शी ने इस बात पर जोर दिया कि चीन-भारत संबंधों में सुधार से साझा हित सधते हैं और यह क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता के हित में है।PM की जिनपिंग को दो टूकइससे पहले भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बृहस्पतिवार को बताया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर बातचीत के दौरान शी जिनपिंग को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ‘अनसुलझे’ मुद्दों के संबंध में भारत की चिंताओं से अवगत कराया। क्वात्रा के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और LAC का सम्मान भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने के लिए आवश्यक है।ब्रिक्स में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति में हुई बात, जी-20 में क्या दिल्ली आएंगे शी जिनपिंग? अटकलें तेजपढ़िए चीन ने क्या कहाचीनी ब्योरे में दोनों नेताओं के बीच बुधवार को हुई बातचीत को ‘स्पष्ट और गहन’ बताया गया। बीजिंग के बयान में कहा गया, ‘(चीन के) राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अगस्त को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर वर्तमान चीन-भारत संबंधों और साझा हित के दूसरे मामलों पर चर्चा की।’ इसमें कहा गया, ‘राष्ट्रपति शी ने इस बात पर जोर दिया कि चीन-भारत संबंधों में सुधार दोनों देशों और लोगों के साझा हितों को पूरा करता है और क्षेत्र एवं दुनिया की शांति, स्थिरता और विकास के लिए भी सहायक है।’पश्चिमी देशों के दबदबे का मुकाबला करेगा ब्रिक्स का विस्तार, कूटनीति का कमाल देखिए- अमेरिका के खिलाफ भारत-चीन साथनई दिल्ली में चीनी दूतावास के बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों के समग्र हितों को ध्यान में रखना चाहिए और सीमा मुद्दे को उचित तरीके से सुलझाना चाहिए ताकि सीमा क्षेत्र में शांति की संयुक्त रूप से रक्षा की जा सके। जोहान्सबर्ग में बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन में क्वात्रा ने कहा था कि मोदी और शी अपने-अपने संबंधित अधिकारियों को सैनिकों के जल्द पीछे हटने और तनाव कम करने के प्रयासों को तेज करने का निर्देश देने पर सहमत हुए।भारत लगातार कहता रहा है कि समग्र संबंधों को सामान्य बनाने के लिए एलएसी पर शांति महत्वपूर्ण है। हालांकि तीन साल से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध बरकरार है।