हाइलाइट्समहिला के साथ हुई थी चलती बेस्ट बस में छेड़खानीसीट पर बैठी महिला को मनचला बार बार प्राइवेट पार्ट से छू रहा थामहिला के विरोध पर आरोपी ने कहा कि वह बेल्ट सही कर रहा थाअदालत ने आरोपी को 6 महिने की सजा और जुर्माना सुनायामुंबई बस में यात्रा के दौरान सीट पर बैठी हुई महिला के कंधे को एक बगल में खड़ा एक मनचला बार बार अपने प्राइवेट पार्ट से छू रहा था। जब महिला ने इस हरकत के लिए उसको टोका तो उसने कहा मेरी बेल्ट आपके कंधे पर लगी है। यह मामला है मुंबई की दूसरी लाइफ लाइन कही जाने वाली बेस्ट बस का। शायद उस मनचले को यह नहीं पता था कि महिलाएं आसानी से गुड और बैड टच के फर्क को समझ सकती हैं। यह भी बता सकती हैं की उन्हें कोई बेल्ट से छू रहा है या फिर प्राइवेट पार्ट से छेड़खानी कर रहा है। इस मामले में अदालत ने आरोपी विनायक व्यक्ति को दस हजार रुपए जुर्माने के साथ 6 महीने सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।पिता संग घर जा रही थी महिलायह घटना साल 2015 में महिला के साथ तब पेश आई जब वो अपने पिता के साथ घर जाने के लिए बेस्ट बस यात्रा कर रही थी। पीड़ित महिला ने मुंबई के वर्ली इलाके से बस पकड़ी थी। मनचले की हरकतों से परेशान महिला ने उसकी पिटाई कर उसे पिता की मदद से बस के नीचे उतारा और फिर उसे पुलिस के हवाले किया। कोर्ट ने दी 6 महीने की सजाइस मामले में अदालत ने आरोपी विनायक व्यक्ति को दस हजार रुपए जुर्माने के साथ 6 महीने सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसमें से सात हजार रुपए पीड़ित महिला को हर्जाना दिया गया है। कोर्ट ने आरोपी के वकील को भी फटकार लगाई है। दरअसल आरोपी के वकील ने अदालत में अपनी जिरह के दौरान कहा था कि अगर महिला को यह लग रहा था कि उसके साथ छेड़खानी हो रही है तो उसे अपनी सीट बदल लेनी चाहिए थी। अदालत ने कहा कि यह बेहद गंदी सोच है। आखिर पीड़ित अपने साथ हो रहे अन्याय को नजरअंदाज क्यों करे। दिनदहाड़े हुई घटनापीड़िता के मुताबिक 5 नवंबर 2015 को दोपहर 1 बजकर 40 मिनट पर वह और उसके पिता बस में घर जाने के लिए सवार हुए थे। आरोपी महिला की सीट के ठीक बगल में खड़ा था और धीरे-धीरे करीब आ रहा था। महिला ने जब इस बात पर एतराज जताया तो उसने हंसकर जवाब दिया कि वह अपनी बेल्ट को ठीक कर रहा था। इसके बाद महिला ने अपने पिता से शिकायत की साथ ही ड्राइवर और कंडक्टर से कहा कि बस को रोककर में उतरने दिया जाए। जिसके बाद पीड़िता और उसके पिता आरोपी को दादर पुलिस स्टेशन ले गए।सबूत ना होने का पैंतरा काम नहीं आयाअदालत में जीरे के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि इस मामले में स्वतंत्र गवाहों की कमी है। जिस पर अदालत ने कहा कि इस मामले में महिला के अलावा इस कृत्य को किसी ने नहीं देखा है। अदालत ने यह भी कहा कि मुंबई जैसे शहर में अक्सर मुसाफिर जल्दबाजी में रहते हैं। कोई भी ऐसे मामलों में गवाही देने के लिए आसानी से तैयार नहीं होता। बेस्ट बस में छेड़खानी के मामले में आरोपी को सजा