बेंगलुरु: यूक्रेन और रूस की जंग में मारे गए भारत के मेडिकल छात्र नवीन शेखरप्पा (Naveen Shekharappa Death) छह दिन से बंकर के अंदर थे। 21 साल के छात्र नवीन कुछ खाने-पीने का सामान खरीदने के लिए बंकर से बाहर निकले थे। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण (Russian attack in Ukraine) में जान गंवाने वाले वह पहले भारतीय हैं। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक नवीन अपने जूनियर साथियों की मदद के लिए रुके थे। धमाकों और रॉकेट हमलों के बीच खारकीव नैशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्रों के एक ग्रुप ने शहर छोड़ने का फैसला लिया। इसमें से एक ग्रुप रवाना हो चुका था। वहीं नवीन इस मुश्किल हालात में अपने साथियों की मदद के लिए रुके रहे। नवीन ने कहा- जूनियर्स को साथ लेकर चलना चाहिएअंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने मेडिकल फाइनल इयर स्टूडेंट अमित वैश्यार से फोन पर बातचीत की। अमित ने बताया, ‘कॉलेज स्टूडेंट्स का एक ग्रुप सोमवार को खारकीव से निकल गया था। लेकिन नवीन ने सुझाव दिया कि बाकी लोगों को रुकना चाहिए जिससे हम अपने जूनियर्स को भी साथ लेकर चल सकें। वे यूक्रेन में एक साल से थे। नवीन का आइडिया था कि बुधवार सुबह खारकीव से रवाना हुआ जाए।’बड़ा होनहार था, जातिवाद और एजुकेशन सिस्टम ने उसे मार दिया….यूक्रेन में जान गंवाने वाले नवीन के पिता की आपबीतीPatna News : ‘हमें लौटने की खुशी, पर कई साथी अब भी वहां फंसे हैं’, यूक्रेन से आए बिहार के छात्रों ने बयां किया वहां का हालनवीन ने खाने का इंतजाम करने के लिए बंकर छोड़ दियामंगलवार की सुबह नवीन बंकर से बाहर निकले। यहां छह दिनों से भारतीय छात्र फंसे हुए थे। अमित ने बताया, ‘जब भी कर्फ्यू हटाया जाता हम एक साथ खाने-पीने की चीजें खरीदने के लिए एक साथ बाहर निकलते। मंगलवार को सुबह करीब साढ़े तीन बजे मैं सो गया और देर से उठा। सुबह छह बजे नवीन ने हम सभी के लिए खाने का इंतजाम करने के लिए बंकर छोड़ दिया था। हमारे बंकर से मार्केट करीब 50 मीटर की दूरी पर है। सात बजकर 58 मिनट पर नवीन ने हमारे एक साथी को मैसेज किया और बताया कि पैसे कम पड़ गए हैं। उसने कुछ पैसे ट्रांसफर करने के लिए भी कहा। सुबह आठ बजकर 10 मिनट पर एक साथी ने नवीन को फोन किया लेकिन एक यूक्रेनी ने कॉल रिसीव की और कहा कि नवीन अब इस दुनिया में नहीं है। उसने बताया कि जब वह हमारे लिए भोजन का इंतजाम करने निकला तभी उसकी मौत हो गई।’Karnataka news: यूक्रेन में मारे गए छात्र के परिवार से CM ने की बात, बोले- ‘मेरे बहुत करीबी हैं, शव लाने की कोशिश करेंगे’Russia Ukraine War News : रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध क्यों हो रहा है? जानिए इतिहास की पूरी कहानीIndians in Ukraine: भारत के रुख से खफा है यूक्रेन! जंग में फंसे भारतीय छात्रों पर गुस्सा निकाल रहे यूक्रेनी सैनिक और नागरिकनवीन को 97 प्रतिशत नंबर मिलने के बाद भी नहीं मिला ऐडमिशननवीन हावेरी जिले के चालागेरी गांव के रहने वाले थे। बेंगलुरु से करीब 300 किलोमीटर दूर उनका गांव है। परिवार में अब उनके पिता शेखरप्पा ज्ञानगौदर, मां विजयलक्ष्मी और बड़े भाई हर्षा हैं। पिता एक निजी नौकरी से रिटायर हो चुके हैं। वहीं हर्षा पीएचडी कर रहे हैं। शेखरप्पा ने मीडिया को बताया कि उनके बेटे ने प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज (प्लस-2) एग्जाम में 97 प्रतिशत मार्क्स हासिल किए थे। लेकिन यहां मेडिकल की पढ़ाई के लिए एक सीट का खर्च दो-तीन करोड़ आ रहा था। इसलिए मुझे नवीन को यूक्रेन भेजना पड़ा।Kyiv Diary of Noida Student: कीव रेलवे स्टेशन पर भारतीय छात्रों को ट्रेन में बैठने नहीं दे रहे यूक्रेनियन, नोएडा के युवक ने वीडियो भेज बताया हाल’जंग शुरू होने के बाद रोज चार-पांच फोन करता था बेटा’पिता शेखरप्पा के मुताबिक नवीन ने सोमवार सुबह 10 बजे परिवार को फोन किया। शेखरप्पा कहते हैं, ‘नवीन ने बताया कि हालात काफी खराब हैं लेकिन वह सुरक्षित हैं। मंगलवार सुबह भी नवीन ने फोन पर अपनी मां से बातचीत की। जबसे जंग शुरू हुई थी वह रोज चार से पांच बार फोन करता था। हमने कभी नहीं सोचा था कि उसकी जिंदगी खतरे में है।’नवीन शेखरप्पा (फाइल फोटो)