Nehru historical blunders on Kashmir discussed in Supreme Court during argument on Article 370

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 और जम्मू-कश्मीर को राज्य के दर्जे की वापसी की मांग वाली याचिकाओं पर जारी बहस के दौरान एक से बढ़कर एक दलीलें दी जा रही हैं। सभी पक्ष उस वक्त की परिस्थितियों की अपने-अपने नजरिए से व्याख्या कर रहे हैं। आर्टिकल 370 के पक्षधर बता रहे हैं कि कैसे उस वक्त के गैर-मामूली हालात में जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय करवाया गया और कैसे उसके लिए संविधान में किए गए विशेष प्रबंधों की अनदेखी नहीं की जा सकती है। इसके जवाब में भी जोरदार तर्क दिए जा रहे हैं- इतिहास के पन्नों से ही। याचिका का विरोध कर रहे एक वकील राकेश द्विवेदी की एक बहस का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वो बता रहे हैं कि कैसे भारत ने आजादी के वक्त ऐतिहासिक गलतियां कीं।सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी अपनी दलील में कहते हैं, ‘हम सच्चाई के बारे में बात नहीं करना चाहते हैं। सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर कौन था, औचिनलेक। भारत के तीनों जनरल ब्रिटिश थे। पाकिस्तान के तीनों जनरल ब्रिटिश थे। यह युद्ध (कश्मीर पर पाकिस्तान की तरफ से हमला) क्या था? चर्चिल ने ही तय किया था कि भारत का विभाजन होगा। यह जियो-पॉलिटिक्स का खेल था सब। यह युद्ध एक ब्रिटिश युद्ध था। उन्होंने दोनों तरफ से इसकी तैयारी की थी। हमलावर कहां से आए थे? उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत (NWFP) से। दो कार्यकालों के बाद मिस्टर कनिंघम, जो उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत के गवर्नर रह चुके थे, उन्हें जुलाई में वापस बुलाया गया। चुनाव से ठीक पहले।’हरि सिंह, शेख अब्दुल्ला, नेहरू… आर्टिकल 370 की वापसी के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे कपिल सिब्बलद्विवेदी ने उस वक्त की परिस्थियों को बताते हुए आगे कहा, ‘हमलावरों को प्रशिक्षित किया गया, सेना के हथियारों के साथ ट्रकों पर भेजा गया। पाकिस्तान की सेना भारत से अभी-अभी अलग हुई थी। और सबसे बड़ा, सबसे स्पष्ट उदाहरण है, कौन लड़ रहा था? आज पीओके क्या है? पीओके का दो-तिहाई हिस्सा गिलगित-बााल्टिस्तान है। और वहां किसने युद्ध लड़ा? हमलावरों ने नहीं। यह मेजर ब्राउन था। वहां का एजेंट कौन था? उन्हें कनिंघम ने ठीक उसी जुलाई में दोबारा पोस्ट किया था। उन्होंने महाराजा (हरि सिंह) के सभी फोर्सेज को मार डाला। अंसार अहमद वहां तैनात थे और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। और उन्होंने चार दिनों में पाकिस्तान का झंडा लहराया और उन्होंने इसे कनिंघम को सौंप दिया। उन्होंने पाकिस्तान की सेना आलम के पास भेजी और उन्होंने गिलगित-बल्तिस्तान पर कब्जा कर लिया। पाकिस्तान के साथ युद्ध कहाँ है? यह ब्रिटिश है। लेकिन अगर हम इन सब से आंखें मूंद लेते हैं।’Supreme Court News: 370 पर हो रही थी बहस, जम्मू-कश्मीर को बांटने पर जजों ने जब एक सवाल से काटा सरकार का तर्कवो कहते हैं, ‘भला ये हमलावरों का युद्ध है? हमलावर अपने आप श्रीनगर तक नहीं आ सकते थे। युद्ध लगभग कारादु और कारगिल से लेकर लेह के करीब तक पहुंच गया था। तो यह एक अलग तरह का युद्ध था, लेकिन कोई नहीं कह सकता था क्योंकि माउंटबेटन वहां गवर्नर जनरल के रूप में थे। पता नहीं हमारे नेताओं ने ऐसा क्यों किया? जिन्ना ने तो साफ कहा, मैं किसी भी ब्रिटिश गवर्नर-जनरल को स्वीकार नहीं करूंगा। लेकिन हमारे यहां कहा गया, नहीं, हमें गवर्नर जनरल स्वीकार हैं। तो यह युद्ध क्या है? यही नहीं, जब युद्ध शुरू हुआ, तो उन्होंने (नेहरू सरकार ने) एक डिफेंस कमिटी का गठन किया और माउंटबेटन को इसका अध्यक्ष बनाया दिया। तो यह एक गजब की स्थिति है, लेकिन माउंटबेटन डिफेंस कमिटी के अध्यक्ष हैं।’https://publish.twitter.com/?query=https%3A%2F%2Ftwitter.com%2FSandipGhose%2Fstatus%2F1698402004891324595&widget=Tweetवरिष्ठ वकील आगे कहते हैं, ‘ऑचिनलेक सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर हैं। सभी जनरल ब्रिटिश हैं और एक ब्रिटिशर विद्रोह कर रहा है और जब वह इंग्लैंड लौटता है तो उसे ब्रिटिश साम्राज्य का पदक दिया जाता है। तो यह युद्ध की स्थिति नहीं है। इसलिए जब आप संविधान और 370 को पढ़ते हैं, तो कृपया इन बातों को ध्यान में रखें कि हमारे नेता किन परिस्थितियों में आगे बढ़ रहे थे। हमारी हमलावरों को पीछे धकेलने और अपनी जमीन वापस पाने की चाहत ही नहीं थी। उन्होंने एक समय पर जानबूझकर युद्ध को रोक दिया और संयुक्त राष्ट्र चले गए क्योंकि अगर हम मीरपुर तक और पीछे चले गए होते तो वह गिलगित-बल्तिस्तान से कनेक्शन टूट जाता।’आर्टिकल 370 पर मोदी सरकार के वकील ने ऐसा क्या कह दिया कि सुप्रीम कोर्ट में ही तमतमा गए कपिल सिब्बल?राकेश द्विवेदी ने अपनी बहस जारी रखते हुए कहा, ‘ये सभी सच्चे तथ्य हैं। कोई भी इसे नकार नहीं सकता। और संयुक्त राष्ट्र क्या था? वही शक्ति जो जियो पॉलिटिक्स की वजह से भारत का विभाजन करना चाहती थी, अमेरिका और ब्रिटेन, उन्हें मध्यस्थ बनाया गया था। सौभाग्य से, पाकिस्तान ने पीओके खाली करने से इनकार कर दिया। इसलिए वह प्रस्ताव खत्म हो गया है। संयुक्त राष्ट्र के बारे में बात करने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन उस समय 370 के निर्माण में स्थिति की गंभीरता को देखें।’