News About Russia Ukraine War,Swaminomics : अर्थव्यवस्था ध्वस्त! यूक्रेन से जंग हार रहा! रूस के बारे में पश्चिमी मीडिया का ये ‘सच के खिलाफ युद्ध’ है – western media biased reporting on russia ukraine war is like war on truth swaminathan aiyar in swaminomics

स्वामीनाथन एस. अंकलेसरिया अय्यरमैंने अतीत में भारतीय मीडिया और विश्लेषकों की इसलिए आलोचना की है कि वो सैन्य ताकत के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर दावे करते हैं, बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। पश्चिमी मीडिया जिस तरह से यूक्रेन युद्ध को कवर कर रहा है, जिस तरह की रिपोर्टिंग कर रहा है, उसे भी देखना चाहिए। रूस ने जब यूक्रेन पर यह कहकर हमला किया कि वह अखंड रूस का हिस्सा है तो पश्चिमी मीडिया में आक्रोश दिखा जो सही ही था। लेकिन इस आक्रोश का मतलब ये नहीं कि युद्ध की पक्षपाती, एकतरफा रिपोर्टिंग की जानी चाहिए।इस साल की शुरुआत में मीडिया यूक्रेन के जवाबी हमले की रिपोर्टिंग को लेकर रोमांचित था। सधी हुई तैयारी, नए हथियारों और ट्रेनिंग की वजह से ये माना गया कि यूक्रेन बसंत के मौसम में ही क्रीमिया को रूसी कब्जे से मुक्त करा लेगा और मारियुपोल जैसे महत्वपूर्ण बंदरगाह पर फिर से नियंत्रण हासिल कर लेगा।वो बसंत कब का बीत चुका है। गर्मियों का मौसम भी तकरीबन खत्म होने को है लेकिन यूक्रेन बस छोटे से भू-भाग पर ही फिर से नियंत्रण कर पाया है। इनका रणनीतिक तौर पर भी कोई अहमियत नहीं है।अक्टूबर में वहां भारी बारिश शुरू हो जाएगी और युद्धभूमि कीचड़ में तब्दील हो जाएगा। लेकिन बहुत ही कम पश्चिमी मीडिया इस असहज करने वाले सच को बताना चाह रहे हैं कि यूक्रेन का पलटवार बुरी तरह नाकाम रहा है।रूस का डिफेंस तगड़ा साबित हुआ है। यूक्रेन के पास सीमित मैनपावर है। रूसी सैनिकों की तुलना में बहुत ही कम। यूक्रेन को इन सैनिकों को बचाए रखने की जरूरत है, अगर सभी को हमले में झोंक दिया गया तो उसे बड़े पैमाने पर नुकसान झेलना पड़ सकता है। हालांकि, पश्चिमी मीडिया की ज्यादातर रिपोर्ट से ऐसा लग रहा है कि यूक्रेन को बढ़त हासिल है और रूस की खैर नहीं है।पश्चिमी मीडिया का ये पक्षपात आर्थिक रिपोर्ट में भी साफ दिख रहा है। इकनॉमिक रिपोर्ताज में रूसी अर्थव्यवस्था के ध्वस्त होने की भविष्यवाणी की गई। यूक्रेन पर हमले के बाद जब रूस पर पश्चिमी देशों ने तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए तब तकरीबन सभी पश्चिमी एक्सपर्ट्स ने रूस के लिए त्रासदी की भविष्यवाणी कर दी थी। उन्होंने कहा कि कि प्रतिबंध रूसी अर्थव्यवस्था को कुचल देंगे, उसका खजाना खाली हो जाएगा और पुतिन को आखिरकार कदम पीछे खींचने ही पड़ेंगे। प्रतिबंधों की वजह से रूस इंटरनैशनल मनी ट्रांसफर सिस्टम से बाहर कर दिया गया। रूस में सभी पश्चिमी निवेश रुक गए। सिर्फ अमेरिकी प्रतिबंधों से 3600 रूसी संस्थाएं प्रभावित हुईं। यूरोप के प्रतिबंधों से 1800 रूसी संस्थाएं प्रभावित हुई।एक्सपर्ट्स का आंकलना था कि रूस की जीडीपी 2022 में 15 प्रतिशत (द इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फाइनैंस) से 11 प्रतिशत (द वर्ल्ड बैंक) और 8.5 प्रतिशत (आईएमएफ) तक लुढ़क जाएगा। पश्चिमी मीडिया इन आंकलनों से खुशी से झूम गया।लेकिन असल में हुआ क्या? रूस की अर्थव्यवस्था 2022 में गिरी जरूर लेकिन महज 2.2 प्रतिशत। इसके बाद 2023 की पहली तिमाई में 1.9 प्रतिशत गिरी। वहीं दूसरे क्वॉर्टर में 4.9 प्रतिशत तक उछाल आया। प्रतिबंधों के मद्देनजर ये ग्रोथ बहुत बड़ी बात है खासकर तब जब रूस का लगभग आधा फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व फ्रीज किया जा चुका है।अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने रूस से तेल का आयात प्रतिबंधित कर दिया। लेकिन यूरोपियन यूनियन रूसी तेल और गैस आयात पर इतनी बुरी तरह निर्भर था कि उसने मॉस्को से इनकी खरीदारी जारी रखी। भारत और दूसरे विकासशील देश तेल की बढ़ती कीमतों से बुरी तरह प्रभावित हुए। लेकिन भारत ने इस मौके को लपका और रूस से डिस्काउंट पर तेल खरीदा। चीन और कई अन्य देशों ने भी यही किया। इसका नतीजा ये हुआ कि रूस ट्रेड सरप्लस में चला गया।प्रतिबंधों का जब ऐलान हुआ तो शुरुआत में रूसी मुद्रा रूबल बुरी तरह टूट गई लेकिन बाद में लगभग पूरी तरह रिकवर भी हो गई। इसके बाद भी पश्चिमी मीडिया रूसी ‘अर्थव्यवस्था के कराहने’ वाली न्यूज रिपोर्ट जारी रखा।इस साल की शुरुआत में, यूरोपियन यूनियन ने रूसी पाइपलाइन से गैर खरीदना बंद कर दिया। लेकिन इसका कोई खास मतलब नहीं है क्योंकि गैस खरीदना तो बंद हुआ ही नहीं। पहले पाइपलाइन के जरिए इम्पोर्ट करते थे बाद में पानी के जहाजों से रूसी गैस खरीदना शुरू किया।पश्चिमी मीडिया दावा करता है कि पुतिन आंकड़ों से छेड़छाड़ कर रहे हैं ताकि आर्थिक मोर्चे पर प्रदर्शन को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा सके। ऐसा निश्चित तौर पर मुमकिन है। लेकिन पश्चिमी संस्थाओं के ताजा प्रोजेक्शन भी तो पुतिन से कोई अलग नहीं हैं। बैंक ऑफ रसिया को उम्मीद है कि 2023 में जीडीपी 1.1 प्रतिशत गिरेगी। वर्ल्ड बैंक और मॉर्गन स्टैनली तो इससे भी कम गिरावट की भविष्यवाणी कर रहे हैं। आईएमएफ तो अपने प्रेडिक्शन को रिवाइज कर 0.7 प्रतिशत के पॉजिटिव ग्रोथ की बात कही है।वास्तव में, आईएमएफ ने 2023 में रूसी अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन की जो भविष्यवाणी की है वो यूरोप की टॉप इकॉनमी के मुकाबले भी बेहतर है। उसने जर्मनी की अर्थव्यवस्था में 0.1 प्रतिशत की गिरावट, ब्रिटेन की इकॉनमी में 0.3 प्रतिशत तक की गिरावट की भविष्यवाणी की है। इसके उलट रूसी अर्थव्यवस्था में 0.7 प्रतिशत उछाल का अनुमान लगाया है।अगले साल के लिए गोल्डमैन सैश और जोपी मोर्गन ने भविष्यवाणी की है कि रूस की अर्थव्यवस्था में 1.8 प्रतिशत की उछाल आएगी। ये खुद रूस के केंद्रीय बैंक के 1.5 प्रतिशत उछाल के अनुमान से भी ज्यादा है। इसके बाद भी पश्चिमी मीडिया ने रूस की आर्थिक बदहाली का दावा करती न्यूज रिपोर्ट दिखाना जारी रखे हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि युद्ध ने रूस के लिए समस्याएं खड़ी कही हैं और उसकी अर्थव्यवस्था को इसकी कुछ कीमत चुकानी पड़ी है। लेकिन युद्धग्रस्त देश का आर्थिक मोर्चे पर इस तरह का प्रदर्शन वाकई चमकदार है। लेकिन आप वेस्टर्न मीडिया के जरिए ये असली तस्वीर नहीं देख पाएंगे।(द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे स्वामीनाथन एस. ए. अय्यर के लेख का हिंदी अनुवाद। मूल लेख अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)