हैदराबादयुद्ध अब राजनीतिक और सैन्य उद्देश्यों को हासिल करने का कारगर जरिया नहीं रहा क्योंकि यह न सिर्फ महंगा है बल्कि इसके परिणाम भी अनिश्चित है। अब जंग का नया मोर्चा सिविल सोसाइटी को चंगुल में लेकर किसी देश के राष्ट्रीय हितों को चोट पहुंचाना है। यह फोर्थ जेनरेशन वॉरफेयर है। ट्रेनी आईपीएस अधिकारियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इस नए तरह के खतरे को लेकर आगाह करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने यह बात कही।सरदार वल्लभ भाई पटेल नेशनल पुलिस अकैडमी, हैदराबाद में शुक्रवार को 2020 बैच के दीक्षांत परेड में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए डोभाल ने कहा कि सिविल सोसाइटी चौथी पीढ़ी के युद्ध का औजार है। आईपीएस अधिकारियों को देखना होगा कि इसके जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा पैदा न हो।’चौथी पीढ़ी के युद्ध का औजार है सिविल सोसाइटी’NSA अजीत डोभाल ने कहा, ‘अब युद्ध राजनीतिक या सैन्य उद्देश्यों को हासिल करने का कारगर जरिया नहीं रहा। ये बहुत महंगे और वहन करने लायक नहीं हैं। इसके नतीजों में भी अनिश्चितता होती है। राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने के लिए सिविल सोसाइटी से छेड़छाड़ हो सकती है, इसमें विभाजन पैदा किया सकता है और इसमें सेंध लगाकर अपने चंगुल में लिया जा सकता है। आप इसीलिए हैं कि यह धरती पूरी तरह सुरक्षित रहे।…लोग सबसे महत्वपूर्ण हैं। जंग का नया मोर्चा जिसे फोर्थ जेनरेशन वारफेयर कहते हैं, वह है सिविल सोसाइटी।’ दरअसल, सिविल सोसाइटी का मतलब नागरिक समाज से है जिसके दायरे में ऐक्टिविस्ट्स, बुद्धिजीवी, एनजीओ वगैरह आते हैं। क्या कहना चाहते हैं डोभाल?एनएसए डोभाल का इशारा इस तरफ था कि दुश्मन देश हमारे राष्ट्रीय हितों, सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने के लिए परंपरागत युद्ध के बजाय सिविल सोसाइटी को औजार बना सकते हैं। वह संवेदनशील मसलों पर सिविल सोसाइटी में सेंध लगाकर, विकृत करके लोगों के बीच दरार चौड़ी कर राष्ट्रीय सुरक्षा को चोट पहुंचाने की कोशिश कर सकता है। सांप्रदायिक या भाषायी विवाद, दंगे जैसे संवेदनशील मुद्दों को हवा देकर, प्रॉपगैंडा के जरिए समाज के किसी वर्ग विशेष में असुरक्षा के भाव को गहरा कर राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने के लिए वह सिविल सोसाइटी का इस्तेमाल कर सकता है। हाल के दिनों में कुछ बड़े आंदोलनों में बाहरी तत्वों के दखल के संकेत भी मिले हैं।’बिना पुख्ता आंतरिक सुरक्षा के कोई देश महान नहीं बन सकता’डोभाल ने कहा, ‘यदि आंतरिक सुरक्षा विफल होती है तो कोई देश महान नहीं बन सकता। अगर लोग सुरक्षित नहीं हैं तो वे आगे नहीं बढ़ सकते और संभवत: देश भी कभी आगे नहीं बढ़ेगा।’ उन्होंने कहा कि देश में पुलिस बल की संख्या 21 लाख है और अभी तक 35,480 कर्मियों ने बलिदान दिया है। डोभाल ने किसी घटना विशेष का उल्लेख किए बिना कहा, ‘हम भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के उन 40 अधिकारियों को भी याद करना चाहेंगे जो शहीद हो गए।’बॉर्डर मैनेजमेंट भी पुलिसिंग का हिस्सा: NSAडोभाल ने कहा कि भारत के 32 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के हर हिस्से में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस बलों की है। उन्होंने कहा, ‘सिर्फ वही पुलिसिंग ही नहीं है जिसमें आप लोगों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया है बल्कि इसका भी विस्तार होगा। आप इस देश के सीमा प्रबंधन के लिए भी जिम्मेदार होंगे। पंद्रह हजार किलोमीटर की सीमा है, जिसमें से ज्यादातर हिस्से की अपनी ही तरह की समस्याएं हैं।’