क्या कहता है IPCIPC की धारा-375 में रेप को परिभाषित किया गया है।कानून कहता है कि अगर कोई शख्स किसी भी महिला के साथ उसकी मर्जी के खिलाफ संबंध बनाता है तो वह रेप होगा।महिला (अविवाहित) की उम्र अगर 18 साल से कम है तो उसकी सहमति के मायने नहीं हैं। यानी 18 साल से कम उम्र की लड़की की सहमति से बनाया गया संबंध भी रेप होगा।अगर लड़की 15 साल से कम उम्र की है और उसके पति ने उससे संबंध बनाए तो वह रेप होगा।पत्नी की उम्र 15 साल से ज्यादा है तो फिर ऐसे केस में रेप नहीं माना जाएगा। मैरिटल रेप को अपवाद में रखा गया है।इस बीच, 11 अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में 15 साल से ऊपर के अपवाद को निरस्त कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पत्नी नाबालिग है, उसकी उम्र 15 साल से लेकर 18 साल के बीच है और उसकी मर्जी के खिलाफ उससे संबंध बनाए जाते हैं तो पत्नी अपने पति के खिलाफ रेप का केस दर्ज करा सकती है। फैसले के मुताबिक, अगर नाबालिग पत्नी घटना के एक साल के भीतर शिकायत करती है तो रेप का केस माना जाएगा।भारतीय न्याय संहिता के प्रावधाननए कानून की धारा-63 में रेप को परिभाषित किया गया है।इसके तहत कहा गया है कि अगर महिला के साथ कोई शख्स जबरन संबंध बनाता है या उसके प्राइवेट पार्ट में कोई ऑब्जेक्ट डालता है तो वह रेप होगा।नाबालिग से रेप में या गैंगरेप में फांसी या उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।अगर 18 साल से कम उम्र की लड़की की सहमति से या उसकी सहमति के बगैर कोई संबंध बनाता है तो वह रेप होगा। 18 साल से कम उम्र की लड़की की सहमति के मायने नहीं हैं।अगर कोई शख्स अपनी पत्नी से संबंध बनाता है और पत्नी की उम्र 18 साल से कम न हो तो वह रेप नहीं होगा। यानी 18 साल से कम उम्र की पत्नी से संबंध को रेप माना गया है।सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ज्ञानंत सिंह बताते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को देखें तो IPC में 15 साल से लेकर 18 साल तक की उम्र की पत्नी को जो अपवाद में रखा गया था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दिया था, लेकिन उसने ऐसे मामले को शादीशुदा नाबालिग पर छोड़ा था कि वह चाहे तो पति के खिलाफ रेप की शिकायत एक साल के भीतर कर सकती है। अगर वह शिकायत नहीं करती है तो फिर मैरिटल रेप का केस नहीं बनता।उन शादियों के मामलों में क्या होगाकानून कहता है कि लड़की की शादी की उम्र 18 साल और लड़के की 21 साल है। लेकिन हिंदू मैरिज एक्ट में 15 साल से ज्यादा उम्र की लड़की की शादी अमान्य नहीं बल्कि अमान्य करार दिए जाने योग्य है। मुस्लिम में भी प्यूबर्टी पाने वाली लड़की (शारीरिक तौर पर बालिग) यानी 15 साल से ज्यादा उम्र की लड़की की शादी मान्य है। इसी आलोक में जब IPC बनाया गया तो 15 साल से ऊपर की उम्र की पत्नी के मामले को मैरिटल रेप का अपवाद माना गया। सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट में भी कहा गया कि अगर नाबालिग पत्नी से संबंध होगा तो वह महिला शिकायती हो सकती है। यहां भी नाबालिग पत्नी को ही शिकायत करने का अधिकार दिया गया।लेकिन अब नए कानून में जब नाबालिग पत्नी से संबंध रेप होगा तो फिर ऐसे तमाम मामलों में केस दर्ज करने का प्रावधान होगा। ऐसे मामले संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आएंगे, जिसका मतलब यह है कि शिकायती कोई भी हो सकता है और पुलिस को अगर सूचना मिले तो वह खुद भी केस दर्ज कर सकती है।सवाल यह है कि जब हिंदू मैरिज एक्ट और मुस्लिम पर्सनल लॉ अभी भी 15 साल से ऊपर की लड़की की शादी को अमान्य नहीं बताते हैं तो ऐसी शादियों के मामले में क्या होगा?ऐसी तमाम शादियों में पत्नी 18 साल से कम उम्र की होती हैं तो क्या ये मामले नाबालिग से रेप की कैटिगरी में आएंगे?क्या ऐसे रेप में शिकायत का अधिकार सिर्फ लड़की को होगा या संज्ञेय अपराध के मामले में पुलिस भी शिकायती हो सकती है? ध्यान रहे, रेप केस समाज के खिलाफ अपराध माने जाते हैं।पर्सनल लॉ में भी हो बदलावसाफ है कि अगर नाबालिग पत्नी से संबंध को अपराध के दायरे में लाया जाता है तो हिंदू मैरिज एक्ट और मुस्लिम पर्सनल लॉ के प्रावधान में भी बदलाव करते हुए 18 साल से कम उम्र की शादी को अमान्य घोषित किया जाना जरूरी है। ऐसी शादी को जब तक पर्सनल लॉ की मान्यता हासिल रहेगी तब तक ये होती रहेंगी और कानूनी दाव-पेच में यह मामला और उलझता रहेगा।