लेखक : जी. माधवन नायरचंद्रयान-3 की सफलता से 140 करोड़ लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। देश का कोई ऐसा कोना नहीं जहां बेतहाशा जश्न नहीं मनाया गया हो। विदेशी मित्र और रिश्तेदार भी खुशियों में सराबोर हो गए हैं। दरअसल, 23 अगस्त, 2023 को पूरी दुनिया ने चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग को एक परिवार की बड़ी कामयाबी माना। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास अंतरिक्ष यान की सॉफ्ट लैंडिंग वाकई बहुत बड़ी उपलब्धि है। खासकर तब जब ऐसा पहली बार हुआ हो। कितनी खुशी की बात है कि यह उपलब्धि भारत के हिस्से आई है। हर कोई जो इतिहास बनते हुए देख रहा था, उसकी नजर में इसरो उत्कृष्टता, प्रतिबद्धता और लगन का प्रतीक बन गया है। हमारे वैज्ञानिक सर्वोत्तम हैं, जो नवीनता और व्यावसायिकता के मापदंड पर सौ फीसदी खरे उतरते हैं। मिशन की लंबी यात्रा में पीएम मोदी के ईमानदार नेतृत्व की झलक मिलती रही।जब चंद्रयान-2 योजना के अनुसार चंद्रमा पर लैंडिग नहीं कर पाया तब वो हमारे वैज्ञानिकों के साथ इसरो में बेंगलुरु में थे। इस बार प्रधानमंत्री इसरो में मौजूद नहीं रह सके क्योंकि वो ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने दक्षिण अफ्रीका गए थे। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि वो भले द. अफ्रीका में थे, लेकिन उनका दिल और दिमाग वैज्ञानिकों के साथ था। भारत पहुंचते ही वो वैज्ञानिकों के बीच पहुंच गए।इसरो चीफ एस. सोमनाथ को पीएम मोदी ने विदेश से किया फोन, चंद्रयान-3 की सफलता पर दी बधाईऐसा प्रोत्साहन हजारों वैज्ञानिकों को मूल्यवान और सम्मानित महसूस कराता है जिससे वो देश के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करने को प्रेरित होते हैं। यह तब विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जब चीजें कठिन हों, जैसा कि चंद्रयान-2 के मामले में था। मेरी भावना हिलकोरें लेकर चंद्रयान-1 तक पहुंचती है। उस मिशन के साथ मैं बहुत निकट से जुड़ा था। मुझे याद है कि तब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और मेरी उनसे मुलाकात हुई थी।जब उन्हें बताया कि सबसे पहले हमने ही चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति की पुष्टि की थी, तो उन्होंने बताया कि यह उपनिषदों में भी कहा गया है। उन्होंने श्लोक भी सुनाया। मैंने कहा कि उपनिषदों ने इसकी पुष्टि प्रायोगिक प्रमाण देकर नहीं की थी लेकिन अब हमने यह कर दिखाया है! तब के सीएम और आज के पीएम नरेंद्र मोदी तब इतने जिज्ञासु नजर आ रहे थे कि क्या कहने। वो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (Space Technology) की क्षमता से अच्छे से परिचित थे।ब्लॉग: ओ न्यूयॉर्क टाइम्स! हमारे चंद्रयान-3 का मजाक नहीं उड़ाओगे क्या?जैसे ही उन्हें चंद्रयान-1 के बारे में पता चला, उन्होंने अपने अधिकारियों को राज्य में अंतरिक्ष अनुप्रयोगों (Space Applications) को मजबूत करने का निर्देश दिया, विशेष रूप से कृषि और जल संसाधन प्रबंधन के लिए। इसके अलावा, वो दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी चाहते थे। एक महीने के भीतर, हमने कलेक्टरों और पंचायत अध्यक्षों के साथ बातचीत करने के लिए उपग्रह-आधारित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं प्रदान की थीं। सभी प्रशासकों को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के ऐसे अनुप्रयोगों का अनुसरण करना चाहिए।मोदी भी चंद्रयान-1 के बाद अहमदाबाद में इसरो परिसर गए और वैज्ञानिकों के साथ समय बिताया। उस समय वह विपक्षी पार्टी से थे लेकिन जब बात विज्ञान की आती है तो देश एकजुट हो जाता है। मुझे बताया गया है कि उन्होंने 2009 के वाइब्रेंट गुजरात समिट में वैज्ञानिकों और नोबेल पुरस्कार विजेताओं को आमंत्रित किया था। गुजरात साइंस सिटी एक विश्वस्तरीय केंद्र है जो युवाओं को विज्ञान की ओर आकर्षित कर रहा है।Opinion: चांद पर लगी ‘मेक इन इंडिया’ का मुहर, देसी तकनीक से बने विक्रम और प्रज्ञान की सटीक चाल की दुनिया कायलविज्ञान भले ही अंत में प्रयोगशालाओं में फले-फूले, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हमारी अगुवाई युवाओं में जिज्ञासा का जज्बा पैदा करे और उन्हें विज्ञान के मार्ग पर खींचे। वैज्ञानिक उपलब्धियां बहुत मेहनत के बाद हासिल होती हैं। मैं उन शुरुआती दिनों को याद करता हूं जब मून मिशन एक सपना हुआ करता था। तत्कालीन इसरो अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन ने विभिन्न विकल्पों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाई और इस विचार के साथ आए।मैं आप लोगों के साथ अन्याय कर देता हूं… ISRO वैज्ञानिकों से पीएम मोदी की चर्चा, बड़ी बातेंतत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रस्तावित परियोजना के लिए 30 महीने से भी कम समय में हरी झंडी दे दी। चर्चा के अंत में, उन्होंने अपनी काव्य शैली में टिप्पणी की: चंद्रमा पृथ्वी से सुंदर दिखता है, कवि प्रेमी के चेहरे की तुलना चंद्रमा से करते हैं। जैसे-जैसे हम उसके पास जाते हैं और करीब से देखते हैं तो दंग रह जाते हैं कि कितना कुछ है। लेकिन मुझे यकीन है कि चंद्रयान-3 की सफलता देखकर वाजपेयी बहुत खुश होते।Opinion : चंद्रयान-3 ने बना दिया विश्व कीर्तिमान, अब ISRO के लिए आगे क्या?चंद्रयान-1 को रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया था और हमने सितंबर 2008 में अपने पहले प्रयास में ही अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के चारों ओर कक्षा में स्थापित करने में सफल रहे। पानी की उपस्थिति के प्रमुख निष्कर्ष के अलावा इसने एक इंपेक्ट प्रोब के जरिए चंद्रमा पर तिरंगा लहरा दिया। पीएम मोदी ने इस बार इसरो में घोषणा की कि चंद्रयान-3 के लैंडर चंद्रमा पर जिस जगह पर उतरा उसे शिव शक्ति के नाम से जाना जाएगा और जहां चंद्रयान-2 ने अपने पदचिह्न छोड़े थे, वह अब तिरंगा कहलाएगा। कौन सा देशभक्त भारतीय इसे पसंद नहीं करेगा? हमारे गहन आध्यात्मिक जड़ों के साथ-साथ अंतरिक्ष में हमारी आधुनिक उपलब्धियों के लिए प्रशंसा, यह परंपरा और आधुनिकता का मिश्रण, स्वागत योग्य है।Opinion : भारत का चांद पर पहुंचना तो सिर्फ ट्रेलर है, पिक्चर तो अभी बाकी है23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day) के रूप में मनाने से युवाओं के मन में विज्ञान के प्रति आकर्षण पैदा होगा। हमारे भविष्य के लिए एक लंबा रास्ता तय होगा और इससे चंद्रमा और उससे आगे की अनदेखी दुनिया की खोज होगी। दोनों वक्त पीएम मोदी के वैज्ञानिकों के प्रति समर्थन को देखकर मुझे विश्वास है कि भारतीय विज्ञान आने वाले समय में खूब फले-फूलेगा। इस नेतृत्व और समर्थन से हमारा राष्ट्र भारत विजेता होगा।