Opinion: रेप से घिनौना कुछ भी नहीं, लेकिन इंतकाम या उगाही के लिए फर्जी केस शर्मनाक, असली पीड़ितों का मजाक – menace of false rape cases in india and misuse of rape laws for blackmailing and extortion

नई दिल्ली : रेप से घिनौना कुछ भी नहीं है। पीड़ित वर्षों तक अपने साथ हुए अपराध के सदमे से नहीं उबर पाती। दरिंदे शरीर नोचते हैं, रौंदते हैं लेकिन सबसे ज्यादा जख्मी तो आत्मा होती है। उस जख्म को भरने में जमाना लगता है। निर्भया कांड के बाद सरकार ने रेप से जुड़े कानूनों को और भी सख्त बनाया ताकि अपराधियों में कानून का खौफ हो। लेकिन ऐसी तमाम घटनाएं सामने आ रही हैं जब महिलाओं की सुरक्षा के बने कानूनी ढाल का दुरुपयोग इंतकाम लेने या फिर उगाही करने के लिए हथियार की तरह हो रहा है। हम बात कर रहे हैं रेप के फर्जी केसों की। लंबे समय तक लिव-इन में रहे, लेकिन अगर किसी कारण से ब्रेक अप हो गया तो पार्टनर के खिलाफ रेप का केस। शादीशुदा जिंदगी में अगर अनबन हुई तो पार्टनर से ‘बदला’ लेने के लिए ससुरालियों को झूठे रेप केस में फंसा देना। और तो और, इससे ज्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है कि कुछ ने फर्जी रेप केस को धंधा बना लिया है। उगाही करने के लिए शिकार को पहले जाल में फंसाओं फिर रेप का फर्जी केस दर्ज कराकर ब्लैकमेलिंग और पैसे ऐंठने का खेल। ये फर्जी केस उनकी जिंदगी तो नरक बना ही रहे जिन्हें फंसाया जा रहा, साथ में ये असल रेप पीड़ितों के साथ भी भद्दा मजाक है।फर्जी रेप केस का ट्रेंड अगर ऐसे ही बढ़ता रहा तो असल पीड़ितों को भी शक की निगाह से देखा जाने लगेगा। इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता। अदालतें भी समय-समय पर फर्जी रेप केस को लेकर चिंता जताती आई हैं। लेकिन जरूरत है फर्जी रेप केस दर्ज कराकर असल पीड़ितों के दर्द का मजाक उड़ाने वालों के खिलाफ सख्त कानून की। हाल के समय में कई हाई कोर्ट ने फर्जी रेप केस को लेकर तमाम तल्ख टिप्पणियां की हैं।झूठे बलात्कार के मुकदमे आग की तरह पूरे समाज में फैल रहे हैं। हजारों जिंदगियां झूठे मुकदमों में तबाह हो रही हैं और लाखों लोगों से ऐसे आरोपों की धमकी देकर पैसों की उगाही की जा रही है। फर्जी केस के जरिए बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का मजाक उड़ाया जा रहा है।दीपिका नारायण भारद्वाज, इक्वल राइट्स ऐक्टिविस्टरेप के फर्जी केस का ट्रेंड इतनी तेजी से बढ़ रहा कि असली मामले अपवाद लग रहे : इलाहाबाद हाई कोर्टइलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि रेप के फर्जी केस का ट्रेंड इतनी तेजी से बढ़ा है कि असली मामले अपवाद जैसे लगने लगे हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे तमाम केस सामने आ रहे हैं जहां लड़कियां या महिलाएं आरोपी के साथ लंबे समय तक फीजिकल रिलेशन में रहने के बाद रेप की झूठी एफआईआर लिखा रही हैं। जस्टिस सिद्धार्थ की सिंगल-जज बेंच ने ये भी कहा कि कानून पुरुषों के प्रति बहुत ही पक्षपाती है और अदालतों को ऐसे मामलों में जमानत से जुड़ी याचिकाओं का निपटारा करते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, ‘समय आ गया है कि अदालतें ऐसे मामलों में जमानत याचिकाओं की सुनवाई में बहुत सतर्क रहें। कानून पुरुषों के खिलाफ बहुत पक्षपाती है। एफआईआर में बेबुनियाद आरोप लगाना और मौजूदा केस की तरह किसी को भी फंसा देना बहुत आसान है।’कुछ महिलाएं रेप कानून को हथियार बनाकर दुरुपयोग कर रही हैं : उत्तराखंड हाई कोर्टपिछले महीने उत्तराखंड हाई कोर्ट ने भी आईपीसी की धारा 376 के दुरुपयोग को लेकर कड़ी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा कि कुछ महिलाएं रेप से जुड़े कानून को हथियार बनाकर दुरुपयोग कर रही हैं। हाई कोर्ट ने शादी का झांसा देकर कथित रेप से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की। जस्टिस शरद कुमार शर्मा की सिंगल जज बेंच ने कहा कि अक्सर देखने में आया है कि महिलाएं अपने पुरुष मित्रों के साथ होटल से लेकर तमाम अन्य जगहों पर जाती हैं। बाद में अगर किसी कारण से उनमें कभी मतभेद हो जाए तो अपने साथी के खिलाफ रेप का केस दर्ज करा देती हैं। हाई कोर्ट ने तो यहां तक कहा कि जो महिलाएं इस तरह की गलत और झूठे आरोप लगाती हैं, उन्हें जेल भेज देना चाहिए। मामले में महिला ने आरोपी से पहली बार शारीरिक संबंध बनाने के 15 वर्ष बाद एफआईआर दर्ज कराई थी कि उसके साथ शादी का झांसा देकर रेप हुआ है। कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया।शादी का वादा सच्चा या झांसा, ये परखने के लिए एक साल काफी : मध्य प्रदेश हाई कोर्टपिछले महीने ही मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भी एक आरोपी के खिलाफ रेप के केस को ये कहते हुए रद्द कर दिया कि शादी का वादा सच्चा है या झांसा, ये परखने के लिए एक साल का वक्त काफी होता है। हाई कोर्ट ने कहा कि किसी महिला को धोखा देने के लिए शादी का झूठा वादा करके उससे शारीरिक संबंध बनाना अपराध है। दूसरी तरफ, वादा करके उसे पूरा नहीं करने को झूठा वादा नहीं कह सकते। अदालत ने कहा कि महिला लंबे समय तक आरोपी के साथ रिलेशन में रही। जब आरोपी ने शादी करने के अनुरोध को ठुकरा दिया, उसके बाद भी रिलेशन जारी रहा। हाई कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ रेप का मुकदमा चलाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और उसने एफआईआर को रद्द कर दिया।कई बार आरोपी कर लेते हैं खुदकुशीमध्य प्रदेश और उत्तराखंड हाई कोर्ट ने तो फर्जी रेप केस के मामले में आरोपियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दिया। लेकिन सारे आरोपी इतने खुशकिस्मत नहीं होते। फर्जी केस से उनकी जिंदगी नरक बन जाती है। सामाजिक प्रतिष्ठा तार-तार हो जाती है। घरवालों का जीना भी मुहाल हो जाता है। और कभी-कभी तो आरोपी सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाते और खुदकुशी जैसे कदम उठा लेते हैं।दिल्ली का एक मामला देखिए। 2 बच्चों की मां एक महिला ने 2014 से 2022 के बीच 8 सालों में अलग-अलग लोगों के खिलाफ 7 केस दर्ज कराए जिसमें 4 रेप के केस हैं। 2014 में उसने पहली बार जिस आरोपी के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराया, उसने खुदकुशी कर ली। 2016 में तीन लोगों के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराया जो अदालत से बरी हो गए। दो केस अभी अदालत में लंबित हैं।हाल ही में यूपी की बिजनौर पुलिस ने युवकों से शादी कर उन्हें फर्जी रेप केस में फंसाने वाली महिला को गिरफ्तार किया था। आरोप के मुताबिक महिला 5 पुरुषों के साथ मिलकर गैंग चलाती थी। उसने 3 पुरुषों से शादी की और तीनों को ही छोड़ दिया। अपने 2 पूर्व पतियों के खिलाफ उसने रेप और जबरन धर्मपरिवर्तन की कोशिश का केस दर्ज कराया। एक शख्स और उसके परिवार के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया। एक और शख्स को कथित तौर पर धकमी दे रही थी कि पैसे दो नहीं तो रेप केस दर्ज करा दूंगी।रेप के फर्जी केस को उगाही का धंधा बना चुके हैं कई गैंगऐसे कई मामले भी देखने को मिल रहे हैं जहां कुछ लड़कियां फर्जी रेप केस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं। ये बाकायदा गैंग चला रही हैं। पहले शिकार को जाल में फंसाती हैं फिर उनके खिलाफ रेप का झूठा केस दर्ज कराकर पैसे की उगाही करती हैं। एक लड़की ने गुरुग्राम में एक साल भीतर ही अलग-अलग लोगों के खिलाफ बलात्कार के 9 मामले दर्ज कराए हैं। उसे जेल भी जाना पड़ा है। इसी तरह जबलपुर की एक युवती ने 6 साल में रेप के 5 मुकदमे दर्ज करा चुकी है। उसके खिलाफ एक्सटॉर्शन का केस दर्ज है। जयपुर में भी एक एक महिला ने अलग-अलग लोगों के खिलाफ रेप के 10 मुकदमें दर्ज करा चुकी है। बेंगलुरु की महिला ने अलग-अलग लोगों के खिलाफ रेप के 9 मुकदमे दर्ज कराए हैं। ये सिर्फ बानगी भर हैं। देशभर में ऐसे तमाम मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जिसमें उगाही के लिए रेप कानून का दुरुपयोग हो रहा है।’फर्जी केस से बलात्कार जैसे अपराध का भी उड़ाया जा रहा मजाक’इक्वल राइट्स ऐक्टिविस्ट दीपिका नारायण भारद्वाज रेप के फर्जी केस के बढ़ते ट्रेंड पर सुप्रीम कोर्ट से संज्ञान करती हैं। वह कहती हैं, ‘झूठे बलात्कार के मुकदमे आग की तरह पूरे समाज में फैल रहे हैं। हजारों जिंदगियां झूठे मुकदमों में तबाह हो रही हैं और लाखों लोगों से ऐसे आरोपों की धमकी देकर पैसों की उगाही की जा रही है। मैंने ऐसी लड़कियों पर कार्रवाई करवाई है जिन्होंने 9, 10 बलात्कार के फर्जी मुकदमे दर्ज करा रखे थे। जरूरी है जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट इस बात का संज्ञान ले और लोगों को इस अन्याय से बचाए।’ दीपिका कहती हैं कि जो मामले पहली नजर में ही फर्जी लगते हैं, उनमें भी पुलिस आरोपी की गिरफ्तारी की जल्दबाजी करती है। इसे आरोपियों के साथ अन्याय करार देते हुए वह कहती हैं, ‘फर्जी केस के जरिए बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का मजाक उड़ाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट कहता है सिर्फ महिला का बयान ही सब कुछ है। अगर सीसीटीवी फुटेज या फोन रिकॉर्ड से साफ पता लग रहा हो कि महिला झूठ बोल रही है, तब भी पुलिस गिरफ्तारी करती है। सरासर अन्याय हो रहा है लोगों के साथ।’दहेज उत्पीड़न से जुड़े मामलों में भी रेप के केस, ये आंकड़े चौंकाने वाले1 जनवरी 2022 से 30 जून 2023 के बीच एनसीआर के सिर्फ गाजियाबाद जिले में 102 महिलाओं ने अपने लिव इन पार्टनरों के खिलाफ रेप के केस दर्ज कराईं। इस दौरान शहर में रेप के कुल 546 मामले दर्ज हुए। इनमें से 122 में पीड़िता ने मेडिकल कराने से मना कर दिया। 11 में बयान से इनकार कर दिया। 64 मामलों में पीड़िता अपने बयान से पलट गई। 29 मामलों में पीड़िता बयान देने के बाद घटना से इनकार किया। एक मामला तो ऐसा रहा जिसमें महिला ने प्रॉपर्टी कब्जाने के मकसद से रेप की फर्जी कहानी गढ़ दी। नंदग्राम थाना क्षेत्र में दिल्ली की एक महिला ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसका अपहरण करने के बाद 4 लोगों ने गैंगरेप किया। बाद में पुलिस जांच में गैंगरेप की पूरी घटना फर्जी और मनगढ़ंत निकली जिसके बाद पुलिस ने उसे और उसके सहयोगियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।खास बात ये कि 2022 से 30 जून 2023 के बीच गाजियाबाद में 46 ऐसे मामले सामने आए जिनमें दहेज उत्पीड़न का भी केस दर्ज हुआ था यानी आईपीसी की धारा 376 के साथ-साथ आईपीसी की धारा 498 A के तहत भी केस। पिछले साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 498 A के दुरुपयोग पर तल्ख टिप्पणी की थी। शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि 498ए (दहेज प्रताड़ना) मामले में पति के रिश्तेदारों के खिलाफ स्पष्ट आरोप के बिना केस चलाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। अदालतों को इस तरह की शिकायतों में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।