हाइलाइट्स:जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक सरकार चुनने की कवायद तेज होते ही बौखलाया पाकिस्तानपीएम मोदी ने 24 जून को कश्मीर नेताओं के साथ मीटिंग कर विधानसभा चुनाव की चर्चा कीमीटिंग में कश्मीर नेताओं का रुख भी काफी साकारात्मक रहा जिस कारण पाकिस्तान चिंतित हैतीन दिन में जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित तीन बड़े हमलों को अंजाम दिया जा चुका हैनई दिल्लीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जून को जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ बातचीत करते हैं। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के नेताओं के बीच से भी करीब-करीब यही आम सहमति उभरती है कि आर्टिकल 370 जैसे मुद्दों को ठंडे बस्ते में डालकर सुनहरे भविष्य की रूपरेखा बननी चाहिए। तीन दिन बाद तक 27 जून आते-आते जम्मू-कश्मीर में तीन बड़ी घटनाएं हो जाती हैं। क्या ये सब महज संयोग है?आतंकवादी नमाज पढ़ने जा रहे परवेज अहम डार की हत्या कर देते हैं, वायुसेना के एयरबेस पर ड्रोन हमला होता है और फिर से स्पेशल पुलिस ऑफिसर (SPO) फैयाज अहमद डार और उनकी पत्नी को मार दिया जाता है। क्या ये सारी घटनाएं महज इत्तेफाक हैं या फिर इनके पीछे हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान का हाथ है? एक्सपर्ट्स की चेतावनीएक्सपर्ट्स लगातार कह रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली की प्रक्रिया को पाकिस्तान कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता है, इसलिए इस दिशा में उठाए कदमों को बाधित करने के लिए उससे जो भी बन पड़ेगा, वो जरूर करेगा और कर भी रहा है। यह दावा आधारहीन भी नहीं है। पीएम के साथ जम्मू-कश्मीर के 14 नेताओं की मीटिंग पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया जानकर कोई भी आसानी से अंदाजा लगा सकता है कि वह कश्मीरी नेताओं के बदले हुए रुख से कितना परेशान है। J&K एयरबेस पर ड्रोन हमले का सबक- ऐंटी-ड्रोन टेक्नॉलजी पर जल्दी जोर दे सेना और पुलिस बल, वरना बड़ा खतरापाक की प्रतिक्रिया में ही छिपी है उसकी बौखलाहटपाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस बैठक को नाटक और पीआर स्टंट बताया। कुरैशी ने जम्मू-कश्मीर पर नई दिल्ली में हुई हाई लेवल मीटिंग के एक दिन बाद कहा, ‘मेरे विचार से यह एक नाटक था और यह नाटक क्यों था? क्योंकि इसे अधिक से अधिक जनसंपर्क की कवायद कहा जा सकता है, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ।’ पाकिस्तान को इसका भी दर्द सता रहा है कि मीटिंग में कश्मीरी अलगाववादी धड़े हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को क्यों नहीं बुलाया गया था। क्यों परेशान है पाकिस्तान?दरअसल, पाकिस्तान यह आस लगाए बैठा था कि पीएम मोदी के साथ मीटिंग में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) चीफ महबूबा जैसी फायरब्रैंड नेता आर्टिकल 370 की वापसी पर अड़ जाएंगी और वो भारतीय भावना के खिलाफ बात करेंगी। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं। महबूबा ने एक बार आर्टिकल 370 की बात करनी भी चाही तो प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या मीटिंग में शामिल केंद्र के किसी और प्रतिनिधि ने नहीं बल्कि जम्मू-कश्मीर के ही दूसरे नेता मिर्जा मजुफ्फर बेग ने उन्हों रोक दिया। पीपल्स कॉन्फ्रेंस (PC) के नेता मुजफ्फर बेग ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।पाक को चुभा होगा फारूक के बयानउधर, नैशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के संरक्षक और गुपकर गठबंधन के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने मीटिंग में जाते वक्त मीडिया के सामने पाकिस्तान की धज्जियां उड़ा दीं। उन्होंने कहा, ‘मैं पाकिस्तान वगैरह की बात नहीं करता। मुझे अपने वतन से बात करनी है, अपने वतन के प्राइम मिनिस्टर से बात करनी है।’ स्वाभाविक है कि अब्दुल्ला का यह संदेश पाकिस्तान को बहुत ज्यादा चुभा होगा। उसे समझ आ गई होगी कि अब जम्मू-कश्मीर के नेता किसी बहकावे में आकर अलगाववाद का सुर अलापने की नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक सरकार बनाकर वहां अमन-चैन के माहौल को भरपूर ताकत देने की मंशा रखते हैं।PM Modi Meeting Live: पीएम मोदी के साथ मीटिंग जारी, चर्चा से पहले बोले फारूक अब्दुल्ला- मुझे पाकिस्तान से नहीं, अपने वतन से बात करनी हैमुगालते पालने में पाकिस्तान का कोई जोड़ नहींविभिन्न टेलीविजन कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे रक्षा, विदेश और कूटनीतिक मामलों के जानकार स्पष्ट कह रहे हैं कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के बदले नजरिए से बहुत बेचैन होगा। जम्मू-कश्मीर में भारतीयता की भावना को जोर पकड़ने से पाकिस्तान की बेचैनी जायज भी है, उसका वर्षों का ख्वाब जो टूट रहा है। पाकिस्तान को यह मुगालता था कि कश्मीरी की जनता मुसलमान है और इसलिए वो इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान का समर्थन और भारत का विरोध करती रहेगी। अब जब उसका यह भ्रम टूटने लगा है तो उसकी बौखलाहट कभी पुलिस वालों की हत्या में तो कभी सुरक्षा प्रतिष्ठान पर ड्रोन हमले को रूप में सामने आ रही है।