अपनी विविधता के लिए मशहूर भारत में हर धर्म के पालन की स्‍वतंत्रता है। दुनिया के सबसे ज्‍यादा हिंदू, सिख और जैन भारत में रहते हैं। मुस्लिमों की अच्‍छी-खासी आबादी के अलावा करोड़ों ईसाई और बौद्ध भारत में शांति से रहते हैं। धर्म को लेकर भारतीयों की सोच क्‍या है? दूसरे धर्मों को वे किस तरह देखते हैं? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब प्‍यू रिसर्च सेंटर की ताजा रिपोर्ट में मिलते हैं। कोविड-19 महामारी से पहले 30 हजार भारतीयों पर हुए सर्वे में लगभग सभी राज्‍यों के लोगों ने हिस्‍सा लिया। आइए जानें रिपोर्ट की 10 बड़ी बातें।भारतीयों के लिए काफी मायने रखता है धर्मसर्वे में शामिल अधिकतर भारतीयों ने कहा कि उनकी जिंदगी में धर्म का बहुत महत्‍व है। हर धर्म के लगभग तीन-चौथाई लोगों ने कहा कि वे अपने धर्म के बारे में काफी कुछ जानते हैं।सभी इंफोग्रैफिक्‍स : प्‍यू रिसर्च सेंटर’दूसरे धर्म के लोगों को अलग देखते हैं भारतीय’काफी ऐसी बातें हैं जिन्‍हें लेकर हर धर्म के लोग एकमत हैं। जैसे कर्म के सिद्धांत पर 77% हिंदू विश्वास करते हैं तो इतने ही मुस्लिम भी। एक-तिहाई ईसाई (32%) भी 81% हिंदुओं की तरह गंगा के पानी की शुद्धता में यकीन रखते हैं। लगभग हर धर्म के लोगों ने कहा कि बड़ों का सम्मान उनके धर्म में बहुत जरूरी है।इसके बावजूद लोग यह नहीं मानते कि दूसरे धर्म के लोग उनके जैसे हैं। अधिकतर हिंदू (66%) खुद को मुस्लिमों से अलग देखते हैं और मुसलमानों का भी यही रवैया है। हालांकि आधे से ज्यादा जैन और सिख मानते हैं कि उनमें और हिंदुओं में काफी कुछ मिलता-जुलता है।दूसरे धर्म में शादियां रोकना चाहते हैं सबभारत में अलग-अलग धर्मों के बीच शादियां बेहद कम होती हैं। प्‍यू की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर भारतीयों ने कहा कि उनके धर्म के लोगों को दूसरे धर्म में शादी करने से रोकना बहुत जरूरी है। मुस्लिम महिलाओं को दूसरे धर्म में शादी करने से 80% मुसलमान रोकना चाहते हैं जबकि 67% हिंदू नहीं चाहते कि महिलाएं मुस्लिमों से शादी करें।दूसरे धर्म के लोगों को नहीं बनाते पड़ोसी या दोस्‍तभारतीय आमतौर पर अपने धर्म के लोगों को ही दोस्‍त बनाते हैं। सिख और जैन धर्म के लोगों का भी कहना है कि उनके दोस्‍त धर्म के भीतर ही हैं। कुछ भारतीय तो यहां तक कहते हैं कि उनके पड़ोस में केवल उनके धर्म के लोग रहने चाहिए। 45% हिंदुओं ने कहा कि उन्‍हें किसी और धर्म का पड़ोसी होने पर कोई दिक्‍कत नहीं है। हालांकि 45% हिंदुओं ने कहा कि वे दूसरे धर्म के पड़ोसियों को बर्दाश्‍त नहीं करेंगे।धार्मिक और राष्‍ट्रीय पहचान को जोड़कर देखते हैं ज्‍यादातर हिंदूसर्वे में करीब दो-तिहाई (64%) हिंदुओं ने कहा कि ‘सच्‍चा’ भारतीय होने के लिए हिंदू होना जरूरी है। अधिकतर हिंदुओं ने कहा कि वे हिंदी बोल पाने को भारतीय पहचान से जोड़कर देखते हैं। ऐसे लोगों ने 2019 के संसदीय चुनावों में बीजेपी को वोट भी दिया था। अधिकतर मुस्लिम मानते हैं, भारतीय संस्‍कृति सबसे अच्‍छीभारत के दूसरे सबसे बड़े धर्म, इस्‍लाम को मानने वाले 95% लोग कहते हैं कि उन्‍हें भारतीय होने पर बेहद गर्व है। 85% इस बात को मानते हैं कि भारतीय संस्‍कृति बाकी सबसे अच्‍छी है। 24% मुस्लिमों ने कहा कि उन्‍हें भारत में ‘काफी भेदभाव’ का सामना करना पड़ा। 21% हिंदू भी मानते हैं कि उन्‍हें भारत में धार्मिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है।अपनी अदालतें चाहते हैं भारत के मुसलमानसर्वे में शामिल तीन-चौथाई मुसलमानों ने कहा कि वे इस्‍लामिक अदालतों के वर्तमान सिस्‍टम तक पहुंच का समर्थन करते हैं।खुद को जातियों के चश्‍मे से देखते हैं ज्‍यादातर भारतीयज्‍यादातर भारतीय जाति से अपनी पहचान जोड़ते हैं, चाहे व‍ह किसी भी धर्म के हों। हर पांच में से सिर्फ एक भारतीय ने कहा कि अनुसूचित जातियों के लोगों के साथ भेदभाव होता है।दूसरी जाति में शादी से कतराते हैं भारतीय64% भारतीयों ने कहा कि उनके समुदाय की महिलाओं को दूसरी जातियों में शादी करने से रोकना बहुत जरूरी है। हिंदू, मुस्लिम, सिख और जैन में इंटरकास्‍ट मैरिज को रोकना प्राथमिकता है।धर्म परिवर्तन से आबादी पर ज्‍यादा असर नहींसर्वे में पता चला कि धर्मांतरण से किसी धार्मिक समूह की आबादी पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता। 82% भारतीयों ने कहा कि वे हिंदू पैदा हुए थे। लगभग इतने ही लोगों ने कहा कि वे अब भी हिंदू हैं। अन्‍य धर्मों में भी यही ट्रेंड दिखा।क्‍या है प्‍यू रिसर्च सेंटर?प्‍यू रिसर्च सेंटर एक अमेरिकी थिंकटैंक है जो सामाजिक मुद्दों से लेकर डिमोग्रैफिक ट्रेंड्स पर जानकारी सामने रखता है। जिस सर्वे के आधार पर प्‍यू रिसर्च सेंटर ने ये सारे आंकड़े पेश किए हैं, वह 18 साल से ज्‍यादा उम्र के लोगों पर हुआ। 17 भाषाओं में लोगों से फेस-टू-फेस सवाल पूछे गए।