हौसला चांद पर हैइस तस्वीर को देखिए। फ्रेम में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डीसिल्वा, दक्षिण अफ्रीका का राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिख रहे हैं। पीएम मोदी का चेहरा गर्व से दमक रहा है जैसे रोम-रोम पुलकित है। एक हाथ में कुछ पेपर्स के पुलिंदा जैसा कुछ दिख रहा है। जिनपिंग पीएम मोदी की ओर देख रहे हैं। प्रधानमंत्री की निगाह राष्ट्रपति रामफोसा की तरफ है जो डीसिल्वा के कंधे पर हाथ रखकर कुछ कहते दिख रहे हैं।गर्व है!चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग के तौर पर भारत की अभूतपूर्व उपलब्धि से पूरी दुनिया चमत्कृत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स समिट में अपनी स्पीच के दौरान भी चंद्रयान 3 की उपलब्धि को भारत ही नहीं, पूरी मानवजाति की महत्वपूर्ण सफलता के तौर पर बताया। उन्होंने कहा, ‘अभी मेरे मित्र रामाफोसा जी ने भारत के मून मिशन को लेकर ढेरों बधाइयां दीं। हर किसी से बधाइयां मिल रही हैं। दुनियाभर में भी इस सफलता को सिर्फ एक देश की सीमित सफलता के रूप में नहीं लेकिन पूरी मानवजाति की महत्वपूर्ण सफलता के रूप में स्वीकार किया जा रहा है। ये हम सभी लोगों के लिए अत्यंत गर्व का विषय है और भारत के वैज्ञानिकों को पूरे विश्व की तरफ से अभिनंदन का अवसर है। फ्रेंड्स, कल शाम भारत के चंद्रयान ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की। ये केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। और जिस क्षेत्र में भारत ने अपना टारगेट तय किया था, वहां पहले कभी प्रयास नहीं हुआ है और ये प्रयास सफल हुआ है। ये अपने आप में विज्ञान की और वैज्ञानिकों की बड़ी सफलता है। इस ऐतिहासिक अवसर पर आप सब की तरफ से मुझे भारत को, भारत के वैज्ञानिकों और दुनिया के वैज्ञानिक समुदाय को जो बधाई के संदेश मिले हैं, मैं सार्वजनिक रूप से मेरी तरफ से, मेरे देशवासियों की तरफ से और मेरे वैज्ञानिकों की तरफ से बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। थैंक्यू।’ये दोस्ती…इस तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति रामफोसा की गर्मजोशी देखते ही बन रही है। दोनों इस अंदाज में पंजा लड़ाते दिख रहे हैं जैसे कह रहे हों कि ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे…। पीएम मोदी के चेहरे पर मुस्कान तारी है। एक अलग तरह का आत्मविश्वास झलक रहा है।इससे पहले, बुधवार रात को जब सिरिल रामफोसा ने मेहमानों के लिए राजकीय डिनर दिया, तब उनकी स्पीच में चंद्रयान 3 और भारत ही छाया रहा। भोज में रामफोसा ने कहा, ‘आज की रात एक ऐसी रात है जब हमारे पास ब्रिक्स भागीदारों के रूप में जश्न मनाने का और भी अधिक कारण है। आज दोपहर से कुछ घंटे पहले भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक चंद्र मॉड्यूल उतारकर इतिहास रच दिया और ऐसा करने वाला वह पहला देश बन गया।’ उन्होंने कहा, ‘हम चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भारत सरकार और वहां के लोगों तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को बधाई देते हैं।’दुनिया में छाया चंद्रयानप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक तस्वीर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट किया है जिसमें वह खड़े होकर दक्षिण अफ्रीका के एक अखबार को पढ़ते दिख रहे हैं। साथ में ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डीसिल्वा दिख रहे हैं और उनकी भी निगाह अखबार पर है। अखबार में पीएम मोदी की शान में कसीदे पढ़े गए हैं, जिसका अंदाजा हेडलाइंस से ही लग जाता है। हेडिंग है- इंडियाज मोदी ऑउट ऑफ दिस वर्ल्ड यानी भारत के मोदी इस दुनिया के बाहर की चीज हैं। दक्षिण अफ्रीकी अखबार में भारतीय प्रधानमंत्री का छाना सिर्फ एक राजनेता नहीं बल्कि 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है। तस्वीर में पीएम मोदी के हाव-भाव में गर्व का भाव साफ देखा जा सकता है।जिनपिंग को कुछ समझाते दिखे पीएम मोदीब्रिक्स समिट को लेकर ऐसी चर्चाएं थीं कि इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बातचीत हो सकती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हां, दोनों नेताओं ने हाथ जरूर मिलाया। एक वीडियो क्लिप भी सामने आया जिसमें पीएम मोदी आगे-आगे चल रहे हैं और उनके पीछे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी साथ में चल रहे हैं। इस दौरान पीएम मोदी चलते हुए उन्हें कुछ समझाते नजर आ रहे हैं। बातचीत बहुत ही संक्षिप्त रही। ये तब हुआ जब कॉन्फ्रेंस शुरू होने जा रही थी और उसके लिए चारों सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष अपनी-अपनी सीट पर जा रहे थे। पूरे समिट के दौरान पीएम मोदी के चेहरे पर गर्व का भाव था जिसके पीछे अहम वजह चंद्रयान 3 की अभूतपूर्व कामयाबी थी।चांद के साउथ पोल पर ग्लोबल साउथ की धमाकेदार दस्तकप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर जिस ग्लोबल साउथ की बात करते हैं, उसने चंद्रमा के साउथ पोल पर दस्तक दे दी है। ये गैरमामूली कामयाबी ज्ञान-विज्ञान खासकर स्पेस साइंस के क्षेत्र में नए युग का आगाज है। 1960 के दशक में पनपा ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द आम तौर पर लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के क्षेत्रों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। खासकर इसका मतलब, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बाहर, दक्षिणी गोलार्द्ध और भूमध्यरेखीय क्षेत्र में स्थित ऐसे देशों से है जो ज्यादातर कम आय वाले हैं और राजनीतिक तौर पर भी पिछड़े हैं। ज्यादातर ‘ग्लोबल साउथ’ देश औद्योगीकरण वाले विकास की दौड़ में पीछे रह रह गए। इनका उपनिवेश वाले देश के पूंजीवादी और साम्यवादी सिद्धांतों के साथ विचारधारा का भी टकराव रहा है। अब उसी ग्लोबल साउथ की दहाड़ पूरी दुनिया सुन रही है, चंद्रयान 3 की कामयाबी के रूप में।ब्रिक्स के विस्तार को मंजूरीजोहानिसबर्ग समिट में ब्रिक्स के विस्तार को मंजूरी दी गई। ब्रिक्स में ब्राजील, इंडिया, चाइना और साउथ अफ्रीका शामिल हैं। 2010 के बाद पहली बार संगठन में विस्तार होने जा रहा है ताकि वैश्विक स्तर पर इसके प्रभाव का भी विस्तार हो सकते। सऊदी अरब, मिस्र, यूएई समेत ग्लोबल साउथ के 20 से ज्यादा देशों को ब्रिक्स में शामिल होने का न्यौता दिया गया है।