हाइलाइट्स:रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को नई जिम्मेदारीतमिलनाडु सरकार की आर्थिक सलाहकार परिषद में हुए शामिलमुख्यमंत्री स्टालिन की अडवाइजरी काउंसिल में कई एक्सपर्ट्स मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के आलोचक रहे हैं रघुराम राजनचेन्नैरिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को नई जिम्मेदारी मिली है। तमिलनाडु सरकार ने उन्हें आर्थिक सलाहकार परिषद में शामिल किया है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की इस अडवाइजरी काउंसिल में कई आर्थिक विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। तमिलनाडु सरकार की इस आर्थिक सलाहकार परिषद में इकनॉमिक एक्सपर्ट रघुराम राजन के साथ-साथ एस्थर डफ्लो और डॉक्टर अरविंद सुब्रमणियन को भी जगह मिली है। रघुराम राजन मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के आलोचक रहे हैं। वहीं भारत में कोरोना की बेकाबू स्थिति के लिए उन्होंने लीडरशिप और दूरदर्शिता की कमी को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने साथ ही कहा था कि पिछले साल कोरोना की पहली लहर के बाद देश में पैदा हुई आत्ममुग्धता का भी भारत को खामियाजा भुगतना पड़ा। समय रहते चेत गई होती मोदी सरकार तो देश में नहीं बिगड़ते कोरोना के हालात: रघुराम राजनरघुराम राजन ने पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर उठाए सवाल, इस रास्ते पर आगे बढ़ने को लेकर किया सावधानमोदी सरकार की नीतियों के आलोचक की छविरघुराम राजन को यूपीए सरकार ने 2013 में आरबीआई का गवर्नर बनाया था। लेकिन वह मोदी सरकार की नीतियों के आलोचक रहे। आरबीआई डिविडेंड (RBI Dividends) और इंटरेस्ट रेट (interest rates) के मुद्दे पर उनकी मोदी सरकार से नहीं बनी। वहीं बीजेपी ने उन पर ब्याज दरें बहुत ज्यादा रखने का आरोप लगाया था। इंटरनैशनल मॉनीटरी फंड (IMF) के चीफ इकनॉमिस्ट रह चुके राजन ने Kathleen Hays के साथ Bloomberg Television इंटरव्यू में कहा था अगर आप सावधान रहते तो आपका समझना चाहिए था कि अभी इसका खतरा खत्म नहीं हुआ है। दुनिया में दूसरी जगह खासकर ब्राजील में जो हो रहा है, उससे आपको समझ जाना चाहिए था कि वायरस वापस आ रहा है और पहले से ज्यादा खतरनाक हो रहा है। पिछले साल कोरोना के मामलों में कमी के बाद भारत को लगा कि वायरस का बुरा दौर बीत चुका है और अब सबकुछ खोलने का समय आ गया है। यही आत्ममुग्धता आज भारत को भारी पड़ी।पूर्व RBI गर्वनर रघुराम राजन बोले, अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापकों ने अपनी आत्मा से समझौता कियाकोरोना की दूसरी लहर पर सरकार को घेरा थायूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में फाइनेंस के प्रोफेसर राजन ने कहा था कि कोरोना की पहली लहर से निपटने में भारत की सफलता का नतीजा यह रहा कि उसने अपने लोगों के लिए पर्याप्त वैक्सीन बनाने पर ध्यान नहीं दिया। शायद भारत को लगा होगा कि अभी उसके पास समय है। उसे लगा कि हम वायरस से निपट चुके हैं इसलिए वैक्सीनेशन में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा था कि अब जाकर सरकार को होश आया है और वह इमरजेंसी मोड में काम कर रही है।और बदतर हो सकती है इकॉनमी की स्थिति, राहत पैकेज बढ़ाए सरकार: राजनअरविंद सुब्रमणियन भी सलाहकार परिषद में शामिलदूसरी ओर तमिलनाडु सरकार की आर्थिक सलाहकार परिषद में अरविंद सुब्रमणियन को जगह मिली है। वित्त मंत्रालय में पूर्व में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे सुब्रमणियन ने जुलाई 2020 में अशोका यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर के तौर पर काम शुरू किया था। इसी साल मार्च में उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया। राजनीतिक विश्लेषक प्रताप भानु मेहता के इस संस्थान से निकलने के दो दिन बाद ही उन्होंने यह कदम उठाया था।रघुराम राजन (फाइल फोटो)