rahul gandhi smriti irani flying kiss issue in parliament

गांव के लड़के लफद्री ज्यादा होते हैं. आज के बच्चे तो हाऊ डू यू डू में ही पड़े हुए हैं. गांव वाले तो पेड़ में चढ़कर पंडित जी का कपारई भोड़ देते थे. 90 के दशक के लौंडे और फिल्में भाई साहब कहर थी. तभी तो 22 साल बाद गदर फिल्म के लिए गदर कट रही है. खैर आते हैं फ्लाइंग किस पर. जब हम अम्मा की कोख से पैदा होकर सीधे नरक लोक सिधारे तो मोहल्ले के बकैत चाचाओं ने हमें फुल ट्रेंड किया. इतना एनडीए वाले कैडेट को क्या तैयार करते होंगे. फिजिकल, मेंटल सारी ट्रेनिंग ये कथित चाचा करवाते थे.
सुबह-सुबह हम राजा बाबू बनकर घर से बाहर निकाल दिए जाते थे. माता जी को हम छकाए रहते थे तो काजर-टीका कीं और चल बेटा बाहर. उनको क्या पता था कि मोहल्ले के ठलुआ चाचा हमको फ्लाइंग किस सिखा रहे थे. हम एकदम जोरदार तरीके से करने लगे थे. फिर तो ऐसा ट्रेंड हुए कि सड़क से कोई भी लड़की निकले चाचाओं का इशारा होते ही हम फ्लाइंग किस करना शुरू कर देते थे. क्या करें पापी पेट का सवाल था. वो लोग हमें कंपट दिलवाते थे. याद है न वो एक रुपए की छह मिलती थी. हमको पता नहीं था कि एक दिन ये मसला संसद में गूंज जाएगा. पता होता तो इसी में पीएचडी करके. बेरोजगारी के दौर में किसी न किसी चैनल में बैठकर बकैती जरूर कर लेता. बचपन में लड़कियां पूचू, आलेलेले….दुलरा के गाल खींचकर चलीं जातीं थीं. फिर बड़े होकर पहुंचे स्कूल. मासूमियत काजल के रास्ते बाहर आ रही थी. फ्लाइंग किस का मतलब तो उन ठलुओं ने समझाया नहीं था.
लोकसभा में राहुल गांधी (फोटोः एजेंसी)
मासूमियत का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि हम क्लास की सबसे सुंदर लड़की से राखी बंधवाते थे. बाद में जब पता चला कि हमने ताउम्र खुद को माफ न करने वाला जुर्म किया है. अब आप कम से कम मुझे गलत तो नहीं समझेंगे. मोहल्ले वालों का रूटीन बन गया था. एक दिन स्कूल में हम लड़कियों के साथ लंच कर रहे थे. उन दिनों लड़कियों के साथ खाना खा लो तो दूसरे दोस्त बुरा मान जाते थे. बोलते थे जाओ भाभी जी के साथ खाओ. हम सोचे कि यहां हमारी पूरी और अचार निपट गया और उधर दोस्त भाभी जी बना रहे हैं. खैर, बाबू जी का खौफ था तो लड़की को दोस्त तक नहीं बना पाए. जब तक प्यार, इश्क और फ्लाइंग किस का मतलब समझे तो गांव से भगा दिए गए थे. फ्लाइंग किस का एक किस्सा है. हम स्कूल से छुट्टी के बाद टोली बनाकर निकलते थे. तभी एक लड़के ने ज़मीर जगा दिया. बोलता है कि कब तक पूरी, पराठा और अपना खाना खिलाता रहेगा प्रिया (काल्पनिक नाम) को आज दम हो तो फ्लाइंग किस कर दे.

हमने कहा नहीं बे, वो प्रधानाचार्य से शिकायत कर देगी. फिर उसने असंसदीय भाषा में एक शब्द बोला…अबे… है तू. बस खाना खिला उसको. बाकी कोई और पटा लेगा. हमने बोला नहीं भाई खाना तो मेरे साथ ही खाती है. और जब मैथ वाला मास्टर मारता है तो उसको दुख भी होता है. वो अंग्रेजी वाला जब कान ऐंठता था दर्द उस बेचारी को होता था. अब उनको तकलीफ होने लगी. उनको लगा कि लगता है सेटिंग इसकी हो गई. वो हमको और ताड़ में चढ़ा दिए. फिर हम भी ठहरे बुंदेलखंडी. दिल का आल्हा-ऊदल जाग गया और हम उसको फ्लाइंग किस दे दिए. भाई साहब! वो लड़की तो ऐसे भागी जैसे शोले में ठाकुर बसंती के पीछे पड़ा हो और वो भाग रही हो. हम भी डर गए. वो सब दोस्त हंसने लगे. उनके मौज आ गई. बस यहीं पर एक पंगा हो गया. हम भूल गए कि जहां पर हमारे हाथों को हमारे लब चूम रहे थे वहीं बगल में हमारे बाबूजी टहल रहे थे. फिर क्या था. न थाना, न कोर्ट सरकार सिर्फ बाबूजी की. कूट के चला दिए. अगले दिन हम स्कूल पहुंचे को तो फिर वो मेरे साथ टिफिन करने लगी…फिर तो बाबूजी की मार का एक्कौ फरक नहीं पड़ा….
डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं