हाइलाइट्स:मई में महिला ने दर्ज कराया था शादी का वादा कर बलात्‍कार का केसशादी का झांसा देकर तीन साल तक शारीरिक संबंध बनाने का आरोपआरोपी ने दिल्‍ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, मिली अंतरिम राहतफेसबुक पर पोस्‍ट फोटो के लाइक-कमेंट दिखाकर गिरफ्तारी से बचाकड़कड़डूमा कोर्टदिल्ली हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति को उसके खिलाफ रेप के मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दे दी। कोर्ट को एफआईआर में लगाए गए आरोप देखने से पहली नजर में कोई खास दमदार नहीं लगे, जिसमें शादी करने का झांसा देकर तीन साल से भी अधिक समय तक शारीरिक संबंध बनाने का दावा किया गया। पत्नी के साथ इस व्यक्ति की फेसबुक पर मौजूद तस्वीर पर शिकायतकर्ता के लाइक और कमेंट ने भी उसे मामले में राहत दिलाने में मदद की।पहली नजर में अदालत को भरोसा नहींजस्टिस सी हरिशंकर की वेकेशन बेंच ने अपने आदेश में कहा कि पहली नजर में तो इस आरोप पर ही यकीन करना मुश्किल लग रहा है कि शिकायतकर्ता आवदेक के साथ लगभग चार साल तक इस भरोसे पर शारीरिक संबंध बनाती रही कि वह एक दिन उससे शादी करेगा। अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट ऐसे तमाम मामलों को खासतौर पर इसी वजह से ठुकरा चुकी है कि जहां आइपीसी की धारा 376 के तहत आपराधिक कार्यवाही की शुरुआत महज इस आधार पर की गई कि आरोपी ने शादी करने का वादा किया इसीलिए शिकायतकर्ता ने लंबे समय तक आरोपी के साथ शारीरिक संबंधों के लिए सहमति दी।आरोपी के वकील ने कोर्ट को दिखाई एक फोटोयाचिकाकर्ता के खिलाफ इसी साल 8 मई को प्रेम नगर थाने में शिकायतकर्ता ने केस दर्ज कराया है, जिसमें अग्रिम जमानत की मांग लेकर वह कोर्ट पहुंचा। एफआईआर में महिला ने आरोप लगाया है कि आवेदक जुलाई 2018 से उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता रहा, इस वादे पर कि वह उससे शादी करेगा। आरोपी के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि दोनों के बीच संबंध आपसी सहमति से बने। दावा किया कि शिकायतकर्ता बहुत अच्छे से जानती थी कि आवेदक शादीशुदा है इसीलिए शादी का वादा करने का सवाल ही नहीं बनता। वकील ने आवेदक के फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट एक तस्वीर कोर्ट को दिखाई। इसमें वह अपनी पत्नी के साथ था।PUBG और नशे की लत का शिकार लड़की का कारनामा, सगी बहन का घर लुटवाने की रची साजिशकोर्ट को बताया कि इस तस्वीर को शिकायतकर्ता ने लाइक करने के साथ उस पर कमेंट तक किया हुआ है और इसी से साबित होता है कि इस व्यक्ति के शादीशुदा होने के बारे में महिला को पहले से ही पता था। आवेदन पर पुलिस को नोटिस जारी किया गया है। रोस्टर बेंच के सामने 25 जुलाई को मामले में अगली सुनवाई होगी। आवेदक को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान करते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया कि वह जांच में शामिल हो और उसमें सहयोग करे। इस बीच शिकायतकर्ता से किसी तरह से कोई संपर्क न करे। चेतावनी दी कि ऐसा करने पर अंतरिम संरक्षण वापस ले लिया जाएगा।