Reasons Behind Xi Jinping Skipping G 20 Summit,G-20 समिट में भारत क्यों नहीं आ रहे शी जिनपिंग? नई दिल्ली को संदेश नहीं, ये एक तानाशाह का डर है! – why xi jinping is not coming india for g 20 summit what is communist dictator fear

नई दिल्ली : इस हफ्ते भारत जी-20 समिट की मेजबानी करने जा रहा है। राजधानी दिल्ली मेहमानों का स्वागत करने के लिए सज-संवर चुकी है। समिट में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नहीं आ रहे। वह हाल में दक्षिण अफ्रीका में हुए ब्रिक्स समिट में भी नहीं गए थे। लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी जी-20 समिट के लिए भारत नहीं आ रहे। उनकी जगह पर प्रधानमंत्री ली कियांग शिरकत करेंगे। जिनपिंग आम तौर पर हर जी-20 समिट में शामिल होते रहे हैं। तो क्या चीन के राष्ट्रपति का समिट के लिए नहीं आना, भारत के लिए झटका है? द्विपक्षीय संबंधों में लंबे समय से जारी तनाव के बीच जिनपिंग का जी-20 समिट से कन्नी काटने में भारत के लिए कुछ संदेश छिपा है? आखिर जिनपिंग के भारत नहीं आने की वजह क्या है? इन तमाम सवालों का जवाब Nikkei Asia में छपी रिपोर्ट बता रही है। असलियत ये है कि चीन का कम्यूनिस्ट तानाशाह खुद डरा हुआ है। उसे पहली बार पार्टी के सीनियरों से तगड़ी फटकार लगी है। अर्थव्यवस्था की हालत खराब है और तानाशाह ने तमाम घरेलू राजनीतिक वजहों से नई दिल्ली दिल्ली आने से बचने का फैसला किया।Nikkei Asia की रिपोर्ट के मुताबिक, शी जिनपिंग के भारत नहीं आने का कारण वहां की आंतरिक राजनीति है। इसकी जड़ें इस साल की गर्मियों में हुई चाइनीज कम्यूनिस्ट पार्टी की उस सालाना मीटिंग में है जिसमें पार्टी के रिटायर्ड नेता और रिटायर होने जा रहे नेता खास तौर पर जुटते हैं। मीटिंग बंद कमरे में होती है। वैसे तो इस तरह की मीटिंग में क्या होता है, उसे गोपनीय रखने की कोशिश होती है लेकिन इस साल गर्मियों में हुई मीटिंग के डीटेल थोड़े-थोड़े करके सामने आ रहे हैं। ये मीटिंग बेइदाहोची जिले (Beidaihe) में समंदर के किनारे हुई थी।शी जिनपिंग 2012 से कम्यूनिस्ट पार्टी के जनरल सेक्रटरी हैं। उनके अबतक के कार्यकाल के दौरान बेइदाहोची में 11 बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन इस साल वाली मीटिंग पिछली 10 बैठकों से बिल्कुल अलग माहौल और वातावरण में हुई।जिनपिंग को मिली सीनियरों से कड़ी फटकार!Nikkei Asia ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया कि इस साल की मीटिंग में पार्टी के रिटायर्ड सीनियरों ने शी जिनपिंग को ‘कड़ी फटकार’ लगाई है और उनसे इस तरह के तीखे सवाल किए गए जो अबतक नहीं हुए थे। उस मीटिंग में कुछ सीनियरों ने हिस्सा नहीं लिया था। पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ भी उनमें से एक थे। कुछ ही सीनियरों ने हिस्सा लिया और शी जिनपिंग समेत मौजूदा नेताओं से उनकी आमने-सामने की चर्चा हुई। सीनियरों ने जिनपिंग को झाड़ लगाई कि जिस तरह राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक उथलपुथल का माहौल है, उसे काउंटर करने के लिए जरूरी और प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। अगर ये जारी रहा तो पार्टी को हासिल जनसमर्थन धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा और कम्यूनिस्ट रूल का दौर भी खत्म हो जाएगा।जिन सीनियरों ने शी जिनपिंग को फटकार लगाई उनमें पूर्व उप राष्ट्रपति जेंग किंगहोंग और पूर्व राष्ट्रपति जियांग जेमिन के एक करीबी सहयोगी मुख्य हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शी जिनपिंग ने भारत दौरे से इसलिए पीछे हटने का फैसला किया ताकि घरेलू राजनीतिक चुनौतियों से निपट सकें और आंतरिक स्तर पर साख बचाने की कोशिशें कर सकें।जी-20 समिट को लेकर दिल्ली सरकार और MCD ने की खास तैयारियां, दिल्ली की शिक्षा मंत्री ने बतायाNikkei Asia की रिपोर्ट के मुताबिक, शी जिनपिंग ने चीन के मौजूदा संकट के लिए अपने करीबी सहयोगियों को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने अपने पूर्ववर्तियों डेंग जियाओपिंग, जियांग और हू तक को भी मौजूदा संकट के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया कि उन्होंने तमाम मुद्दों को ‘अनसुलझा’ छोड़ दिया था जो अब उन्हें भारी पड़ रहे हैं।संकटों से घिरा है चीनशी जिनपिंग को पार्टी में जिस तरह की आलोचनाओं और जैसे सवालों से जूझना पड़ रहा है, वो अभूतपूर्व है। यहां इसकी टाइमिंग बहुत महत्वपूर्ण है। जिनपिंग की पकड़ ऐसे समय कमजोर होती दिख रही है जब चीन गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। युवाओं में बेरोजगारी की दर खतरनाक स्तर पर है। पिछले कुछ सालों से चीन की अर्थव्यवस्था कराह रही है।Delhi G20 Summit: फूलों, फाउंटेन, लाइटिंग के नजारे के साथ प्रगति मैदान में एंट्री करेंगे गेस्ट, देखें VIDEOये तो आर्थिक संकट की बात हुई। इस समय चीन की सेना भी उथल-पुथल का सामना कर रही है। देश के टॉप रॉकेट फोर्स जनरलों को हटा दिया गया है। विदेश मंत्री किन गांग को अज्ञात कारणों से अचानक बर्खास्त कर दिया गया।चीन की आर्थिक चुनौतियां दुनिया के साथ भी उसके रिश्तों को प्रभावित कर रही हैं। विदेशी निवेश घट रहा है। ऐसे में घरेलू स्तर पर इन चुनौतियों के बीच जिनपिंग ने जी-20 मीटिंग से दूर रहने का फैसला लगता है घरेलू स्तर पर अपनी साख बचाने की कोशिश के तहत की है।