नई दिल्लीसुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि जो शारीरिक तौर पर अक्षम हैं और विकलांगता की श्रेणी में आता है, उन्हें प्रमोशन में आरक्षण पाने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य सरकार ने केरल हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।केरल हाई कोर्ट ने कहा था कि शारीरिक रूप से अक्षम शख्स को प्रोमोशन में आरक्षण पाने का अधिकार है।सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल और जस्टिस आरएस रेड्डी ने अपने फैसले में कहा कि केरल हाई कोर्ट का फैसला दुरुस्त है और उसमें दखल की कोई जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि शारीरिक तौर पर अक्षम शख्स को प्रमोशन में आरक्षण पाने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह तीन महीने के भीतर शारीरिक तौर पर अक्षम को प्रोमोशन में रिजर्वेशन दे।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शीर्ष अदालत की तीन जजों की बेंच ने जनवरी 2020 के फैसले का जिक्र अपने आदेश में किया। कोर्ट ने कहा कि इंदिरा साहनी जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने व्यवस्था दी थी कि प्रमोशन में रिजर्वेशन नहीं मिलेगा, लेकिन वह शारीरिक तौर पर अक्षम के लिए लागू नहीं होगा। यानी शारीरिक तौर पर अक्षम शख्स को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने पर कोई रोक नहीं है।सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने पिछले साल राजीव गुप्ता केस में कहा था कि शारीरिक तौर पर अक्षम व्यक्ति 1995 के कानून के तहत प्रोटेक्टेड है और उसके प्रमोशन में रिजर्वशन पर रोक नहीं है। इंदिरा साहनी जजमेंट का प्रमोशन में रिजर्वेशन पर रोक का सिद्धांत शारीरिक तौर पर अक्षम लोगों के लिए लागू नहीं होता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शारीरिक तौर पर अक्षम शख्स को प्रमोशन में आरक्षण का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शीर्ष अदालत के पिछले साल दिए फैसले का हवाला दिया और केरल सरकार की अर्जी खारिज कर दी।