नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत से नागपुर में जब यह पूछा गया कि आरएसएस ने 1950 से 2002 तक अपने मुख्यालय में राष्ट्रध्वज नहीं फहराया तो भावगत ने कहा यह प्रश्न लोगों को हमसे नहीं करना चाहिए। मोहन भागवत ने कहा कि हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को हम जहां भी होते हैं, राष्ट्रध्वज फहराते हैं। नागपुर में महाल और रेशमीबाग हमारे दोनों ही परिसरों में ध्वजारोहण होता है। जहां पर देश के सम्मान का प्रश्न है, राष्ट्रध्वज के सम्मान का प्रश्न है, वहां पर हम सबसे आगे आपको मिलेंगे लड़ने के लिए प्राण देने के लिए।बुधवार उसके बाद मोहन भागवत ने एक घटना को याद करते हुए कहा कि 1933 में जलगांव के पास कांग्रेस के तेजपुर सम्मेलन के दौरान जब पंडित जवाहरलाल नेहरू 80 फुट ऊंचे खंभे पर ध्वजारोहण कर रहे थे तब झंडा बीच में फंस गया था। उस दौरान करीब दस हजार की भीड़ से एक युवक आगे आया और खंभे पर चढ़कर उसने झंडे को निकाला।भागवत के अनुसार नेहरू ने उस युवक को अगले दिन अभिनंदन के लिए सम्मेलन में आने को कहा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया क्योंकि कुछ लोगों ने नेहरू को बताया कि वह युवा आरएसएस की शाखा में जाता है। सरसंघचालक ने दावा किया कि संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को जब इसके बारे में पता चला तो वह युवक के घर गये और उन्होंने उसकी प्रशंसा की और उस युवक का नाम किशन सिंह राजपूत था।भागवत ने कहा जब राष्ट्रध्वज के सामने पहली बार समस्या आई तब से ही आरएसएस उसके सम्मान के साथ जुड़ा रहा है। हम इन दोनों दिन (15 अगस्त और 26 जनवरी को) राष्ट्रध्वज भी फहराते हैं….. भले ही इसे फहराया जाए या नहीं लेकिन जब राष्ट्रध्वज के सम्मान की बात आती है तो हमारे स्वयंसेवक सबसे आगे रहते हैं और अपना बलिदान भी देने को तैयार रहते हैं।मोहन भागवत ने यह भी कहा कि आज की युवा पीढ़ी के बुजुर्ग होने से पहले ही अखंड भारत हकीकत बन जाएगा। एक छात्र के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह सटीक समय नहीं बता सकते कि अखंड भारत कब अस्तित्व में आएगा। लेकिन यदि आप इस दिशा में काम करते रहेंगे तो आप बुजुर्ग होने से पहले इसे साकार होते हुए देखेंगे। आरक्षण के मुद्दे पर मोहन भागवत ने कहा कि जब तक समाज में भेदभाव है, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। (एजेंसी इनपुट के साथ)