नई दिल्लीकांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद की नई किताब ने आते ही सियासी पारा को बढ़ा दिया है। अपनी किताब ‘सनराइज ओवर अयोध्या : नेशनहुड इन ऑवर टाइम्स’ को अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का रिफरेंस बुक बता रहे खुर्शीद ने किताब में हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और बोकोहराम जैसे कुख्यात आतंकी संगठनों से की है। बीजेपी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। यूपी समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले आई खुर्शीद की इस किताब पर उठा विवाद और ज्यादा तूल पकड़ सकता है। आइए देखते हैं खुर्शीद की किताब की 5 खास बातें।आईएसआईएस और बोको हराम जैसे आतंकी संगठनों से हिंदुत्व की तुलनासलमान खुर्शीद की जिस बात पर सबसे ज्यादा विवाद होता दिख रहा है, वह है कट्टर जिहादी और कुख्यात आतंकी संगठनों से हिंदुत्व की तुलना। ‘द सैफ्रन स्काई’ नाम के चैप्टर में पेज नंबर 113 पर खुर्शीद लिखते हैं, ‘साधु-संत जिस सनातन धर्म और क्लासिकल हिंदुइज्म को जानते हैं उसे किनारे करके हिंदुत्व के ऐसे वर्जन को आगे बढ़ाया जा रहा है जो हर पैमाने पर आईएसआईएस और बोको हराम जैसे जिहादी इस्लामी संगठनों के राजनीतिक रूप जैसा है।’ उन्होंने दावा किया है कि हिंदुत्व का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए किया जाता है। चुनावी रैलियों में इसका जिक्र होता है।Digvijay Singh News : दिग्विजय बोले- हिंदुत्व का हिंदू धर्म से कोई संबंध नहीं, सावरकर धार्मिक व्यक्ति नहीं थेआज हिंदू राष्ट्र की बात करना बहुत ही आमखुर्शीद ने अपनी किताब में दक्षिणपंथी रुझानों की आलोचना करते हुए लिखा है कि अब हिंदू राष्ट्र की बात करना बहुत आम है। हालांकि, सरकार के स्तर पर आधिकारिक तौर पर इसकी बात नहीं होती। खुर्शीद ने यह भी लिखा है कि हिंदू राष्ट्र के कॉन्सेप्ट को कुछ हलकों से चौंकाने वाला समर्थन भी मिल रहा है। इसके लिए उन्होंने नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज ऐंड रिसर्च, हैदराबाद (NALSAR) के प्रमुख और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व रजिस्ट्रार प्रोफेसर फैजान मुस्तफा का उदाहरण दिया है। खुर्शीद ने दावा किया है कि प्रोफेसर मुस्तफा ने हाल के दिनों में एक तरह से यह कहने की कोशिश की है कि अगर हम हिंदू राष्ट्र बन गए तो हमारी तमाम मौजूदा राजनीतिक दुश्वारियां खत्म हो सकती हैं।साधु-संत जिस सनातन धर्म और क्लासिकल हिंदुइज्म को जानते हैं उसे किनारे करके हिंदुत्व के ऐसे वर्जन को आगे बढ़ाया जा रहा है जो हर पैमाने पर आईएसआईएस और बोको हराम जैसे जिहादी इस्लामी संगठनों के राजनीतिक रूप जैसा है।सलमान खुर्शीदखुर्शीद ने लिखा है, ‘प्रोफेसर मुस्तफा की दलीलों का सार कुछ यूं हो सकता है- अल्पसंख्यक भी अब सेक्युलरिज्म के छलावे से ऊब चुके हैं क्योंकि सभी सरकारी संस्थाओं का झुकाव एक धर्म की तरफ है। शायद किसी तरह के हिंदू राष्ट्र से शांति लाने में मदद मिले और देश को आत्म-विनाश के रास्ते से बचाया जा सके।’कांग्रेस में हिंदुत्व समर्थक नेताओं की आलोचनाकिताब में खुर्शीद ने कांग्रेस के भीतर भी हिंदुत्व समर्थक नेताओं की बात की है। दिलचस्प बात यह है कि यूपी में प्रियंका गांधी मंदिर-मंदिर घूम रही हैं, रैलियों में संबोधन की शुरुआत दुर्गा सप्तशती के श्लोकों से करती दिख रही हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की पहचान को ‘दत्तात्रेय गोत्री जनेऊधारी ब्राह्मण’ के तौर पर स्थापित करने की कोशिश करते दिखते हैं। ऐसे वक्त में खुर्शीद ने कांग्रेस के ‘हिंदुत्व समर्थक’ नेताओं पर सवाल उठाए हैं। ‘मेरी अपनी पार्टी कांग्रेस में अक्सर चर्चा हिंदुत्व के मुद्दे की तरफ मुड़ जाती है। कांग्रेस में एक ऐसा तबका है, जिन्हें इस बात पर अफसोस है कि हमारी छवि अल्पसंख्यक समर्थक पार्टी की है। यह तबका हमारी लीडरशीप की जनेऊधारी पहचान की वकालत करता है। इन्होंने अयोध्या पर आए फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए यह घोषणा कर दी कि अब इस स्थल पर भव्य मंदिर बनाया जाना चाहिए। इस रुख ने निश्चित तौर पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के उस हिस्से की अनदेखी की, जिसमें मस्जिद के लिए भी जमीन देने का निर्देश दिया गया था।’अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिदंबरम ने उठाए सवाल, कहा- नो वन किल्ड जेसिका उसी तरह मस्जिद किसी ने नहीं तोड़ीहिंदू, हिंदुत्व, हिंदुइज्म…खुर्शीद ने अपनी किताब में लिखा है कि आरएसएस विचारक शेषाद्रि चारी ने हिंदू, हिंदुत्व और हिंदुइज्म की परिभाषित करने की कोशिश की थी। धर्म को पश्चिम के ‘रिलीजन’ से अलग बताया था। खुर्शीद ने लिखा है कि धर्म और रिलीजन को अलग-अलग करना मध्यकालीन युग में मुस्लिमों के सांस्कृतिक योगदान से आंखें मूंदने की तरह है।अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तारीफसलमान खुर्शीद ने अपनी किताब में अयोध्या विवाद पर 9 नवंबर 2019 को आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले की तारीफ की है। उन्होंने लिखा है कि कोर्ट के फैसले से न किसी की जीत हुई और न ही किसी की हार हुई। साथ में उन्होंने मंदिर निर्माण को लेकर जश्न को बीजेपी का जश्न करार दिया। उन्होंने लिखा है, ‘अयोध्या विवाद को लेकर समाज में बंटवारे की स्थिति थी। सुप्रीम कोर्ट ने उसका हल निकाला। कोर्ट के फैसले ने काफी दूर तक देखने की कोशिश की है। ऐसा फैसला है जिससे ये ना लगे कि हम हारे, तुम जीते।…ऐसा एलान तो नहीं हुआ कि ‘हम जीत गए’ लेकिन कभी-कभी ऐसे ही संकेत दिए जाते हैं। सबको जोड़ने की कोशिश होनी चाहिए। फिलहाल अयोध्या के उत्सव में ऐसा लगता है कि एक ही पार्टी का उत्सव है।’दिग्विजय ने बताया राम जन्मभूमि विवाद क्यों बना राष्ट्रीय मुद्दा, आडवाणी को समाज में घृणा फैलाने वाला करार दियाअयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसलासुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 के अपने ऐतिहासिक फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने की इजाजत दी। तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अगुआई वाली 5 जजों वाली कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच ने साथ में केंद्र को यह भी आदेश दिया कि मुस्लिम पक्ष को किसी अन्य जगह पर मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन दे।